उत्तर प्रदेश के सलेमपुर से भाजपा सांसद रवींद्र कुशवाहा ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसानों के विरोध को देखते हुए तीनों नए कृषि क़ानून को वापस ले सकती है तो फिर मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण के लिए उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 को भी वापस लिया जा सकता है.
बलिया: भाजपा सांसद रवींद्र कुशवाहा ने मथुरा की श्रीकृष्ण जन्म भूमि को लेकर कहा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसानों के विरोध को देखते हुए तीनों नए कृषि कानून को वापस ले सकती है तो फिर मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण के लिए उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 को भी वापस लिया जा सकता है.
यह अधिनियम किसी भी पूजा स्थल के परिवर्तन पर रोक लगाता है और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को वैसा ही बनाए रखने का प्रावधान करता है, जैसा कि 15 अगस्त, 1947 को वह अस्तित्व में था.
हालांकि कानून राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में स्वामित्व पर मुकदमेबाजी से छूट देता है.
भाजपा के सलेमपुर से सांसद रवींद्र कुशवाहा ने सोमवार को बलिया जिले के सीयर क्षेत्र पंचायत में विकास कार्यों के शिलान्यास से जुड़े एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि भाजपा का शुरू से ही काशी, मथुरा और अयोध्या को लेकर स्पष्ट मत रहा है. यह तीनों हमारे लिए आस्था का विषय हैं.
उन्होंने कहा कि हमारा उत्पत्ति इसी जगह (मथुरा) से है. यह देश के गौरव की बात है. उन्होंने कहा, ‘अयोध्या का फैसला हो गया. काशी विश्वनाथ मंदिर में कार्य तेजी से जारी है तथा अब मथुरा की बारी है.’
कुशवाहा से सवाल किया गया कि जब देश में उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 लागू है तो फिर मथुरा में मंदिर निर्माण मामले का समाधान कैसे होगा, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘जब मोदी सरकार किसानों के विरोध को देखते हुए तीनों नए कृषि कानून को वापस ले सकती है तो फिर मथुरा में जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण के लिए उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 को भी वापस लिया जा सकता है.’
उन्होंने इसके साथ ही कहा, ‘चार-पांच सौ साल पहले हमारे भगवान के घर के आगे ही इनको अपना धार्मिक स्थल बनाना था क्या. दूसरे स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए जगह नहीं मिल रही थी. हमें अब मथुरा को मुक्त कराना है.’
कुशवाहा ने कहा, ‘उनका कौन से पैगंबर वहां पैदा हुए थे, जिसके लिए वहां एक मस्जिद की जरूरत है.’
मुस्लिम समाज की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि उनके पैगंबर अदृश्य हैं और यह जरूरी नहीं है कि एक लोकप्रिय श्रीकृष्ण मंदिर के सामने एक मस्जिद मौजूद हो.
यह पूछे जाने पर कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव के ऐन वक्त ही यह मसला क्यों गरमाया जा रहा है, कुशवाहा ने कहा, ‘चुनाव के समय जाति की बात हो सकती है और जातिगत आधार पर गठबंधन हो सकता है, तो भगवान श्रीकृष्ण की भी बात हो सकती है.’
उन्होंने कहा, ‘अयोध्या की तर्ज पर ही मथुरा में भी शुरुआत हो गई है. किसी दिन श्रीकृष्ण जन्मभूमि का भी उद्धार होगा.’
कुशवाहा की यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा यह कहकर विवाद खड़ा करने के बाद आई है कि सत्तारूढ़ भाजपा मथुरा में मंदिर बनाने की तैयारी कर रही है.
मालूम हो कि छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद में कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर जलाभिषेक करने की कथित धमकी के बाद वहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था.
मालूम हो कि मथुरा में जिस जमीन पर ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मभूमि अगल-बगल स्थित है, उसे लेकर विवाद है. हिंदुत्ववादी संगठनों और व्यक्तियों द्वारा मथुरा की दीवानी अदालतों में विभिन्न मुकदमे दायर किए गए हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि ईदगाह का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा कृष्ण के जन्म के स्थान पर एक मंदिर के विध्वंस के बाद किया गया था.
साल 2020 में मथुरा की एक अदालत में एक दीवानी मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें ‘कृष्ण जन्मभूमि’ वापस दिलाने की मांग की गई थी. इस याचिका में उसी तरह के तर्कों का इस्तेमाल किया गया है, जैसा हिंदुत्ववादी समूहों द्वारा अयोध्या में बाबरी मस्जिद पर दावा करने के लिए किया जाता था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)