प्रवासी कश्मीरी पंडितों को संबोधित करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि उन्हें लगा कि कश्मीर उनका होगा. इस मंच से यह दोहराना चाहता हूं कि अगर आसमान और धरती भी हाथ मिला लें तो भी जम्मू कश्मीर उनके हाथों में नहीं आएगा.
जम्मू: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीर घाटी में आतंकवादियों द्वारा दो पुलिसकर्मियों की हत्या को दुखद कहानी बताते हुए शनिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद खत्म करने और शांति बहाल करने के लिए पाकिस्तान के साथ बातचीत करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है.
दरअसल जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री जम्मू में पार्टी के एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से बातचीत में कश्मीर के बांदीपोरा जिले में आतंकवादियों द्वारा दो पुलिसकर्मियों की हत्या के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘आपको लगता है कि हम खुश हैं कि वे लोगों को मार रहे हैं? यह एक दुखद कहानी है और सरकार कह रही है कि सब कुछ अच्छा चल रहा है.’
उन्होंने सवाल किया, ‘क्या यह अच्छा चल रहा है? क्या लोग सुरक्षित हैं? जब आपके पुलिसकर्मी सुरक्षित नहीं हैं तो एक आम आदमी कैसे सुरक्षित है?’
बांदीपोरा जिले में बीते 10 दिसंबर को एक पुलिस दल पर हुए आतंकी हमले में दो पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे, जिसकी विभिन्न राजनीतिक दलों ने व्यापक निंदा की.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह अब भी पाकिस्तान के साथ बातचीत पर जोर देते हैं? इस पर अब्दुल्ला ने कहा, ‘आपको बात करनी होगी और कोई रास्ता नहीं है.’
अब्दुल्ला ने कहा, ‘आप चीन से बात कर सकते हैं. आप इसके बारे में क्या कहते हैं? चीन आ रहा है और हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर रहा है. वे उस इलाके में अपने घर बना रहे हैं. क्या सरकार ने संसद में इस मामले पर चर्चा करने की अनुमति दी.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवासी कश्मीरी पंडितों को संबोधित करते हुए उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, ‘उन्हें लगा कि नस्ली सफाये के माध्यम से कश्मीर उनका होगा. लेकिन इस मंच से मैं दोहराना चाहता हूं कि भले ही आसमान और धरती हाथ मिला लें, जम्मू कश्मीर उनके हाथों में नहीं आएगा.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे हमदर्दों ने यह सोचकर 1947 के बाद हमारे लिए समस्याएं खड़ी करनी शुरू कर दीं कि उन्हें आपका वोट मिलेगा. माफ कीजिए लेकिन इसमें आपके और हमारी तरफ के लोग शामिल थे, जिन्होंने अपनी कुर्सियां बचाने के लिए जो बन पड़ा किया और कश्मीरी पंडितों और कश्मीरी मुस्लिमों के बीच दरार पैदा करनी शुरू कर दी. उन्होंने दोनों समुदायों के बीच एक दूसरे के लिए इतनी नफरत पैदा कर दी कि मैं इसके बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहता.’
कश्मीरी पंडितों की घर वापसी को लेकर सरकार की पहल का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘इन हत्याओं के बाद योजना को स्थगित करना पड़ा. मैं अपने हाथ उनके खून से नहीं रंग सकता. जब समय आएगा, आपकों सम्मान के साथ वापस लाया जाएगा.’
उन्होंने कहा, ‘मुसलमानों ने आपको (कश्मीरी पंडितों) को पलायन के लिए मजबूर नहीं किया, बल्कि उन निहित स्वार्थों ने किया, जो धर्म को नहीं समझते हैं, और जो इसे कभी नहीं समझेंगे. उनमें आपके और हमारे लोग दोनों शामिल हैं.’
उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को अपने दिल से एक दूसरे के लिए नफरत को दूर करने के लिए कहा. अब्दुल्ला ने कहा, ‘जब तक वह नफरत नहीं जाता, हम शांति से नहीं रह सकते और हमारा दुश्मन इसका फायदा उठाता रहेगा.’
हरियाणा के मुख्यमंत्री के बयान के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में अब्दुल्ला ने कहा कि देश में धार्मिक सहिष्णुता है और संविधान धार्मिक स्वतंत्रता भी प्रदान करता है.
उन्होंने कहा कि अगर वह खुली जगह में नमाज की अनुमति नहीं देते है, तो उन्हें एक ऐसी जगह बनाने दें जहां वे नमाज पढ़ सकें.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)