झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा देश को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है. मॉब लिंचिग रोधी अधिनियम हिंदू, मुस्लिम या आदिवासी अधिनियम नहीं है, क्योंकि भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता. भाजपा के केंद्र की सत्ता में आने और देश के सामाजिक तानाबाने को नष्ट करने वाला माहौल बनाने के बाद हम यह क़ानून लाने को मजबूर हुए.
रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी पर सोमवार को करारा प्रहार करते हुए कहा कि केंद्र में ‘रावण’ पार्टी के सत्ता में आने के बाद राज्य सरकार को ‘मॉब लिंचिग’ (भीड़ द्वारा पीट-पीट कर की जाने वाली हत्या) रोधी कानून लाना पड़ा, जो देश के सामाजिक ताने बाने को छिन्न-भिन्न कर रही है.
वहीं, भाजपा ने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी देश में ‘राम राज्य’ लाने की कोशिश कर रही है और आरोप लगाया कि सोरेन भ्रष्ट सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं और ‘संवैधानिक मॉब लिंचिंग विरोधी’ कानून विधानसभा में जल्दबाजी में पारित किया गया.
भाजपा ने आरोप लगाया कि यह कानून सत्तारूढ़ पार्टी की तुष्टिकरण की नीति की परकाष्ठा है.
मुख्यमंत्री ने भीड़ हिंसा और मॉब लिंचिंग रोकथाम विधेयक,2021 को राज्य विधानसभा के हाल में संपन्न हुए शीतकालीन सत्र में पारित किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि यह असामाजिक तत्वों को कानून अपने हाथ में लेने से रोकेगा.
सोरेन ने कहा कि केंद्र को देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए ऐसा कानून लाना चाहिए.
झारखंड मुक्ति मोचा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि लड़कियों के विवाह की उम्र बढ़ाकर 21 साल किए जाने का केंद्र का फैसला राजनीति से प्रेरित है और हैरानी जताते हुए सवाल किया कि क्या मतदान की उम्र भी बढ़ाकर 21 साल की जाएगी.
उन्होंने 29 दिसंबर को सरकार के दो साल पूरे होने से पहले संवाददाताओं से बातचीत करते हुए आरोप लगाया, ‘भाजपा देश को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है. मॉब लिंचिग रोधी अधिनियम हिंदू, मुस्लिम या आदिवासी अधिनियम नहीं है, क्योंकि भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता. भाजपा के केंद्र की सत्ता में आने जो ‘रावण’ की तरह है और (उसके द्वारा) देश के सामाजिक तानाबाने को नष्ट करने वाला माहौल बनाने के बाद हम यह कानून लाने को मजबूर हुए.’
सोरेन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और सांसद दीपक प्रकाश ने कहा, ‘भाजपा राम राज्य लाने की कोशिश कर रही है, जबकि सोरेन भ्रष्ट सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. भीड़ हिंसा के खिलाफ कानून असंवैधानिक है जिसे बिना चर्चा या बहस के पारित कराया गया. यह सोरेन सरकार की तुष्टिकरण नीति की परकाष्ठा है. न तो हम भीड़ हिंसा का समर्थन करते हैं और न ही यह झारखंड की परंपरा रही है.’
भाजपा के इस दावे पर कि उनकी सरकार एक समुदाय को खुश कर रही है, सोरेन ने कहा, ‘मैंने एक रिपोर्ट में देखा कि लोग भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की शपथ ले रहे थे. यह क्या है? हमने कौन से मस्जिद बना दी नमाज पढ़ने के लिए (क्या हमने नमाज अदा करने के लिए कोई मस्जिद बनाई थी) वे (भाजपा) लोगों को भ्रमित कर रहे हैं.’
मुख्यमंत्री सोरेन ने दावा किया कि जातिगत आधार पर जनगणना नीति निर्माताओं के लिए पिछड़ी जातियों के लिए लक्षित करके कल्याणकारी योजना बनाने में मदद मिलेगी.
झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को लेकर हाल में पैदा हुए विवाद पर सोरेन ने कहा कि भाजपा हल्ला मचा रही है क्योंकि चयनित 4000 प्रत्याशियों में से 3000 आरक्षित वर्गों के हैं.
गौरतलब है कि 16 से 22 दिसंबर तक चले झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र हंगोमदार रहा. इस दौरान भाजपा ने राज्य लोक सेवा परीक्षा में कथित अनियमितता का आरोप लगा सीबीआई जांच की मांग करती रही.
सोरेन ने आरोप लगाया कि जो ‘मनुवादी मानसिकता’ के हैं वे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशियों की सफलता स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं.
उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि परीक्षा का आयोजन बिना सरकारी हस्तक्षेप के जेपीएससी ने कराया. मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा शासन में पुलिस उपाधीक्षकों की भर्ती बिना परीक्षा की हुई जिसकी सीबीआई जांच चल रही है.
रिक्त पड़े संवैधानिक पदों के सवाल पर सोरेन ने कहा कि इन पदों को भरने के लिए विधिक सलाह ली जा रही है.
उल्लेखनीय है कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद अब तक खाली है, क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने अब तक भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता नहीं दी है.
जेएमएम के कुछ सदस्यों द्वारा राज्य में कुछ उद्योग घरानों के खिलाफ प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर सोरेन ने कहा कि इन प्रदर्शनों को राज्य सरकार से नहीं जोड़ा जाना चाहिए और यह विरोध कुछ कंपनियों द्वारा मुख्यालय दूसरे राज्यों में ले जाने की कोशिश के खिलाफ था जिनका मुख्य उत्पादन क्षेत्र झारखंड है.
मालूम हो को बीते 21 दिसंबर को झारखंड विधानसभा ने मॉब लिंचिंग के मामलों से सख्ती से निपटने के लिए मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग बिल, 2021 को पारित कर दिया था. जिसके तहत भीड़ हिंसा के दोषी पाए जाने वालों के लिए जुर्माने और संपत्तियों की कुर्की के अलावा तीन साल से लेकर उम्रक़ैद तक की सजा का प्रावधान है.