25 नवंबर को इलाहाबाद के फाफामऊ के मोहनगंज गोहरी गांव में दो महिलाओं व एक बच्चे समेत दलित परिवार के चार सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में कथित उच्च जाति से जुड़े 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर आठ को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अब पुलिस का दावा है कि 23 साल के एक दलित युवक ने परिवार की हत्या की है.
नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में दलित परिवार की हत्या के आरोपियों के साथ कथित तौर पर मिलीभगत के आरोप में निलंबित किए गए दो पुलिसकर्मियों के बाद यूपी पुलिस ने रविवार को बयान जारी कर कहा है कि उन्होंने इस मामले में अब एक युवक को गिरफ्तार किया है,जो दलित समुदाय से ही है.
इस मामले में आईपीसी, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम और पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर में उच्च जाति के ठाकुर परिवार के 11 लोग नामजद हैं.
इससे पहले यूपी पुलिस ने दावा किया था कि वह इनमें से आठ लोगों को वह गिरफ्तार कर चुकी हैं.
इलाहाबाद के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) प्रेम प्रकाश ने रविवार को ट्वीट कर बताया कि मामले में पवन सरोज (23 वर्ष) को गिरफ्तार किया गया है और दलित लड़की के उत्पीड़न के आरोप में उससे पूछताछ की जा रही है.
पीड़ित लड़की को पहले नाबालिग बताया जा रहा था और आरोप है कि उसकी और परिवार की हत्या से पहले उसके साथ बलात्कार किया गया था.
एडीजी प्रकाश ने ट्वीट कर बताया कि लड़की वास्तव में नाबालिग नहीं थी, उसने ग्रैजुएशन किया था, इसलिए इस मामले से पॉक्सो एक्ट की धाराएं हटाई जाएंगी.
मृतका #श्वेता (काल्पनिक) एक होनहार विद्यार्थी थी। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्री प्राप्त कर विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी। इनका जन्म 4 जून 1996 को हुआ था। केस से पॉक्सो की धाराएँ हटायी जा रही है। @Uppolice
— Prem Prakash (@PremPrakashIPS) November 28, 2021
पुलिस के ताजा बयान में एडीजी प्रकाश ने कहा कि हत्या के लिए सरोज और कुछ अन्य लोग जिम्मेदार हैं. इन लोगों की पहचान की अभी पुष्टि नहीं हो पाई है, क्योंकि सरोज लगातार इन लोगों के नाम बदल रहा है.
उन्होंने कहा कि जांच जारी है और यह कॉल रिकॉर्ड और डीएनए साक्ष्यों पर आधारित होगी.
दलित परिवार के चार सदस्य, जिनमें माता-पिता (50 और 45 वर्ष) बेटा (10 वर्ष) और बेटी (जिसकी अब 25 साल आयु होने की पुष्टि की गई है) की 25 नवंबर को उनके घर में हत्या कर दी गई थी. जब हत्या का मामला सामने आया तो परिवार के संबंधियों ने पड़ोस के उच्च जाति के परिवार पर हत्या का आरोप लगाया, जिनका पीड़ित परिवार के साथ 2019 से जमीन को लेकर विवाद चल रहा था.
यह घटना 25 नवंबर को इलाहाबाद के फाफामऊ के मोहनगंज गोहरी गांव में हुई थी. दलित परिवार के चार सदस्यों के शवों के पास से खून से सनी कुल्हाड़ी भी पाई गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, घर के मुखिया के भाई ने बताया कि पीड़ितों द्वारा भूमि विवाद और उन्हें मिल रही धमकियों को लेकर सितंबर 2019 और सितंबर 2021 में दो एफआईआर दर्ज कराई गई थी. आरोप है कि पड़ोस के ठाकुर परिवार का उनके साथ जमीन को लेकर विवाद था, जिसे लेकर वे दलित परिवार को लगातार धमकियां दे रहे थे.
उनके मुताबिक, उच्च जाति के लोगों ने दो बार पीड़ित परिवार के साथ मारपीट की थी.
मृतक परिवार के संबंधियों ने पहले आरोप लगाया था कि दो पुलिस अधिकारी- थाना प्रभारी राम केवल पटेल और कॉन्स्टेबल सुशील कुमार सिंह ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय पीड़ितों पर आरोपी परिवार के साथ समझौता करने का दबाव बनाने की कोशिश की थी, जिसके बाद दोनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया.
इन हत्याओं को लेकर सरोज को जिम्मेदार ठहराने के पुलिस के हालिया बयान के बारे में मृतक परिवार के एक संबंधी ने पुलिस के इस नए वर्जन (बयान) की हाथरस गैंगरेप और हत्या मामले से तुलना की है.
उन्होंने दावा किया कि वह सरोज को नहीं जानते थे और उन्हें पुलिस ने फोन कर बताया था कि हत्याओं के लिए सरोज जिम्मेदार है.
एडीजी प्रकाश ने सरोज को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि शुरुआती एफआईआर में नामजद 11 लोगों का पीड़ित परिवार के साथ छोटे विवाद का पता चला था, लेकिन इसके कोई सबूत नहीं मिले जिससे पता चल सके कि इन्होंने परिवार की हत्या की है.
हालांकि, शनिवार को इलाहाबाद के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि एफआईआर में नामजद 11 लोगों में से आठ को गिरफ्तार किया गया है. बाकी के दो मुंबई में हैं और उनका पता लगाकर गिरफ्तार करने के लिए टीम को तैनात किया गया है. एक आरोपी अस्पताल में भर्ती है और वह चलने में सक्षम नहीं है. हम उससे भी पूछताछ करेंगे. हम हर संभव एंगल से मामले की जांच करेंगे.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)