धर्म के आधार पर भारत का विभाजन ‘ऐतिहासिक गलती’ थी: राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत और बांग्लादेश की आज़ादी के 50 साल पूरे होने के मौके पर हुए एक कार्यक्रम में कहा कि इतिहास में ऐसा मुश्किल ही देखने को मिलेगा कि युद्ध में किसी देश को हराने के बाद भारत ने इस पर अपना वर्चस्व व्यक्त नहीं किया, बल्कि वहां की राजनीतिक शक्तियों को इसे सौंप दिया.

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New Delhi: Union Home Minister Rajnath Singh addresses during the felicitation ceremony of 2nd BSF Mount Everest expedition, in New Delhi on Tuesday, June 05, 2018. (PTI Photo/Arun Sharma)(PTI6_5_2018_000168B)
राजनाथ सिंह. (फोटो: पीटीआई)

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत और बांग्लादेश की आज़ादी के 50 साल पूरे होने के मौके पर हुए एक कार्यक्रम में कहा कि इतिहास में ऐसा मुश्किल ही देखने को मिलेगा कि युद्ध में किसी देश को हराने के बाद भारत ने इस पर अपना वर्चस्व व्यक्त नहीं किया, बल्कि वहां की राजनीतिक शक्तियों को इसे सौंप दिया.

New Delhi: Union Home Minister Rajnath Singh addresses during the felicitation ceremony of 2nd BSF Mount Everest expedition, in New Delhi on Tuesday, June 05, 2018. (PTI Photo/Arun Sharma)(PTI6_5_2018_000168B)
राजनाथ सिंह. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीते रविवार को कहा कि 1971 का युद्ध याद दिलाता है कि धर्म के आधार पर हुआ भारत का विभाजन एक ऐतिहासिक गलती थी और पाकिस्तान तभी से भारत के खिलाफ छद्म युद्ध में शामिल है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंह ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत और भारत-बांग्लादेश मैत्री (पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बनने) के 50 साल पूरे होने के मौके पर इंडिया गेट पर आयोजित स्वर्णिम विजय पर्व कार्यक्रम के उद्घाटन के मौके पर संबोधित करते हुए कहा, ‘इस युद्ध ने भारत के सशस्त्र-बलों के बीच एकजुटता के महत्व को दर्शाया है, जिसकी ओर सरकार अब काम कर रही है.’

सिंह ने कहा, ‘1971 का युद्ध हमें बताता है कि धार्मिक आधार पर भारत का विभाजन एक ऐतिहासिक गलती थी. पाकिस्तान का जन्म एक धर्म के आधार पर हुआ, लेकिन वह एक नहीं रह सका. 1971 की हार के बाद हमारा पड़ोसी देश लगातार भारत में छद्म युद्ध करता रहा.’

उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान आतंकवाद और अन्य भारत विरोधी गतिविधियों के जरिये भारत को तोड़ना चाहता है. भारतीय सेना ने 1971 में पाकिस्तान की योजनाओं को असफल कर दिया था और अब वह हमारी बहादुर सेनाओं के जरिये आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की दिशा में काम कर रहा है. हम सीधे युद्ध में जीते हैं और अब छद्म युद्ध में भी जीत हासिल करेंगे.’

सिंह ने कहा, ‘आज के बदलते समय में एकजुटता को बढ़ावा देने और हमारी तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण पर चर्चा हो रही है. मुझे लगता है कि 1971 का युद्ध इसका सफल उदाहरण है. इस युद्ध ने हमें योजना, प्रशिक्षण और एक साथ होकर लड़ने का महत्व समझाया है.’

उन्होंने 1971 के युद्ध में भारत की जीत की सराहना करते हुए कहा कि इसने दक्षिण एशिया के इतिहास और भूगोल को बदल दिया.

सिंह ने कहा, ‘भारत हमेशा सच्चाई और न्याय के पक्ष में खड़ा रहा है.’

उन्होंने कहा कि यह युद्ध न सिर्फ पाकिस्तानी सेना के खिलाफ था, बल्कि अन्याय और प्रताड़ना के खिलाफ भी था. इसमें पाकिस्तान पर सिर्फ भारत की जीत ही नहीं हुई, बल्कि यह अन्याय पर न्याय, बुराई पर सदाचार की भी जीत थी.

अमेरिकी नागरिक अधिकार नेता मार्टिन लूथर किंग जूनियर का उल्लेख करते हुए सिंह ने कहा, ‘कहीं भी अन्याय हर जगह न्याय के लिए खतरा है. पाकिस्तानी सेना द्वारा बंगालियों पर किए गए अन्याय और अत्याचार एक या अन्य प्रारूप में पूरी मानवता के लिए खतरा थे. पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) के लोगों को अन्याय और उत्पीड़न से मुक्त कराना हमारा धर्म, राष्ट्रीय धर्म और सैन्य धर्म था.’

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘यह युद्ध हमारी नैतिकता, हमारी लोकतांत्रिक परंपराओं और व्यवहार का उदाहरण है. इतिहास में ऐसा मुश्किल ही देखने को मिलेगा कि युद्ध में किसी देश को हराने के बाद भारत ने इस पर अपना वर्चस्व व्यक्त नहीं किया, बल्कि वहां के राजनीतिक शक्तियों को इसे सौंप दिया.’

उन्होंने कहा कि भारत ने बांग्लादेश में लोकतंत्र की स्थापना में योगदान दिया है.

उन्होंने कहा, ‘आज हम बहुत खुश हैं कि बीते 50 सालों में बांग्लादेश ने विकास के मार्ग पर बहुत तेजी से प्रगति की है, जो बाकी दुनिया के लिए प्रेरणा है.’

उन्होंने दोहराया कि भारत ने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया और न ही कभी किसी देश की एक इंच जमीन पर कब्जा किया है.

उन्होंने कहा, ‘आज इस दिन मैं भारतीय सेना के हर जवान के शौर्य और उनके बलिदान को नमन करता हूं, जिसकी वजह से भारत ने 1971 का युद्ध जीता. यह देश उन वीरों के बलिदान का हमेशा ऋणी रहेगा.’

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