केंद्र सरकार के तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान बीते साल नवंबर महीने से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे थे. आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा को केंद्र सरकार द्वारा हस्ताक्षरित पत्र मिलने के बाद यह घोषणा हुई है, जिसमें किसानों के ख़िलाफ़ मामलों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर एक समिति बनाने सहित उनकी लंबित मांगों पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की गई है.
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन करने वाले 40 किसान संगठनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक साल से अधिक समय से जारी प्रदर्शन को बृहस्पतिवार को स्थगित करने का फैसला किया और घोषणा की है कि किसान 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं वाले विरोध स्थलों से घर लौट जाएंगे.
किसान नेताओं ने कहा कि वे 15 जनवरी को यह देखने के लिए फिर बैठक करेंगे कि क्या सरकार ने उनकी मांगों को पूरा किया है.
आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को केंद्र सरकार द्वारा हस्ताक्षरित पत्र मिलने के बाद यह घोषणा हुई है.
पत्र में किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर एक समिति बनाने सहित उनकी लंबित मांगों पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की गई.
भारतीय किसान यूनियन के नेता जोगिंदर उगराहां ने पुष्टि की कि आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज सभी पुलिस मामलों को बिना शर्त वापस लेने सहित सरकार से एक प्रस्ताव के साथ एक औपचारिक पत्र प्राप्त होने के बाद विरोध बंद किया जा रहा है.
किसान एकता मोर्चा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से कहा है, ‘संयुक्त किसान मोर्चा ने औपचारिक रूप से राष्ट्रीय राजमार्गों पर दिल्ली की सीमाओं और अन्य स्थानों से हटाने की घोषणा की है. वर्तमान आंदोलन निलंबित है. लड़ाई जीत ली गई है, किसानों के हक दिलाने की जंग जारी रहेगी.’
SKM Press Bulletin
378th day, 9th Dec 2021SKM formally announces the lifting of the morchas at Delhi Borders on national highways and various other locations in response – Current agitation stands suspended – Battle has been won; the war to ensure farmers' rights, will continue pic.twitter.com/V3aGXjTVIN
— Kisan Ekta Morcha (@kisanektamorcha) December 9, 2021
किसान मोर्चा ने बुधवार को कहा था कि वह अपनी लंबित मांगों पर केंद्र के संशोधित मसौदा प्रस्ताव को लेकर आम सहमति पर पहुंच गया है.
किसान नेता और एसकेएम कोर कमेटी के सदस्य बलबीर सिंह राजेवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘यह अंत नहीं है, क्योंकि आंदोलन अभी स्थगित हुआ है. हमने 15 जनवरी को फिर से मिलने का फैसला किया है.’
किसान नेता और एसकेएम के सदस्य गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, ‘सरकार ने सभी मांगों को पूरा किया है या नहीं, यह देखने के लिए 15 जनवरी को एक समीक्षा बैठक बुलाई जाएगी. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो हम धरना फिर से शुरू करने पर फैसला ले सकते हैं.’
किसान नेताओं ने कहा कि किसान 11 दिसंबर को अपने-अपने स्थानों पर विजय मार्च निकालेंगे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, किसान मोर्चा ने कहा कि 11 दिसंबर को देश भर की सभी सीमाओं, टोल प्लाजा और विरोध स्थलों पर ‘विजय दिवस’ मनाया जाएगा, जिसके बाद प्रदर्शनकारी वापस लौट जाएंगे.
स्वराज इंडिया के अध्यक्ष और कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने कहा, ‘हम इसे कल (शुक्रवार) मनाना चाहते थे, लेकिन कल (बुधवार) की त्रासदी को देखते हुए इसे 11 दिसंबर तक के लिए टाल दिया है, जहां एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में 13 लोगों की मौत हो गई थी.’
सरकार ने बुधवार को फार्म यूनियनों को एक मसौदा प्रस्ताव भेजा था, जिसमें कहा गया था कि प्रस्तावित रियायतों के आलोक में आंदोलन को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं था और यूनियनों से इसे वापस लेने का अनुरोध किया था. सरकार से प्रस्ताव मिलने के बाद गुरुवार को किसान मोर्चा के नेताओं की बैठक हुई.
बैठक से पहले पांच सदस्यीय एसकेएम समिति के सदस्य अशोक धवले ने कहा था कि उन्हें कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय से औपचारिक प्रस्ताव मिला है. उन्होंने कहा था, ‘हस्ताक्षरित पत्र अब संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में फार्म यूनियनों के सामने रखा जाएगा और बैठक के बाद मोर्चा हटाने के बारे में निर्णय की घोषणा की जाएगी.’
बैठक के बाद किसान नेताओं आंदोलन स्थलों से हटने की घोषणा की.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘किसान 11 दिसंबर से दिल्ली की सीमा को खाली करना शुरू कर देंगे और इसमें कुछ समय लग सकता है.’
किसान नेता @RakeshTikaitBKU ने कहा-'11 दिसंबर से सभी बॉर्डर खाली होना शुरू हो जाएंगे.'#FarmersProtest @JournoAmitSingh @Ankit_Tyagi01 pic.twitter.com/VHWiScK8yS
— Times Now Navbharat (@TNNavbharat) December 9, 2021
पत्रकारों से बातचीत में टिकैत ने कहा, ‘यहां से हम दो-तीन चीजें इकट्ठा करके जाएंगे. किसान मोर्चा था, है और रहेगा. ये देश के लिए बड़ी चीज है संयुक्त मोर्चा इकट्ठा यहां से जा रहा है. 11 (दिसंबर) तारीख से जो हमारे बॉर्डर हैं, वो खाली होने शुरू हो जाएंगे. इसमें दो दिन लग सकते हैं, तीन दिन लग सकते हैं. हम इस विजय के साथ में अपने गांवों को जाना शुरू करेंगे.’
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कानूनों को निरस्त करने के केंद्र के फैसले की घोषणा की थी.
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ बीते साल 26 नवंबर से दिल्ली चलो मार्च के तहत किसानों ने अपना प्रदर्शन शुरू किया था. पंजाब और हरियाणा में दो दिनों के संघर्ष के बाद किसानों को दिल्ली की सीमा में प्रवेश की मंजूरी मिल गई थी.
उस समय केंद्र सरकार ने उन्हें दिल्ली के बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन की अनुमति दी थी, लेकिन किसानों ने इस मैदान को खुली जेल बताते हुए यहां आने से इनकार करते हुए दिल्ली की तीनों सीमाओं- सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन शुरू किया था. प्रदर्शन में मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान शामिल थे.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते साल 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी.
किसानों को इस बात का भय था कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.
दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने बार-बार इससे इनकार किया था. सरकार इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही थी. उसका कहना था कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)