बीते जुलाई में हुई धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत की सीबीआई जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट को सौंपी है. केंद्रीय एजेंसी के रवैये से असंतुष्ट हाईकोर्ट ने पहले कहा था कि उसकी चार्जशीट किसी ‘उपन्यास’ सरीखी है, जिसे केवल औपचारिकतावश दाख़िल किया गया है.
नई दिल्लीः झारखंड हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर को एक बार फिर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को फटकार लगाते हुए कहा कि एजेंसी रिपोर्ट पर रिपोर्ट दायर कर रही है लेकिन अभी तक जज की हत्या के कारणों का खुलासा नहीं कर पाई है.
हाईकोर्ट ने कहा, ऐसे में लगता है इस मामले में सीबीआई निदेशक को ही बुलाकर सवाल पूछना होगा. हालांकि अदालत की नाराजगी पर सीबीआई ने कहा कि इस मामले का जल्द खुलासा होगा.
ज्ञात हो कि सीसीटीवी फुटेज से पता चला था कि 28 जुलाई को धनबाद के 49 वर्षीय जज उत्तम आनंद सुबह की सैर के लिए निकले थे कि रणधीर चौक के पास एक एक ऑटो रिक्शा उन्हें पीछे से टक्कर मारकर भाग गया.
स्थानीय लोगों को वह खून से लथपथ मिले थे और उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था.
याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने कहा, ‘एजेंसी (सीबीआई) रिपोर्ट पर रिपोर्ट दाखिल कर रही है लेकिन हत्या के पीछ की मंशा और उद्देश्य के साथ इस साजिश में शामिल अन्य लोगों का पता नहीं चल सका है.’
हाईकोर्ट ने अक्टूबर में कहा था कि सीबीआई द्वारा दायर की गई चार्जशीट एक उपन्यास की तरह है और एजेंसी दो आरोपियों के विरुद्ध हत्या के आरोप की पुष्टि नहीं कर पाई है.
हाईकोर्ट ने कई मौकों पर इस मामले पर सीबीआई को फटकार लगाई है. 22 अक्टूबर को अदालत ने कहा था कि ऐसा लग रहा है कि एजेंसी जांच पूरी करते हुई और ‘घिसे-पिटे ढर्रे’ पर आरोपपत्र दाखिल करते हुए ‘बाबुओं’ की तरह काम कर रही है. ऐसा लगता है कि यह केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए दाख़िल किया गया है.
सीबीआई ने इससे पहले कई बार अदालत को बताया था कि जांच पूरी तरह से चल रही है और आनंद की हत्या को लेकर दोनों आरोपियों के कई अन्य लोगों के साथ संबंधों का पता लगाया जा रहा है.
धनबाद पुलिस ने गिरिडीह जिले से ऑटो रिक्शा को जब्त किया था और ऑटो रिक्शा ड्राइवर लखन वर्मा और उनके सहयोगी राहुल वर्मा को गिरफ्तार किया था.
राज्य पुलिस का विशेष जांच दल (एसआईटी) पहले इस मामले की जांच कर रहा था लेकिन राज्य सरकार ने बाद में इस मामले की जांच कमान सीबीआई को सौंप दी, जिसने चार अगस्त से इसकी जांच शुरू की.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अब तक की जांच की निगरानी करने के लिए झारखंड हाईकोर्ट को निर्देश दिया था. हाईकोर्ट ने भी मामले की जांच के तरीके पर नाराजगी जताई थी.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने जजों को सुरक्षा मुहैया कराने पर एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि केंद्रीय एजेंसियां न्यायपालिका की बिल्कुल मदद नहीं कर रही हैं.
सीजेआई ने आनंद की मौत का उल्लेख करते हुए कहा था, ‘एक युवा जज की दुर्भाग्यपूर्ण मौत के मामले को देखिए. यह सरकार की असफलता है. क्षेत्र में कोयला माफिया हैं और जजों के आवासों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए.’ पीठ ने भी जज की मौत को सरकार की असफलता बताया था.
गौरतलब है कि धनबाद के 49 वर्षीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद बीते 28 जुलाई की सुबह टहलने निकले थे, जब रणधीर चौक के पास एक ऑटो रिक्शा उन्हें पीछे से टक्कर मारकर भाग गया. पहले इस घटना को हिट एंड रन केस माना जा रहा था, लेकिन घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पता चला कि ऑटो रिक्शा चालक ने कथित तौर पर जान-बूझकर जज को टक्कर मारी थी.
23 सितंबर को सीबीआई ने बताया था कि ऑटो चालक ने न्यायाधीश को जान-बूझकर टक्कर मारी थी और यह कोई हादसा नहीं था. घटना के पीछे के षड्यंत्र की जांच की जा रही है.
अदालत ने कहा था कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी न्यायिक अधिकारी की हत्या की गई है. इस घटना से न्यायिक अधिकारियों का मनोबल कम हुआ है और अगर इस मामले का जल्द से जल्द खुलासा नहीं किया गया तो यह न्यायिक व्यवस्था के लिए सही नहीं होगा.
बीते अगस्त माह में सीबीआई द्वारा जांच अपने हाथ में लेने के बाद पहली बार इस मामले की सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने जांच का उचित अपडेट नहीं दे पाने के लिए एजेंसी के जांच अधिकारी की खिंचाई करते हुए कहा था कि उन्हें विवरण के साथ मामले की पूरी जानकारी होनी चाहिए.
(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)