सऊदी अरब की एक महिला अधिकार कार्यकर्ता लुज़ैन अल-हथलूल ने इस संबंध में एक अमेरिकी अदालत में मुक़दमा दायर किया है. उनका आरोप है कि उनके फोन की हैकिंग ने उनकी गिरफ़्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके बाद उन्हें जेल और प्रताड़ना का सामना करना पड़ा था. लुज़ैन को सऊदी अरब में महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार दिलाने के अभियान में योगदान देने के लिए जाना जाता है.
वॉशिंगटनः सऊदी अरब की एक महिला अधिकार कार्यकर्ता ने अवैध रूप से उनका फोन हैक करने का आरोप अमेरिका के तीन पूर्व खुफिया कॉन्ट्रैक्टर पर आरोप लगाया है.
अमेरिका की एक अदालत में दायर मुकदमे के अनुसार, महिला कार्यकर्ता की फोन हैकिंग ने उनकी गिरफ्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और बाद में उन्हें सऊदी अरब की जेल में प्रताड़ित भी किया गया.
लुज़ैन अल-हथलूल (Loujain al-Hathloul) को सऊदी अरब में महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार दिलाने के अभियान में योगदान देने के लिए जाना जाता है.
दरअसल सऊदी अरब में महिलाओं के गाड़ी चलाने पर पाबंदी थी, लेकिन इस दौरान उन्होंने खुद गाड़ी चलाकर इस पाबंदी का उल्लंघन किया था. हालांकि, बाद में 2018 में इस प्रतिबंध को हटा दिया गया था.
लुज़ैन ने सऊदी अरब की जेलों में लगभग तीन साल बिताए, लेकिन बाद में अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच उन्हें इस साल फरवरी में रिहा कर दिया गया था.
मौजूदा समय में उनके सऊदी अरब छोड़कर जाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है.
अमेरिका के ओरेगन की संघीय अदालत में बीते नौ दिसंबर को उनकी ओर से गैरलाभकारी संगठन इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन (Electronic Frontier Foundation) ने मुकदमा दायर किया.
आरोप यह है कि अमेरिका के तीन पूर्व कॉन्ट्रैक्टर, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की साइबर सिक्योरिटी कंपनी ‘डार्कमैटर’ द्वारा चलाए गए सर्विलांस अभियान के जरिये यूएई की सुरक्षा सेवाओं ने लुज़ैन को गिरफ्तार किया.
मुकदमे के मुताबिक, इसके बाद लुज़ैन को एक निजी विमान से सऊदी अरब प्रत्यर्पित किया गया, जहां उन्हें हिरासत में रखा गया, कैद किया गया और प्रताड़ित किया गया.
2019 में समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक इनवेस्टिगेटिव रिपोर्ट में मुकदमे के हवाले से बताया गया था कि लुज़ैन को अमेरिकी मर्सेनरी (भाडे़ के सैनिक) की एक टीम द्वारा 2017 में निशाना बनाया गया था. ये सैनिक प्रोजेक्ट रेवेन (Project Raven) के तहत यूएई के एक कार्यक्रम की ओर से काम कर रहे थे. इसके तहत लुज़ैन को राष्ट्रीय खतरे के तौर पर वर्गीकृत कर उनके आईफोन को हैक किया गया था.
मुकदमे के मुताबिक, लुज़ैन ने कहा कि उसे उन्हें किया गया. इस दौरान जांचकर्ताओं ने उनके साथ उस बातचीत का भी उल्लेख किया, जो दरअसल उन्हें उनके फोन को हैक करने पर पता चली थी.
हालांकि, सऊदी अधिकारियों ने उन्हें को प्रताड़ित करने के आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि उनके मामले की निष्पक्ष सुनवाई की गई थी.
वॉशिंगटन में सऊदी और यूएई दूतावासों से इस पर मांगी गई टिप्पणी का कोई तुरंत जवाब नहीं मिल सका.
हैकिंग के आरोपों पर सितंबर में अमेरिकी संघीय अभियोजकों से एक अलग समझौते में अमेरिका के तीन पूर्व खुफिया कॉन्ट्रैक्टर- मार्क बेयर, रायन एडम्स और डेनियल गेरिक ने यूएई की ओर से सर्विलांस अभियान में शामिल होने की बात स्वीकार की है, जिसमें मोबाइल फोन की हैकिंग भी की गई थी.
गेरिक, बेयर, एडम्स और डार्कमैटर के प्रतिनिधियों से मामले पर मांगी गई टिप्पणी का भी तुरंत जवाब नहीं मिल सका.
वहीं, लुज़ैन ने एक बयान जारी कर कहा, ‘मानवाधिकारों को धता बताते हुए किसी भी सरकार या शख्स को स्पायवेयर मालवेयर के दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए.’
बयान में कहा गया, ‘इसलिए मैंने ऑनलाइन सुरक्षित रहने के लिए और सरकार समर्थित साइबर दुरुपयोग को सीमित करने के लिए हमारे सामूहिक अधिकार के लिए खड़ा रहने का विकल्प चुना.’
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)