फीस लेकर जासूसी सेवाएं देने वाली ये कंपनियां इंटरनेट पर लोगों की ख़ुफ़िया जानकारी जुटाने और उनकी डिवाइस व एकाउंट में सेंध लगाने का काम करती थीं. सौ देशों में अपने ग्राहकों के लिए इनके निशाने पर नेता, चुनाव अधिकारी, मानवाधिकार कार्यकर्ता और मशहूर हस्तियां थे. इनमें एक भारतीय फर्म भी शामिल है.
नई दिल्ली: सोशल मीडिया कंपनी मेटा (पूर्व में फेसबुक) ने शुक्रवार को कहा कि उसने ऑनलाइन गतिविधियों की जासूसी करने वाली सात इकाइयों का खुलासा किया है, जिसमें भारत की एक कंपनी शामिल है. इन पर जासूसी के लिए करीब 50,000 लोगों को निशाना बनाने का आरोप है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ये इकाइयां 100 देशों में अपने ग्राहकों के लिए नेताओं, चुनाव अधिकारियों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और मशहूर हस्तियों को निशाना बना रही थीं.
फेसबुक ने जासूसी फर्मों के खिलाफ ये कदम ऐसे वक्त पर उठाया है, जब अमेरिकी कंपनियों, संयुक्त राज्य अमेरिका के सांसदों और राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन द्वारा डिजिटल जासूसी सेवाएं देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. मसलन, इस महीने की शुरुआत में इजरायली स्पायवेयर कंपनी एनएसओ ग्रुप को इसकी तकनीक के नागरिक समाज के खिलाफ इस्तेमाल को लेकर ब्लैकलिस्ट किया गया.
निगरानी या जासूसी के लिए शुल्क लेकर सेवाएं (सर्विलेंस-फॉर-हायर) देने वाली ये कंपनियां इंटरनेट पर लोगों को खुफिया जानकारी जुटाने, तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने और उनके उपकरणों एवं खातों में सेंध लगाने के लिए निशाना बनाती थीं.
ये कंपनियां चीन, इजराइल, भारत और उत्तरी मैसेडोनिया में स्थित हैं. इसलिए सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी मेटा (पूर्व में फेसबुक) 100 से अधिक देशों में लगभग 50,000 लोगों को चेतावनी संदेश (अलर्ट) भेज रही है, जिनके बारे में उसे लगता है कि वे इनमें से एक या अधिक संस्थाओं द्वारा लक्षित थे.
इन सात कंपनियों में बेलट्रॉक्स (भारत), साइट्रोक्स (उत्तर मैसेडोनिया), कॉबवेब्स टेक्नोलॉजीज, कॉगनिट, ब्लैक क्यूब (इजराइल) एवं ब्लूहॉक सीआई (इजराइल) तथा चीन की एक अज्ञात इकाई शामिल हैं.
मेटा ने पहले से ही अमेरिकी अदालत में एनएसओ पर मुकदमा कर रखा है. मेटा के सुरक्षा नीति के प्रमुख नथानिएल ग्लीचर ने रॉयटर्स को बताया कि गुरुवार की कार्रवाई यह संकेत देने के लिए थी कि ‘निगरानी उद्योग एक कंपनी की तुलना में बहुत व्यापक है.’
मेटा की रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने लगभग 1,500 एकाउंट्स को निलंबित किया है, जिनमें से ज्यादातर फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप पर सात संगठनों द्वारा चलाए जा रहे फर्जी एकाउंट्स थे. मेटा ने कहा कि इन्होंने 100 से अधिक देशों में लोगों को निशाना बनाया है.
हालांकि मेटा ने इस बारे में विस्तृत विवरण नहीं दिया कि वह निगरानी फर्मों की पहचान कैसे करता है.
मेटा साइबर सुरक्षा अधिकारी डेविड एग्रानोविच ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि गुरुवार की घोषणा के बाद सर्विलेंस-फॉर-हायर के मार्केट में गिरावट आएगी. इस बात के भी संकेत मिले हैं कि अन्य सोशल मीडिया फर्म इसी तरह की कार्रवाई कर रही थीं, ट्विटर ने मेटा की घोषणा के कुछ घंटों बाद 300 एकाउंट्स को हटाने की घोषणा की.
वहीं ग्लीचर ने कहा कि जासूसी फर्मों के लक्ष्यों को स्वचालित चेतावनियां प्राप्त होंगी, लेकिन इसमें शामिल विशिष्ट फर्मों या उनके ग्राहकों की पहचान नहीं बताया जाएगा.
फेसबुक द्वारा की गई फर्मों में से एक ब्लैक क्यूब ने कहा कि वह ‘कोई फिशिंग या हैकिंग नहीं करता है.’ उन्होंने कहा कि फर्म नियमित रूप से यह सुनिश्चित करता है कि ‘उनके सभी एजेंटों की गतिविधियां पूरी तरह से स्थानीय कानूनों के अनुपालन में हों.’
वहीं एक अन्य फर्म कॉबवेब्स के प्रवक्ता ने कहा कि उनके उत्पाद ‘किसी भी तरह से निगरानी नहीं कर रहे हैं.’
मेटा द्वारा खुलासा किए गए नामों बेलट्रॉक्स, जो एक भारतीय फर्म है जिसका नाम पिछले साल रॉयटर्स और इंटरनेट वॉचडॉग सिटीजन लैब ने उजागर किया था, ब्लूहॉक सीआई नामक एक इज़रायली कंपनी और साइट्रोक्स नामक एक यूरोपीय फर्म शामिल हैं- इन सभी मेटा ने हैकिंग का आरोप लगाया है।
बेलट्रॉक्स के संस्थापक सुमित गुप्ता ने इस मामले को लेकर कोई जवाब नहीं दिया है. पिछले साल जब उनकी फर्म का पर्दाफाश हुआ था, तो उन्होंने कोई गलत काम करने से इनकार किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)