बीते महीने हरिद्वार में आयोजित ‘धर्म संसद’ में कथित तौर पर मुस्लिमों का नरसंहार करने के आह्वान को लेकर दर्ज मामले में कट्टरवादी हिंदू धार्मिक नेता यति नरसिंहानंद और रूड़की के सागर सिंधुराज महाराज का नाम शामिल किया गया है. इससे पहले जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (पूर्व नाम वसीम रिज़वी), स्वामी धरमदास और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडेय के नाम एफ़आईआर में दर्ज हैं.
देहरादून: उत्तराखंड के धार्मिक शहर हरिद्वार में हाल में हुई धर्म संसद के संबंध में दर्ज प्राथमिकी में शनिवार (एक जनवरी) को कट्टरवादी हिंदू धार्मिक नेता यति नरसिंहानंद और रूड़की के सागर सिंधुराज महाराज के नाम भी जोड़े गए. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी में धारा 153 ए (धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, आवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना) के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 295 (पूजा स्थल या किसी पवित्र वस्तु को नुकसान पहुंचाना) भी जोड़ी गई है. इस धर्म संसद में कथित तौर पर मुस्लिमों के खिलाफ भाषण दिए गए थे.
हरिद्वार के सर्किल अधिकारी शेखर सुयाल ने बताया कि गाजियाबाद के डासना मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद और सागर सिंधुराज महाराज के नाम भी प्राथमिकी में जोड़े गए हैं. नरसिंहानंद इस कार्यक्रम के आयोजक थे.
बहरहाल, अधिकारी ने यह बताने से इनकार कर दिया कि प्राथमिकी में नई धारा क्यों जोड़ी गई है. उन्होंने कहा कि यह जांच का हिस्सा है, जिसे साझा नहीं किया जा सकता.
प्राथमिकी में दो नए नाम जोड़ने के साथ ही अब तक मामले में पांच लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. इनमें वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी, साध्वी अन्नपूर्णा, धर्मदास, यति नरसिंहानंद और सागर सिंधुराज महाराज शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच बीते शनिवार को इस धर्म संसद के खिलाफ देहरादून स्थित उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय और राज्य सचिवालय के बाहर भारी विरोध प्रदर्शन किया गया.
विरोध करने वालों में मुख्य रूप से शामिल स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मामले के आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की. लगभग 11 बजे शुरू हुआ विरोध करीब 2-3 घंटे तक चला.
इसके बाद प्रदर्शनकारियों को उन लोगों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई का आश्वासन दिया गया, जिन्होंने धर्म संसद में कथित रूप से अल्पसंख्यकों के नरसंहार का आह्वान करने वाले अभद्र भाषा वाले भाषण दिए थे.
बता दें कि उत्तराखंड के हरिद्वार में 17-19 दिसंबर के बीच हिंदुत्ववादी नेताओं और कट्टरपंथियों द्वारा एक ‘धर्म संसद’ का आयोजन किया गया, जिसमें मुसलमान एवं अल्पसंख्यकों के खिलाफ खुलकर नफरत भरे भाषण (हेट स्पीच) दिए गए, यहां तक कि उनके नरसंहार का आह्वान भी किया गया था.
कार्यक्रम के आयोजकों में से एक यति नरसिंहानंद ने मुस्लिम समाज के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी करते हुए कहा था कि वह हिंदू प्रभाकरण बनने वाले व्यक्ति को एक करोड़ रुपये देंगे.
इससे पहले 23 दिसंबर 2021 को दर्ज इस संबंध में पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें सिर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को नामजद किया गया था. इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने से पहले त्यागी का नाम वसीम रिजवी था.
वसीम रिजवी उत्तर प्रदेश सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष थे, जिन्होंने हाल ही में हिंदू धर्म अपनाने का दावा करते हुए अपना नाम बदला है.
प्राथमिकी, भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच धर्म, नस्ल, जन्म स्थान,निवास, भाषा के आधार पर वैमनस्य को बढ़ावा देने) के तहत दर्ज की गई थी.
इस प्राथमिकी में बीते 25 दिसंबर को बिहार निवासी स्वामी धरमदास और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडेय के नाम जोड़े गए. पूजा शकुन पांडेय निरंजिनी अखाड़े की महामंडलेश्वर और हिंदू महासभा के महासचिव हैं.
बहरहाल हरिद्वार के धर्म संसद में नरसिंहानंद ने मुस्लिम समाज के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी करते हुए कहा था, ‘जब हमें मदद की जरूरत थी, तो हिंदू समुदाय ने हमारी मदद नहीं की, लेकिन अगर कोई युवा कार्यकर्ता हिंदू प्रभाकरण बनने के लिए तैयार है, तो किसी और से पहले मैं उसे 1 करोड़ रुपये दूंगा. यदि वह एक साल तक ऐसे ही काम करता रहा तो मैं कम से कम 100 करोड़ रुपये जुटाऊंगा.’
प्रभाकरण के साथ, नरसिंहानंद ने खालिस्तानी अलगाववादी आंदोलन के दो नेताओं- जरनैल सिंह भिंडरावाले और शाबेग सिंह का भी उल्लेख किया. सिंह भिंडरावाले के सैन्य सलाहकार थे और साल 1971 के युद्ध के दौरान बांग्लादेश का सहयोग करने वाली ‘मुक्ति वाहिनी सेना’ के गठन में बड़ी भूमिका निभाई थी.
नरसिंहानंद के खिलाफ उत्तर प्रदेश और दिल्ली में कई एफआईआर दर्ज हैं. इस साल की शुरुआत में, दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पैगंबर मुहम्मद के बारे में उनकी टिप्पणियों के कारण दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.
हरिद्वार के ‘धर्म संसद’ में भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने भी भाग लिया, जिन्हें कुछ समय पहले जंतर मंतर पर मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इस विवादित कार्यक्रम में भाजपा महिला मोर्चा की नेता उदिता त्यागी ने भी हिस्सा लिया था.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखकर दिल्ली और हरिद्वार में हुए हालिया कार्यक्रमों में मुस्लिम समाज के खिलाफ भड़काऊ बयान देने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के लिए निर्देश देने की मांग की है.
इसके अलावा बीते दिनों देश के पूर्व सेना प्रमुखों, नौकरशाहों और कई बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर मुस्लिमों के नरसंहार के आह्वान की निंदा करने और इस तरह की धमकियां देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की.
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति को लिखे गए इस खुले पत्र पर 200 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)