पश्चिम बंगाल के बर्धमान ज़िले में दो दिनों में तीन किसान मृत पाए गए

दो किसान 18 दिसंबर को रैना प्रथम मंडल में देबीपुर और बंतीर गांवों में अपने घरों में फंदे से लटके पाए गए. बिरुहा गांव में 17 दिसंबर को एक अन्य किसान का शव अपने घर में फंदे से लटका मिला. मृतक किसानों के परिवारों ने दावा किया कि चक्रवात जवाद के कारण बेमौसम बारिश से आलू और धान की फ़सलें ख़राब होने के बाद उन्होंने आत्महत्या की है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

दो किसान 18 दिसंबर को रैना प्रथम मंडल में देबीपुर और बंतीर गांवों में अपने घरों में फंदे से लटके पाए गए. बिरुहा गांव में 17 दिसंबर को एक अन्य किसान का शव अपने घर में फंदे से लटका मिला. मृतक किसानों के परिवारों ने दावा किया कि चक्रवात जवाद के कारण बेमौसम बारिश से आलू और धान की फ़सलें ख़राब होने के बाद उन्होंने आत्महत्या की है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

वर्धमान: पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान जिले में पिछले दो दिनों में तीन किसान मृत पाए गए हैं. पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी.

मृतक किसानों के परिवारों ने दावा किया कि चक्रवात जवाद के कारण बेमौसम बारिश से आलू और धान की फसलें खराब होने के बाद उन्होंने आत्महत्या की है. जिला प्रशासन घटनाओं की जांच कर रहा है.

दो किसान शनिवार (18 दिसंबर) को रैना प्रथम मंडल में देबीपुर और बंतीर गांवों में अपने घरों में फंदे से लटके पाए गए. बिरुहा गांव में शुक्रवार (17 दिसंबर) को एक अन्य किसान कलना द्वितीय मंडल का शव अपने घर में फंदे से लटका मिला.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि शवों को पोस्टमार्टम के लिए वर्धमान मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल भेजा गया है.

जिला मजिस्ट्रेट प्रियंका सिंगला ने कहा कि घटनाओं की जांच चल रही है.

रैना प्रथम मंडल के बीडीओ सौमेन बानिक ने कहा कि प्रारंभिक जांच के बाद यह पाया गया कि फसलों को हुए नुकसान के कारण आत्महत्याएं नहीं की गईं और पुलिस तथा कृषि विभाग को घटनाओं की जांच करने के लिए कहा गया है.

कृषि पर राज्य सरकार के सलाहकार प्रदीप मजूमदार ने कहा कि किसानों ने आत्महत्या फसलों को हुए नुकसान के कारण नहीं की होंगी, क्योंकि उन्हें एक सप्ताह पहले ‘कृषक बंधू’ योजना के तहत वित्तीय मदद मिली थी.

रैना की विधायक शम्पा धारा ने भी दावा किया कि फसलों को हुए नुकसान के कारण मौत नहीं हुई हैं.