हरियाणा के हिसार ज़िले के मिरकन गांव की 14 दिसंबर की घटना. हिसार सिविल अस्पताल के बाहर धरने पर बैठे पीड़ित परिवार का आरोप है कि उच्च जाति के क़रीब 17 जाट लोगों ने पंप चुराने के आरोप में दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी. परिवार ने पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाए हैं.
हिसारः हरियाणा के हिसार जिले के मिरकन गांव में बीते 14 दिसंबर को 40 साल के एक दलित व्यक्ति की कथित तौर पर करीब 17 लोगों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी, जबकि उसके दो चचेरे भाइयों को इस हिंसा में गंभीर रूप से घायल कर दिया.
जाट समुदाय के आरोपियों ने कथित तौर पर पीड़ित शख्स पर पानी का पंप चुराने का आरोप लगाया था.
मृतक की पहचान विनोद सिंह के रूप में की गई है. उनके चचेरे भाइयों- संदीप और भाल सिंह का अस्पताल में इलाज चल रहा है. भाल सिंह की हालत नाजुक बनी हुई है.
विनोद की पत्नी सुमन ने द वायर को बताया, ‘जब वह काम से घर लौटे तो ‘उच्च जाति’ के कुछ जाट लोग उनके घर आए और काम दिलाने के बहाने उन्हें अपने साथ ले गए.’
ठंड के बीच अपने एक साल के नवजात बच्चे को अपने हाथों में थामे सुमन हिसार के सिविल अस्पताल के बाहर धरने पर हैं. पीड़ित परिवार यहां दस दिन से अधिक समय से लगातार धरने पर बैठा है.
सुमन ने कहा, ‘उन्हें गेहूं के खेत में काम करने के बहाने बुलाया गया. हमें नहीं पता था कि वह नहीं लौटेंगे. हम कई दिनों से यहां गहरे संकट में हैं.’
मृतक के परिवार ने आरोपियों की गिरफ्तारी तक शव लेने से इनकार कर दिया है.
सुमन कहती हैं, ‘मेरा एक साल का बेटा है और यहां उसके लिए और मेरे लिए कोई नहीं है. मैं खुद के भरोसे हूं.’
मिरकान गांव में 25 से 30 परिवार हैं. उच्च जाति के जाट लोगों का क्षेत्र में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रभुत्व है.
विनोद की बहन मंजू ने द वायर से बात करते हुए कहा, ‘हमने कई दिनों से कुछ नहीं खाया है. हमारे परिवार में कुल 12 लोग हैं. वह घर चलाने वाले अकेले शख्स थे. हम लगभग दस दिनों से यहां धरने पर बैठे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘पुलिस जो कर रही है, हम उससे संतुष्ट नहीं है. पहले, उन्होंने हमें बताया कि उन्होंने छह लोगों को गिरफ्तार किया है, फिर उन्होंने कुछ और कहा. उन्होंने हमें यहां सड़ने के लिए छोड़ दिया है.’
मंजू ने कहा, ‘यह (हमला) हमारी जाति की वजह से हुआ है. हम गरीब, आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं और इससे जूझ रहे हैं. जाट चाहें तो पुलिस को पैसे दे सकते हैं और जांच को प्रभावित कर सकते हैं.’
वहीं, पुलिस ने जांच के ब्योरे की कोई जानकारी नहीं दी और गिरफ्तार किए गए लोगों के नाम का भी खुलासा नहीं किया.
सुमन बताती हैं, ‘पुलिस का दावा है कि उन्होंने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन उनके नाम और उनकी स्थिति के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं दी गई. मेरे पति की मौत के लिए 17 लोग जिम्मेदार हैं. मैं लगातार बीमार हूं. विनोद पर घर के कई लोग निर्भर थे, वह घर चलाने वाले एकमात्र शख्स थे.’
विनोद के परिवार ने इस घटना के आरोपी सभी 17 लोगों की गिरफ्तारी की मांग की है और उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी और 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की है.
उन्होंने घटना में घायल हर शख्स के लिए भी 25 लाख रुपये और सरकारी नौकरी की मांग की है. द वायर को मिली जानकारी के अनुसार, पीड़ित परिवार को चार लाख रुपये का मुआवजा और घायलों को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है.
वकील सोमदत्त शर्मा कहते हैं, ‘यह अकेला मामला नहीं है, यह क्षेत्र में दलितों पर अत्याचार की रोजाना की वास्तविकता है. पुलिस इस बात से वाकिफ है कि आरोपी कौन हैं और इसके बावजूद उन्हें जाने दिया गया. यही मुख्य कारण है कि परिवार और समुदाय को विरोध करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘जिंद में दलितों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है. फतेहाबाद में उच्च जाति के कुएं से पानी पीने से दलित युवक के हाथ काट दिए गए. जिन लोगों ने इस लिंचिंग को अंजाम दिया, उन्हें जाने दिया जा रहा है.’
पुलिस द्वारा मामले की अनुचित अनुचित जांच के आरोपों पर जांच अधिकारी नारायण चंद ने द वायर को बताया, ‘हमने अभी तक छह लोगों को गिरफ्तार किया है और हम सभी नामजद लोगों को गिरफ्तार करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. हम इस मामले में किसी को बख्शने वाले नहीं हैं. जो लोग छिपे हुए हैं, वे ज्यादा दूर तक भाग नहीं पाएंगे.’
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