केरल हाईकोर्ट ने यूएपीए के आरोपी को ज़मानत दी, कहा- हमले में संलिप्तता के साक्ष्य नहीं

साल 2014 में वायनाड में एक सिविल पुलिस अधिकारी के घर पर हमला करने के मामले में 2015 में 67 वर्षीय आरोपी को गिरफ़्तार किया गया था. आरोपी तब से जेल में बंद था. एनआईए का आरोप है कि आरोपी ने नक्सली विचारधारा को बढ़ावा देने में शामिल एक समूह को हथियारों की आपूर्ति की थी.

केरल हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

साल 2014 में वायनाड में एक सिविल पुलिस अधिकारी के घर पर हमला करने के मामले में 2015 में 67 वर्षीय आरोपी को गिरफ़्तार किया गया था. आरोपी तब से जेल में बंद था. एनआईए का आरोप है कि आरोपी ने नक्सली विचारधारा को बढ़ावा देने में शामिल एक समूह को हथियारों की आपूर्ति की थी.

केरल हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

तिरुवनंतपुरमः केरल हाईकोर्ट की पीठ ने गुरुवार को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम (यूएपीए) अधिनियम की धारा 43डी(5) के तहत नक्सली होने के आरोप में गिरफ्तार किए गए एक 67 वर्षीय विचाराधीन कैदी को जमानत दे दी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2015 में गिरफ्तार किए गए और तब से न्यायिक हिरासत में कैद इब्राहिम उर्फ बाबू को जमानत देते हुए जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस सी. जयचंद्रन की पीठ ने कहा, ‘आरोपी की विचारधारा अन्य आरोपियों की तरह ही है कि वह (हमले की) योजना से वाकिफ था, लेकिन प्रथमदृष्टया हमले में उसकी संलिप्तता दर्शाने के कोई साक्ष्य नहीं हैं.’

इब्राहिम को 2014 में वायनाड में एक सिविल पुलिस अधिकारी के घर पर हमला करने के मामले में 2015 में गिरफ्तार किया गया था.

इस मामले की जांच का जिम्मा जब एनआईए ने संभाला तो उसने आरोपी पर यूएपीए की धारा 43डी(5) के तहत मामला दर्ज किया, जिसका मतलब है कि इस अधिनियम के चैप्टर चार और छह के तहत दंडनीय अपराध के किसी भी आरोपी को जमानत पर रिहा नहीं किया जाएगा और न ही बॉन्ड पर रिहा किया जाएगा, जब तक कि सरकारी अभियोजक को इस तरह की रिहाई के लिए आवेदन पर सुनवाई का अवसर न दिया जाए.

एनआईए का आरोप है कि वायनाड के मेप्पाडी के निवासी इब्राहिम ने नक्सली विचारधारा को बढ़ावा देने में शामिल एक समूह को हथियारों की आपूर्ति की थी.

इस समूह ने नक्सली विरोधी अभियानों में शामिल एक सिविल पुलिस अधिकारी को कथित तौर पर मारने की धमकी दी थी और उसके दोपहिया को आग लगा दी थी.

एनआईए ने इस मामले में अन्य आरोपी कोझिकोड के पय्योली में पेशे से ऑटो ड्राइवर टीवी राजीश को सरकारी गवाह बनाया था.

पीठ ने अपने जमानत आदेश में कहा कि इब्राहिम के खिलाफ साक्ष्य सरकारी गवाह की गवाही है, जिसने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपने बयान में कहा था कि उसने आरोपी को अन्य आरोपी अनूप मैथ्यू के साथ रहते और जाते देखा था.

मैथ्यू फिलहाल न्यायिक हिरासत में है.

एनआईए ने कहा कि जब सरकारी गवाह अन्य दोनों आरोपियों के साथ था तो उन्होंने इस तरह के हमले को लेकर कुछ बात कही थी.

इन दोनों आरोपियों में एक मैथ्यू था. मैथ्यू के पास चार बैग थे, जिनके आकार और वजन से पता चलता था कि इन बैग के अंदर हथियार रखे हुए थे.

अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया इस हमले में आरोपी की संलिप्तता दर्शाने के लिए कुछ भी नहीं है. जमानत देते हुए इस बात पर भी विचार किया गया कि याचिकाकर्ता कई बीमारियों से पीड़ित है.