उत्तराखंड कांग्रेस: हरीश रावत ने कहा, उनके हाथ बंधे हुए हैं, अब आराम का समय है

उत्तराखंड में अगले कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में गतिरोध उभरने लगा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री रह चुके हरीश रावत ने संगठन पर उनके साथ असहयोग करने के आरोप लगाए हैं. बताया जा रहा है कि राज्य में कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव और हरीश रावत के आपसी संबंध बहुत अच्छे नहीं हैं. रावत, यादव के कामकाज की शैली से नाखुश हैं और उन्हें ख़ुद को दरकिनार करने के प्रयास का संदेह है.

कांग्रेस नेता हरीश रावत. (फोटो: पीटीआई)

उत्तराखंड में अगले कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में गतिरोध उभरने लगा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री रह चुके हरीश रावत ने संगठन पर उनके साथ असहयोग करने के आरोप लगाए हैं. बताया जा रहा है कि राज्य में कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव और हरीश रावत के आपसी संबंध बहुत अच्छे नहीं हैं. रावत, यादव के कामकाज की शैली से नाखुश हैं और उन्हें ख़ुद को दरकिनार करने के प्रयास का संदेह है.

कांग्रेस नेता हरीश रावत. (फोटो: पीटीआई)

देहरादून: उत्तराखंड में 2022 की शुरुआत में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस महासचिव हरीश रावत द्वारा बुधवार को संगठन पर उनके साथ असहयोग करने का आरोप लगाए जाने के बाद पार्टी के समक्ष नया संकट पैदा हो गया है.

इस संबंध में उन्होंने अपने फेसबुक और ट्विटर एकाउंट पर पोस्ट किए हैं.

प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने एक ट्वीट में कहा, ‘है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर कर खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है.’

उन्होंने कहा कि सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं और जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘मन में बहुत बार विचार आता है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिए, अब आराम का समय है.’

हालांकि, रावत ने कहा कि फिर उनके मन के एक कोने से आवाज उठ रही है कि ‘न दैन्यं न पलायनम्.’ उन्होंने कहा, ‘बड़ी उपापोह की स्थिति में हूं, नया साल शायद रास्ता दिखा दे. मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे.’

एक मीडिया हाउस द्वारा आयोजित एक कानक्लेव में उनके ट्वीट के बारे में पूछे जाने पर रावत ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि कौन लोग उनसे मुंह फेर रहे हैं, लेकिन उन्होंने ‘मगरमच्छों’ वाली टिप्पणी पर खुल कर बात की.

उन्होंने कहा, ‘देश के गृहमंत्री (अमित शाह) जब यहां आते हैं, मुझे चेतावनी देकर जाते हैं कि ज्यादा बोलेगा तो सीबीआई खड़ी है और तुम पर मुकदमा है. वह मुझे किसी के द्वारा किए गए स्टिंग की याद दिलाते हैं. लेकिन जिस तरह का स्टिंग किया गया वह महापाप है. लेकिन उस महापाप से न केवल सत्ता जुड़ी, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से मुझे धमकी भी देकर गई.’

रावत ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग आदि सब मगरमच्छ हैं. उन्होंने कहा, ‘राजनीति के समुद्र में राजनीतिक विरोधियों को निगलने के लिए सत्ता ने ये मगरमच्छ छोड़ रखे हैं.’

हालांकि, उन्होंने उन नामों का खुलासा नहीं किया जो संगठन में उनसे मुंह फेर रहे हैं और कहा कि हर चीज के लिए एक उचित समय होता है.

उन्होंने कहा, ‘वे कौन हैं, क्या हैं, यह बताने के लिए भी समय निकाला जाएगा. सही समय आने पर उसका जवाब दिया जाएगा.’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और रावत के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार से सवाल करने पर उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर की कुछ ताकतें उत्तराखंड में पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित करने के लिए भाजपा के हाथों में खेल रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘उत्तराखंड में हरीश रावत का कोई विकल्प नहीं है. वह प्रदेश में सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं, जिन्होंने पार्टी का झंडा उठाकर रखा है. लेकिन कुछ ताकतें राज्य में कांग्रेस की सत्ता में वापसी की संभावनाओं को समाप्त करने के लिए भाजपा के हाथों में खेल रही हैं.’

यह पूछे जाने पर कि क्या रावत की परेशानी का उत्तराखंड में पार्टी मामलों के प्रभारी देवेंद्र यादव से कोई संबंध है, कुमार ने कहा, ‘देवेंद्र यादव हमारे प्रभारी हैं. उनकी भूमिका पंचायत प्रमुख की है. लेकिन पंचायत प्रमुख अगर पार्टी कार्यकर्ताओं के हाथ बांधना शुरू कर देंगे और पार्टी की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाएंगे, तो हाई कमान को इस पर संज्ञान लेना चाहिए.’

माना जाता है कि यादव और हरीश रावत के आपसी संबंध बहुत अच्छे नहीं हैं. जहां रावत समर्थकों का कहना है कि 2022 विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जा रहा है, वहीं यादव यह कहते रहे हैं कि आगामी चुनाव पार्टी सामूहिक नेतृत्व में लड़ेगी.

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में हरीश रावत से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया है कि वह (रावत) एआईसीसी के राज्य प्रभारी देवेंद्र यादव के कामकाज की शैली से नाखुश हैं और उन्हें दरकिनार करने के प्रयास का संदेह है. सूत्रों ने बताया कि रावत और यादव के बीच कुछ समय से तनाव चल रहा है.

एक संवाददाता सम्मेलन में 73 वर्षीय रावत ने कहा कि वह अपने सोशल मीडिया पोस्टों के बारे में बाद में बात करेंगे. उन्होंने कहा, ‘आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस राज्य में रोजगार के मुद्दे पर है और बेरोजगार कैसे दर्द में हैं, जो बातें मैंने ट्वीट में कही हैं, उस पर फिर कभी बात करूंगा.’

हालांकि रावत से जुड़े करीबी सूत्रों ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव पार्टी के चुनाव प्रचार में रोड़ा अटका रहे हैं.

रावत से जुड़े एक करीबी नेता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘एआईसीसी प्रभारी का कर्तव्य विभिन्न नेताओं के बीच समन्वय सुनिश्चित करना है, लेकिन ऐसी धारणा है कि यादव खुद पार्टी बन रहे हैं. कांग्रेस और रावत के खिलाफ बेहद गंभीर साजिश है. भाजपा यह सुनिश्चित करने के लिए साजिश रच रही है कि कांग्रेस सत्ता में वापस न आए.’

एक अन्य नेता ने दावा किया कि इस सप्ताह की शुरुआत में राहुल गांधी की जनसभा की पूर्व संध्या पर रावत के पोस्टर और कट आउट ‘जान-बूझकर’ ‘मुख्य स्थानों’ से हटा दिए गए थे. पार्टी प्रभारी ने इसका संज्ञान नहीं लिया, यहां तक कि झंडे और पास बांटने जैसे छोटे-छोटे काम भी यादव के लोगों ने ही किए.

उत्तराखंड में कांग्रेस लंबे समय से गुटबाजी से परेशान है और उसने अभी तक अगले साल होने वाले चुनावों के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा पेश नहीं किया है. राज्य के कई नेता निजी तौर पर स्वीकार करते हैं कि पार्टी इस बार रावत पर भरोसा कर सकती है.

कांग्रेस आलाकमान ने कुछ महीने पहले अपने वरिष्ठ नेता हरीश रावत को पंजाब में हुए तीव्र अंतर्कलह को हल करने का कठिन काम सौंपा था, जिसके परिणामस्वरूप अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया था और एक दलित चेहरे चरणजीत सिंह चन्नी को इस पद पर बैठाया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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