यूपी: संसदीय कार्य राज्यमंत्री बोले- मथुरा की मस्जिद को हिंदुओं के ‘हवाले कर दें’ मुस्लिम

उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने कहा कि कोर्ट ने अयोध्या मुद्दे का समाधान कर दिया लेकिन काशी और मथुरा में 'सफेद ढांचे' हिंदुओं को आहत करते हैं. वह समय भी आएगा जब मथुरा में हर हिंदू को चुभने वाला सफेद ढांचा अदालत की मदद से हटा दिया जाएगा.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ संसदीय कार्य राज्य मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला. (फोटो साभार: ट्विटर/@anandswarupbjp)

उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने कहा कि कोर्ट ने अयोध्या मुद्दे का समाधान कर दिया लेकिन काशी और मथुरा में ‘सफेद ढांचे’ हिंदुओं को आहत करते हैं. वह समय भी आएगा जब मथुरा में हर हिंदू को चुभने वाला सफेद ढांचा अदालत की मदद से हटा दिया जाएगा.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ संसदीय कार्य राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला. (फोटो साभार: ट्विटर/@anandswarupbjp)

बलिया: उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने मुस्लिम समाज से आह्वान किया है कि वे खुद आगे आकर मथुरा में ‘श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर’ में स्थित सफेद भवन (मस्जिद) को हिंदुओं के हवाले कर दें.

शुक्ला ने मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि अदालत ने अयोध्या मुद्दे का समाधान कर दिया लेकिन काशी (वाराणसी) और मथुरा में ‘सफेद ढांचे’ हिंदुओं को आहत करते हैं. उनका इशारा काशी और मथुरा में बदो मस्जिदों की ओर था.

उन्होंने कहा, ‘वह समय भी आएगा जब मथुरा में हर हिंदू को चुभने वाला सफेद ढांचा अदालत की मदद से हटा दिया जाएगा. डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि भारत के मुसलमानों को यह मानना होगा कि राम और कृष्ण उनके पूर्वज थे और बाबर, अकबर तथा औरंगजेब हमलावर थे. उनके द्वारा बनाई गई किसी इमारत से स्वयं को संबद्ध न करें.’

शुक्ला ने कहा, ‘मुस्लिम समुदाय को आगे आना चाहिए और मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर में स्थित सफेद भवन को हिंदुओं को सौंप देना चाहिए. एक समय आएगा, जब यह काम पूरा होगा.’

उल्लेखनीय है कि मथुरा में जिस जमीन पर ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मभूमि अगल-बगल स्थित है, उसे लेकर विवाद है.

हिंदुत्ववादी संगठनों और व्यक्तियों द्वारा मथुरा की दीवानी अदालतों में विभिन्न मुकदमे दायर किए गए हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि ईदगाह का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा कृष्ण के जन्म के स्थान पर एक मंदिर के विध्वंस के बाद किया गया था.

साल 2020 में मथुरा की एक अदालत में एक दीवानी मुकदमा दायर किया गया था, जिसमें ‘कृष्ण जन्मभूमि’ वापस दिलाने की मांग की गई थी. इस याचिका में उसी तरह के तर्कों का इस्तेमाल किया गया है, जैसा हिंदुत्ववादी समूहों द्वारा अयोध्या में बाबरी मस्जिद पर दावा करने के लिए किया जाता था.

आनंद स्वरुप शुक्ल ने हाल ही में शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी के सनातन धर्म अपनाने को ‘घर वापसी’ करार देते हुए कहा कि मुसलमानों को वसीम रिजवी का अनुकरण करना चाहिए.

उन्होंने कहा ‘देश में सभी मुसलमान धर्मांतरित हैं. अगर वे अपना इतिहास देखेंगे तो पाएंगे कि 200 से 250 साल पहले वे हिंदू धर्म से इस्लाम में धर्मांतरित हुए थे. हम चाहेंगे कि उन सभी की ‘घर वापसी’ हो. भारत की मूल संस्कृति ‘हिंदुत्व’ और ‘भारतीयता’ की है जो एक दूसरे के पूरक हैं.’

शुक्ला ने समाजवादी पार्टी, उसके संस्थापक मुलायम सिंह यादव और अध्यक्ष अखिलेश यादव को ‘हिंदू विरोधी’ करार दिया ‘जिन्होंने अयोध्या में निहत्थे कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया था.’

मालूम हो कि इससे पहले बीते सप्ताह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट किया था कि ‘अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है’.

उसके बाद छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद में कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर जलाभिषेक करने की कथित धमकी के बाद वहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था.

वहीं, भाजपा सांसद रवींद्र कुशवाहा ने मथुरा की श्रीकृष्ण जन्म भूमि को लेकर कहा था कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसानों के विरोध को देखते हुए तीनों नए कृषि कानून को वापस ले सकती है तो फिर मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण के लिए उपासना स्‍थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 को भी वापस लिया जा सकता है.

जानकारों द्वारा भाजपा नेताओं के लगातार आ रहे इस तरह के बयानों को राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ध्रुवीकरण के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)