गुपकर घोषणा-पत्र गठबंधन ने जम्मू संभाग में विधानसभा की छह और कश्मीर में एक सीट बढ़ाने के परिसीमन आयोग के प्रस्ताव के ख़िलाफ़ शनिवार को श्रीनगर में प्रदर्शन करने की बात कही थी. प्रस्तावित धरने से पहले शीर्ष नेताओं को कथित तौर पर हिरासत में लिए जाने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर में अलग-अलग विरोध मार्च निकाला.
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ गुपकर घोषणा-पत्र गठबंधन (पीएजीडी) द्वारा मार्च निकाले जाने से पहले तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित कई नेताओं को कथित तौर पर नजरबंद कर दिया गया है.
पीएजीडी द्वारा शनिवार को विरोध मार्च बुलाया गया था. गुपकर गठबंधन एनसी, पीडीपी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), पीपुल्स मूवमेंट और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित जम्मू और कश्मीर में विभिन्न मुख्यधारा के राजनीतिक दलों का एक गठबंधन है.
गठबंधन के अध्यक्ष एवं नेकां प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, पीएजीडी उपाध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और प्रवक्ता एमवाई तारिगामी, माकपा के एक वरिष्ठ नेता, उन नेताओं में शामिल थे, जिन्हें कथित तौर पर उनके आवासों से बाहर जाने से रोका गया.
पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के पुत्र एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘सुप्रभात और 2022 का स्वागत. उसी जम्मू कश्मीर पुलिस के साथ एक नए साल की शुरुआत जो अवैध रूप से लोगों को उनके घरों में बंद कर रही है और प्रशासन सामान्य लोकतांत्रिक गतिविधि से इतना डरा हुआ है.’
Talk about a lawless police state, the police have even locked the internal gate connecting my father’s home to my sister’s. Yet our leaders have the cheek to tell the world that India is the largest democracy, hah!! pic.twitter.com/flNICRGk58
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) January 1, 2022
उन्होंने कहा, ‘गुपकर गठबंधन के शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन को रोकने के लिए ट्रक हमारे गेट के बाहर खड़े हैं. कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं.’
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘एक अराजक पुलिस राज्य की बात करें, तो पुलिस ने मेरे पिता के घर को मेरी बहन के घर से जोड़ने वाले आंतरिक द्वार को भी बंद कर दिया है. फिर भी हमारे नेताओं के पास दुनिया को यह बताने की हिम्मत है कि भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है.’
उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके आवास के आंतरिक गेट को बंद कर दिया था और ट्रक बाहर खड़े थे. उन्होंने अपने आवास के गेट पर खड़ी पुलिस की गाड़ी के साथ-साथ एक बंद आंतरिक गेट की तस्वीरें पोस्ट कीं.
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा कि विरोध करने का अधिकार एक जीवंत लोकतंत्र की अवधारणा में निहित है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता एवं गठबंधन के प्रवक्ता एमवाई तारिगामी ने कहा कि यह दुखद है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ‘इतना डरा हुआ है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति नहीं दे पा रहा है.’
तारिगामी ने कहा कि उन्हें भी नजरबंद कर दिया गया और उनके आवास पर ताला लगा दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘यही स्थिति तब और भी खराब हो जाती है जब लोगों को जनता के सामने अपनी राय रखने की भी अनुमति नहीं होती है.’
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को भी नजरबंद किया गया है. उन्होंने कहा, ‘मेरे घर के बाहर भी एक ट्रक खड़ा है.’
पीएजीडी ने जम्मू संभाग में विधानसभा की छह और कश्मीर में एक सीट बढ़ाने के परिसीमन आयोग के प्रस्ताव के खिलाफ शनिवार को श्रीनगर में प्रदर्शन करने की बात कही थी. आयोग की सिफारिशों के बाद जम्मू में सीट संख्या 43 और कश्मीर में 47 हो सकती है.
कई लोगों का मानना है कि यह प्रस्ताव पूर्व राज्य के दोनों प्रांतों की जनसंख्या अनुपात के खिलाफ जाता है.
विपक्ष यह आरोप लगाता रहा है कि आयोग की सिफारिशें ‘धोखाधड़ी का निर्लज्ज प्रदर्शन’ से कम नहीं है, क्योंकि यह ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ की वयस्क मताधिकार की अवधारणा के विपरीत है.
हालांकि, परिसीमन आयोग यह दावा करता रहा है कि सीटों के बंटवारे में जनसंख्या, प्रशासनिक इकाइयों, क्षेत्र और सीमा से निकटता जैसी अन्य बातों को ध्यान में रखा गया है.
कश्मीर संभाग में फिलहाल 46 और जम्मू में 37 सीट हैं.
इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे दलों ने आपत्ति जताते हुए आयोग पर आरोप लगाया था कि वह भाजपा के राजनीतिक एजेंडा को उसकी सिफारिशों को निर्देशित करने की अनुमति दे रहा है.
पीडीपी, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, जिसे भाजपा के प्रति मित्रवत माना जाता है, ने भी आयोग की मसौदा सिफारिशों का कड़ा विरोध किया था, जो जम्मू कश्मीर के चुनावी नक्शे को बदल देगी.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बीते 24 दिसंबर को कहा था कि परिसीमन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ उनकी पार्टी उच्चतम न्यायालय जाने की तैयारी कर रही है और पार्टी का मानना है कि इस कवायद का मूल आधार ही अवैध है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस कार्यकर्ताओं ने अपने नेताओं को हिरासत में लिए जाने का विरोध किया
परिसीमन आयोग के मसौदा प्रस्तावों के खिलाफ प्रस्तावित धरने से पहले अधिकारियों द्वारा पार्टियों के शीर्ष नेताओं को कथित तौर पर हिरासत में लिए जाने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने शनिवार को श्रीनगर में अलग-अलग विरोध मार्च निकाला.
NC functionaries, workers held a peaceful protest march against Delimitation Commission draft report, illegal confinement of Dr Farooq, Omar Abdullah today. @salmanalisagar @ImranNDar pic.twitter.com/PdELQZtIbF
— JKNC (@JKNC_) January 1, 2022
पार्टी प्रवक्ता इमरान नबी डार और युवा शाखा के अध्यक्ष सलमान सागर सहित नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकर्ताओं ने श्रीनगर स्थित अपने मुख्यालय नवा-ए-सुबह से विरोध मार्च निकाला.
पार्टी कार्यकर्ताओं ने गुपकर रोड की ओर बढ़ने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने पार्टी कार्यालय के बाहर उन्हें रोक दिया.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि पुलिस पार्टी कार्यकर्ताओं को वापस नवा-ए-सुबह में ‘घसीट’ ले गई.
पीडीपी कार्यकर्ताओं ने अनुच्छेद 370 और 35-ए की बहाली की मांग करते हुए एक विरोध मार्च भी निकाला. केंद्र ने पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 और 35-ए के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द कर दिया था.
डार ने कहा, ‘हम परिसीमन आयोग के मसौदा प्रस्तावों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध मार्च निकालना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने रोक दिया. उन्होंने हमें धरना भी नहीं देने दिया.’
इस बीच, पार्टी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने विरोध प्रदर्शन के लिए अपनी पार्टी के सहयोगियों की प्रशंसा की.
उमर ने ट्विटर पर लिखा, ‘मेरे सहयोगियों को बाहर आने और लोगों को शक्तिहीन करने के लिए जो कुछ किया जा रहा है, उसके बारे में अपना विरोध दर्ज कराने के लिए बहुत-बहुत बधाई.’
Despite the despotic administration’s attempts to foil our protests, PDP & NC workers managed to hit the streets in Srinagar today to raise their voice against the illegal revocation of Article 370. I salute their courage & resolve. pic.twitter.com/yfRa5nSdmg
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) January 1, 2022
महबूबा ने ट्वीट में कहा, ‘हमारे विरोध को विफल करने के निरंकुश प्रशासन के प्रयासों के बावजूद पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस कार्यकर्ता आज (शनिवार) श्रीनगर में सड़कों पर उतरकर धारा 370 के अवैध निरसन के खिलाफ आवाज उठाने में कामयाब रहे. मैं उनके साहस और संकल्प को सलाम करती हूं.’
पीएजीडी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला को हिरासत में लेना अलोकतांत्रिक: मीर
कांग्रेस की जम्मू कश्मीर इकाई के प्रमुख गुलाम अहमद मीर ने शनिवार को कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला को ‘नजरबंद’ करना ‘अनैतिक और अलोकतांत्रिक’ है.
मीर ने एक बयान में कहा, ‘परिसीमन आयोग के मसौदे के विरोध में प्रस्तावित धरने से पहले डॉ. फारूक अब्दुल्ला जैसे प्रमुख नेता को नजरबंद रखना एक पाखंड, अनैतिक और भारतीय लोकतंत्र की मूल बुनियाद के खिलाफ है, जो प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है.’
उन्होंने कहा कि ‘नजरबंदी’ वास्तव में सरकार द्वारा नए साल के अवसर पर दिया गया एक ‘उपहार’ है. उन्होंने अब्दुल्ला और पीएजीडी के अन्य नेताओं की ‘अवैध नजरबंदी’ की निंदा की.
मीर ने कहा कि कांग्रेस का मानना है कि ऐसी ‘अलोकतांत्रिक कदम जम्मू और कश्मीर के लोगों को और निराश’ करेंगे ‘जो पहले से ही वर्तमान व्यवस्था में विश्वास खो चुके हैं.’
कांग्रेस नेता ने कहा कि नेताओं को शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने से ‘रोकना’, ‘भाजपा सरकार के पाखंड की ओर इशारा करता है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)