जम्मू कश्मीर: बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से उपजे संकट से निपटने के लिए सेना की मदद मांगी गई

पावर ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन के क़रीब 20,000 कर्मचारियों ने वेतन का भुगतान नहीं होने का आरोप लगाते हुए जम्मू और कश्मीर डिवीज़नों को पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ विलय के फ़ैसले के विरोध में यह प्रदर्शन शुरू किया है. सरकार के इस क़दम को प्रदर्शनकारी इस केंद्रशासित राज्य की संपत्ति की ‘बिक्री’ के तौर पर देख रहे हैं.

पावर ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन के क़रीब 20,000 कर्मचारियों ने वेतन का भुगतान नहीं होने का आरोप लगाते हुए जम्मू और कश्मीर डिवीज़नों को पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ विलय के फ़ैसले के विरोध में यह प्रदर्शन शुरू किया है. सरकार के इस क़दम को प्रदर्शनकारी इस केंद्रशासित राज्य की संपत्ति की ‘बिक्री’ के तौर पर देख रहे हैं.

बिजली विभाग के ऑफिस में मौजूद सेना के जवान. (फोटो साभार: ट्विटर/@kamaljitsandhu)

जम्मू: जम्मू में बिजली विभाग के कर्मचारियों की जारी हड़ताल से प्रभावित आवश्यक सेवाओं को बहाल करने के लिए सेना को तैनात किया गया है. अधिकारियों ने बीते रविवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि प्रशासन के अनुरोध के बाद हड़ताल से उपजे हालात से निपटने के लिए यह तैनाती की गई.

जम्मू संभागीय आयुक्त राघव लंगर ने सेना को संबोधित एक पत्र में कहा कि बिजली विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल के कारण जम्मू क्षेत्र में आवश्यक सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.

उन्होंने कहा, ‘हम मुख्य बिजली स्टेशनों और जलपूर्ति स्रोतों की बहाली के जरिये आवश्यक सेवाओं को सामान्य करने में सहायता के लिए भारतीय सेना की मदद चाहते हैं.’

अधिकारियों ने कहा कि सेना ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आवश्यक आपूर्ति बहाल करने के लिए अपने सैनिकों को महत्वपूर्ण बिजली स्टेशनों और मुख्य जलापूर्ति स्रोतों पर तैनात किया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जम्मू पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक शिव नंद ने कहा कि सरकार संयुक्त उद्यम को रोकने और ‘कर्मचारियों द्वारा उठाए गए चिंता के सभी क्षेत्रों की फिर से जांच’ करने के लिए सहमत हो गई है.

नंद ने कहा, ‘लेकिन कर्मचारियों ने अब नई मांगों को उठाया है. उनका कहना है कि उन्हें पिछली व्यवस्था के अनुसार सरकारी खजाने से वेतन दिया जाए, जो कि केंद्रशासित प्रदेश में बिजली क्षेत्र के सुधारों को देखते हुए संभव नहीं है.’

आंदोलन की अगुवाई कर रही जम्मू कश्मीर बिजली कर्मचारी और इंजीनियर समन्वय समिति के अध्यक्ष जयपाल शर्मा ने कहा, ‘केंद्रशासित प्रदेश का वित्त विभाग हमें प्रतिनियुक्ति (डेप्यूटेशन) पर सरकारी कर्मचारी मानते हुए सरकारी खजाने से हमें सैलरी देने के लिए एक आदेश जारी कर सकता है. साल 2019 में निगमों के गठन के बाद से हमें दिवाली जैसे त्योहारों पर भी भुगतान नहीं किया गया है, क्योंकि हमें वेतन का भुगतान निगमों को सहायता अनुदान से किया जाता है.’

बता दें कि सरकार के निजीकरण के कदम के खिलाफ और दो दौर की वार्ता विफल होने के बाद बिजली विभाग के लाइनमैन से लेकर वरिष्ठ अभियंताओं ने बीते 18 दिसंबर को अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी.

इसके चलते जम्मू कश्मीर के कई इलाकों में बिजली गुल हो गई. रात के समय जम्मू कश्मीर के लगभग 50 प्रतिशत इलाकों में अंधेरा छाया रहा.

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि साल 2019 में जब तत्कालीन राज्य को लद्दाख और जम्मू कश्मीर, दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था, जम्मू कश्मीर बिजली विकास विभाग को कश्मीर और जम्मू दोनों डिवीजनों के लिए पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीटीसीएल) और पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीडीसीएल) में विभाजित किया गया था.

बीते चार दिसंबर को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड और पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड को पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ विलय करने की घोषणा की थी.

प्रशासन के इस कदम को प्रदर्शनकारी कर्मचारी इस केंद्रशासित राज्य की संपत्ति की ‘बिक्री’ के तौर पर देख रहे हैं.

2019 में जब तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित राज्यों- लद्दाख और जम्मू कश्मीर में विभाजित किया गया था, उसी समय जम्मू कश्मीर बिजली विकास विभाग (जेकेपीडीडी) के विभाजन के बाद ये दोनों कॉरपोरेशन/निगम अस्तित्व में आए थे.

जम्मू कश्मीर में निजीकरण और अन्य मांगों को लेकर बिजली विकास विभाग के कर्मचारी बीते रविवार को लगातार दूसरे दिन हड़ताल पर रहे, जिससे कई इलाकों में पूर्ण ब्लैकआउट की स्थिति उत्पन्न हो गई.

इससे नाराज जम्मू और कश्मीर के लोगों ने भी रविवार को प्रदर्शन किया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश में करीब 20 हजार बिजली कर्मचारियों ने जम्मू कश्मीर पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड और पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के प्रस्तावित संयुक्त उद्यम की योजना को ठंडे बस्ते में डालने सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर काम का बहिष्कार कर दिया है.

बिजली आपूर्ति कर्मचारी समन्वय समिति के प्रवक्ता ने बताया कि रविवार को उन्होंने सभी जिला मुख्यालयों और दोनों राजधानियों जम्मू-श्रीनगर में प्रदर्शन किया.

अधिकारियों ने बताया कि हड़ताल की वजह से केंद्र शासित प्रदेश के कई इलाकों में पूर्ण ब्लैक आउट है. इससे होने वाली परेशानी और पानी आदि की आपूर्ति रुकने से नाराज जम्मू और अन्य शहरों के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और अपनी नाराजगी जताई.

सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि जम्मू कश्मीर की सरकार कर्मचारियों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर रही है और बिजली कर्मचारियों की समन्वय समिति के साथ गोलमेज वार्ता कर रही है.

पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने उम्मीद जताई कि पूरे मामले का यथाशीघ्र शांतिपूर्ण समाधान निकल आएगा.

इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सरकार से कहा कि वह निजीकरण के फैसले को निर्वाचित सरकार पर छोड़ दें.

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक देवेंद्र राणा ने जम्मू शहर के कई हिस्से अंधेरे में रहने पर चिंता जताई और प्रशासन से आह्वान किया कि वह इस मुद्दे के समाधान के लिए जल्द कदम उठाए.

जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष सईद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने भी सरकार द्वारा ग्रिड का निजीकरण करने के फैसले के खिलाफ बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर गंभीर चिंता जताई. उन्होंने फैसले की समीक्षा करने की मांग की.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)