विशेष अदालतों में यूएपीए के मामलों की सुनवाई में तेज़ी लाना महत्वपूर्ण: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट एक आरोपी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने कहा है कि वह आठ साल से हिरासत में हैं और मामले में आरोप तय किए जाने बाकी हैं. मामले में सुनवाई में देरी हुई है, क्योंकि केवल दो नामित एनआईए अदालतें हैं, जो ग़ैर-एनआईए मामलों के साथ ज़मानत मामले, अन्य आईपीसी अपराध और मकोका मामलों की सुनवाई भी कर रही हैं.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

दिल्ली हाईकोर्ट एक आरोपी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने कहा है कि वह आठ साल से हिरासत में हैं और मामले में आरोप तय किए जाने बाकी हैं. मामले में सुनवाई में देरी हुई है, क्योंकि केवल दो नामित एनआईए अदालतें हैं, जो ग़ैर-एनआईए मामलों के साथ ज़मानत मामले, अन्य आईपीसी अपराध और मकोका मामलों की सुनवाई भी कर रही हैं.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामलों की तेजी से सुनवाई की जाए. अदालत ने यहां विशेष अदालतों में मामलों के त्वरित निस्तारण को सुव्यवस्थित करने के लिए उनके प्रशासन का रुख मांगा.

जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा कि यह उच्च न्यायालय के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के मामलों के शीघ्र निस्तारण के मुद्दे पर विचार करें और उनकी सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन के लिए उचित सिफारिशें करें.

जस्टिस गुप्ता ने कहा, ‘यह उच्च न्यायालय को तय करना है कि मामलों को स्थानांतरित करना है (विशेष अदालतों से अन्य अदालतों में).’

अदालत एक आरोपी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने एक विशेष एनआईए अदालत में अपने खिलाफ यूएपीए के तहत लंबित राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के मामले में दिन-प्रतिदिन सुनवाई का अनुरोध किया था.

अदालत ने कहा, ‘कई आरोपी हैं, चार से 14 तक और गवाह 100 से 500 के करीब हैं, और इस प्रकार सुनवाई में काफी समय लगता है. इसके अलावा, अपराध गंभीर होने और कई बार विदेशी नागरिकों से जुड़े होने के कारण, जमानत आसानी से नहीं दी जाती है. इस प्रकार यह महत्वपूर्ण है कि यूएपीए के तहत अपराध, चाहे एनआईए या दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा जांच की जाती है, विशेष अदालतों द्वारा तेजी से विचार किया जाए.’

अदालत ने आदेश दिया, ‘यूएपीए मामलों में मुकदमे के त्वरित निस्तारण को कारगर बनाने के लिए उठाए गए कदमों का संकेत देते हुए उच्च न्यायालय द्वारा आगे हलफनामा दायर किया जाए.’

उच्च न्यायालय के वकील गौरव अग्रवाल ने बताया कि यूएपीए मामलों की सुनवाई के लिए शहर में एनआईए के लिए दो विशेष अदालतें हैं और गैर-यूएपीए मामलों की सूची का यूएपीए मामलों की स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘एक अदालत के समक्ष केवल 12 मामले लंबित हैं और उनमें से नौ में आरोप तय किए गए हैं, जबकि दूसरी नामित अदालत में जांच पूरी होने में लगने वाले समय के कारण यूएपीए मामलों के लंबित होने के संबंध में मामूली कठिनाई है.’

वकील ने कहा कि यह हाईकोर्ट के लिए नहीं है कि वह अधिक विशेष अदालतों की स्थापना पर आदेश पारित करे, जिस पर अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय को विचार करना होगा (यदि अधिक विशेष अदालतों की आवश्यकता है).

अदालत ने कहा, ‘उच्च न्यायालय सिफारिशें (यदि आवश्यक हो) भेजेगा. यही एकमात्र उद्देश्य है. उच्च न्यायालय यह आकलन करेगा कि आपको कितनी अदालतों की आवश्यकता है.’

वकील कार्तिक मुरुकुटला के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ता मंजर इमाम ने कहा है कि वह आठ साल से हिरासत में हैं और उनके मामले में सुनवाई में देरी हुई है, क्योंकि केवल दो नामित एनआईए अदालतें हैं, जो गैर-एनआईए मामलों के साथ जमानत मामले, अन्य आईपीसी अपराध और मकोका मामलों की सुनवाई भी कर रही हैं.

उन्होंने तर्क दिया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित सुनवाई के मौलिक अधिकार का उल्लंघन के कारण एनआईए के सभी आरोपी वर्षों से सुनवाई के लिए इंतजार रहे हैं.

एनआईए के एक मामले में याचिकाकर्ता को अगस्त 2013 में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य देश में स्थित आईएम स्लीपर सेल और अन्य के साथ मिलकर आतंकवादी कृत्य करने की साजिश रच रहे थे और भारत के प्रमुख स्थानों को निशाना बनाने की तैयारी कर रहे थे.

प्राथमिकी यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत कथित अपराधों के लिए दर्ज की गई थी.

याचिका में कहा गया है, ‘याचिकाकर्ता को लगभग आठ सालों से हिरासत में रखा गया है और मामले में आरोप तय किए जाने बाकी हैं. मामले में आरोपों पर बहस 2014 में ही शुरू हो गई थी, लेकिन आज तक लंबित है. वर्तमान गति और 24 आरोपियों के साथ मुकदमे को पूरा होने में कम से कम और आठ साल (अनुमान के तौर पर) लगने की संभावना है.’

मामले में अगली सुनवाई फरवरी में होगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq