जेएनयू में जीएसकैश भंग करने पर यूजीसी की समिति ने उठाए सवाल

प्रशासन को लिखे एक पत्र में समिति ने पूछा है कि अच्छी तरह काम कर रही कमेटी को भंग करने की ज़रूरत क्यों पड़ी.

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प्रशासन को लिखे एक पत्र में समिति ने पूछा है कि अच्छी तरह काम कर रही कमेटी को भंग करने की ज़रूरत क्यों पड़ी.

JNU GSCASh
फोटो साभार: jnu.ac.in

विश्वविद्यालयों में लैंगिक संवदेनशीलता सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा नियुक्त सक्षम कार्यबल समिति के सदस्यों ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के, यौन शोषण के खिलाफ लैंगिक संवेदनशीलता समिति यानी जेंडर सेंसिटाइजेशन कमेटी एगेंस्ट सेक्सुअल हैरासमेंट (जीएसकैश) को भंग करने के फैसले पर सवाल उठाए हैं.

जेएनयू प्रशासन को 26 सितंबर को भेजे एक खुले पत्र में कार्यबल समिति ने कहा, ‘हम यह समझ नहीं पा रहे कि जेएनयू में अच्छी तरह से काम कर रही संस्था को भंग करने की ज़रूरत क्यों हुई? क्या कोई ऐसा महत्वपूर्ण पहलू है जिसकी हमें जानकारी नहीं है और जिसे हमें जानना चाहिए.’

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सक्षम कार्यबल समिति के सदस्यों में अंजलि भारद्वाज, जानकी अब्राहम, कुलविंदर कौर, मैरी ई जॉन, मीनाक्षी गोपीनाथ, संजय श्रीवास्तव, सूजी थारू और उमा चक्रवर्ती हैं.

ज्ञात हो कि जेएनयू प्रशासन ने बीते 18 सितंबर को अपनी 269 वीं कार्यकारी परिषद की बैठक में जीएसकैश के स्थान पर आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) को लाने का फैसला किया था.

प्रशासन के इस फैसले की छात्रों, शिक्षक संस्थाओं और महिला अधिकार संगठनों ने कड़ी आलोचना की थी.