पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, बेअदबी के आरोपी को सार्वजनिक फ़ांसी देनी चाहिए

पंजाब विधानसभा ने साल 2018 में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के संबंध में दो विधेयकों को पारित किया था, जिसमें आरोपियों को उम्रक़ैद की सज़ा देने का प्रावधान किया गया है. उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि राष्ट्रपति इन कानूनों को तत्काल मंज़ूरी प्रदान करें. 

Chandigarh: Punjab Cabinet Minister Navjot Singh Sidhu during a press conference in Chandigarh on Tuesday, Aug 21, 2018. (PTI Photo) (PTI8_21_2018_000094B)
नवजोत सिंह सिद्धू. (फोटो: पीटीआई)

पंजाब विधानसभा ने साल 2018 में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के संबंध में दो विधेयकों को पारित किया था, जिसमें आरोपियों को उम्रक़ैद की सज़ा देने का प्रावधान किया गया है. उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि राष्ट्रपति इन कानूनों को तत्काल मंज़ूरी प्रदान करें.

Chandigarh: Punjab Cabinet Minister Navjot Singh Sidhu during a press conference in Chandigarh on Tuesday, Aug 21, 2018. (PTI Photo) (PTI8_21_2018_000094B)
नवजोत सिंह सिद्धू. (फोटो: पीटीआई)

चंडीगढ़: पंजाब में सिखों के धार्मिक ग्रंथ की कथित बेअदबी को लेकर 24 घंटे में दो व्यक्तियों की पीट-पीटकर हत्या की घटना के बीच राज्य कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने धार्मिक ग्रंथों को अपवित्र करने के आरोपियों के लिए सार्वजनिक फांसी की मांग की है.

वहीं दूसरी ओर पंजाब के उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने केंद्र से ‘बेअदबी के मामलों में कड़ी सजा’ के लिए राज्य के दो विधेयकों पर राष्ट्रपति की मंजूरी दिलाने की मांग की है.

बीते 19 दिसंबर को मलेरकोटला में एक रैली को संबोधित करते हुए पंजाब कांग्रेस प्रमुख सिद्धू ने कहा कि बेअदबी के मामलों ने लोगों की भावनाओं को आहत किया है और मांग की कि ऐसे मामलों के आरोपियों को सार्वजनिक रूप से फांसी देनी चाहिए.

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘कुरान शरीफ हो या भगवद गीता या गुरु ग्रंथ साहिब, जहां कहीं भी बेअदबी होती है, उन्हें (दोषियों को) सार्वजनिक रूप से फांसी दी जानी चाहिए और सबसे बड़ी संवैधानिक सजा दी जानी चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘ये हमारी भावनाओं को एक ठेस है. गलतियां कोई भी कर सकता है, लेकिन ये गलती नहीं एक कौम को दबाने की साजिश है. एक कौम को खत्म करने की साजिश है.’

उन्होंने आरोप लगाया कि ‘एक समुदाय के खिलाफ साजिश’ और कट्टरपंथी ताकतें पंजाब में शांति भंग करने की कोशिश कर रही हैं.

सिद्धू की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब पंजाब के अधिकांश राजनेता महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से पहले इस विषय पर बहुत सावधानी बरत रहे हैं.

जहां अधिकांश प्रमुख राजनीतिक हस्तियों ने कथित बेअदबी के प्रयासों की कड़ी निंदा की है और इसके पीछे एक साजिश की ओर इशारा किया है, वहीं वे आरोपियों की मॉब लिंचिंग पर बोलने से कतराते हुए नजर आ रहे हैं.

राज्य के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भी कथित बेअदबी के प्रयासों की निंदा की है, लेकिन लिंचिंग पर चुप्पी साधी है.

मुख्यमंत्री ने आशंका जताई है कि विधानसभा चुनाव को देखते हुए घटना के पीछे कुछ ‘विरोधी’ ताकतें शामिल हो सकती हैं.

बीते 19 दिसंबर को उन्होंने कहा था कि वह कथित बेअदबी के प्रयास से बहुत आहत हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी निंदा की जानी चाहिए. उन्होंने कहा था कि अगर कोई गलत इरादे से आया है तो खुफिया एजेंसियां उन्हें पकड़ने और बेनकाब करने की कोशिश करेंगी.

मुख्यमंत्री ने लोगों से शांति, सद्भाव, भाईचारे और धार्मिक सहिष्णुता के मूल्यों के प्रति भरोसा बनाए रखने के साथ संयम बरतने का आह्वान किया.

साल 2018 में पंजाब विधानसभा ने बेअदबी को लेकर दंड प्रक्रिया संहिता (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2018 और भारतीय दंड संहिता (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2018 को मंजूरी दे दी थी. इसे राज्यपाल ने भी अपनी सहमति प्रदान कर दी थी, लेकिन अभी तक राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी नहीं दी है, जिसकी मांग उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने की है.

इन कानूनों के तहत लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मकसद से गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद गीता, कुरान और बाइबिल की बेअदबी करने वाले व्यक्ति को उम्रकैद तक की सजा देने का प्रावधान किया गया है.

एनडीटीवी के मुताबिक, बीते 20 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे अपने पत्र में रंधावा ने कहा, ‘पंजाब में पवित्र पुस्तकों की बेअदबी एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है’.

उन्होंने लिखा, ‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों द्वारा एक जीवित गुरु माना जाता है, न कि एक वस्तु और इसे सिख मर्यादा के अनुसार सम्मान दिया जाता है.’

उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा कानूनी प्रावधान, जिसके तहत तीन साल तक की जेल का प्रावधान है, इस स्थिति से निपटने के लिए अपर्याप्त हैं.

उन्होंने कहा, ‘एक सीमावर्ती राज्य होने के नाते पंजाब में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना बेहद जरूरी है. इसके लिए, बेअदबी करके सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश करने वालों के लिए कठोर सजा जरूरी है. इसलिए, मैं फिर से अनुरोध करता हूं कि उक्त विधेयकों पर राष्ट्रपति की सहमति कृपया यथाशीघ्र प्राप्त कराएं और राज्य सरकार को अवगत कराएं.’

मालूम हो कि अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में बीते 18 दिसंबर को कथित तौर पर बेअदबी का प्रयास करने पर गुस्साई भीड़ ने एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी.

इस घटना के 24 घंटे के भीतर (19 दिसंबर) ही कपूरथला के निजामपुर गांव स्थित एक गुरुद्वारे में बेअदबी के आरोप में एक अन्य व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. इस मामले में पुलिस ने बेअदबी किए जाने से इनकार किया है.

कपूरथला मामला: पंजाब पुलिस अधिकारी हत्या पर प्राथमिकी के बयान से पलटे

कपूरथला मामले में पुलिस ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों से संबंधित आईपीसी की धारा 295ए के तहत मामला दर्ज किया है और कहा है कि वे हत्या की भी जांच करेंगे.

हालांकि पुलिस अधिकारी घटना के बाद हत्या की प्राथमिकी दर्ज करने के अपने बयान से पलट गए हैं. पुलिस महानिरीक्षक गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने बीते 19 दिसंबर को हुई घटना के कुछ घंटों बाद की गई प्रेसवार्ता में पहले कहा था कि इस मामले में दो प्राथमिकी दर्ज की जा रही हैं.

ढिल्लों ने कहा था कि गुरुद्वारा प्रबंधक के बयान पर कथित बेअदबी को लेकर एक प्राथमिकी, जबकि दूसरी प्राथमिकी एसएचओ के बयान के आधार पर दर्ज की जा रही है जिसमें चार नामजद और 100 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया.

प्रेसवार्ता में मौजूद कपूरथला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरकमलप्रीत सिंह खाख ने भी हत्या का मुकदमा दर्ज किए जाने की बात कही थी.

हालांकि, प्रेसवार्ता के दौरान दोनों अधिकारियों के पास कुछ फोन कॉल आने के बाद अधिकारियों ने कहा कि दूसरी प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी और केवल बेअदबी के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)