मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन इस पुल का निर्माण पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर आठ से 20 किलोमीटर पूर्व में कर रहा है. कांग्रेस ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि चीन चाहे उकसाए, पुल बनाए, सैन्य गांव बसाए… पर मोदी जी चुप हैं! यही है चीन को लाल आंख दिखाने की नीति?
नई दिल्लीः पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास लगातार बुनियादी ढांचागत निर्माण के साथ चीन पैंगोंग त्सो झील पर एक नए पुल का निर्माण कर रहा है, जो झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों के बीच तेज गति से सैनिकों की तैनाती का रास्ता आसान करेगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि इस पुल का निर्माण झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर आठ से 20 किलोमीटर पूर्व में किया जा रहा है.
भारत का कहना है कि फिंगर आठ दरअसल एलएसी को दर्शाता है. यह पुल रुतोग काउंटी में खुर्नक किले के पूर्व में है, जहां पीएलए के फ्रंटियर बेस हैं.
मई 2020 में भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों देशों ने न सिर्फ मौजूदा बुनियादी ढांचे को बेहतर करने का काम किया बल्कि पूरे फ्रंटियर में नई सड़कों, पुलों और लैंडिंग स्ट्रिप्स का निर्माण भी किया.
पैंगोंग त्सो झील 135 किलोमीटर लंबी है, जिसका दो-तिहाई से अधिक हिस्सा चीनी नियंत्रण में है.
ऐतिहासिक रूप से भारत का हिस्सा खुर्नक किला 1958 से चीनी नियंत्रण में हैं. खुर्नक किले से एलएसी पश्चिम में हैं, जहां भारत फिंगर आठ पर जबकि चीन फिंगर चार पर दावा करता है.
झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे उन कई बिंदुओं में से एक हैं, जो दोनों देशों के बीच गतिरोध शुरू होने के बाद सामने आए.
फरवरी 2021 में उत्तरी और दक्षिणी किनारो से भारत और चीन द्वारा सैनिकों को वापस बुलाने से पहले इस इलाके में बड़े पैमाने पर लामबंदी देखी गई थी और दोनों पक्षों ने कुछ स्थानों बमुश्किल ही कुछ सौ मीटर की दूरी पर टैंक भी तैनात किए थे.
मालूम हो कि अगस्त 2020 के अंत तक भारतीय सैनिक पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे पर कैलाश रेंज की चोटी तक पहुंच गए थे.
भारतीय सैनिक मागर हिल, गुरुंग हिल, रेजांग ला, रेचिन ला सहित वहां की चोटियों पर तैनात हो गए थे और इस तरह जवानों ने सामरिक बढ़त बना ली थी.
भारतीय सैनिक झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर इलाकों में चीनी सैनिकों के ऊपर तैनात हो गए थे. इस दौरान दोनों पक्षों की ओर से लगभग चार दशकों में पहली बार गोलीबारी हुई थी.
दोनों देशों के सैनिक कड़ाके की ठंड में भी इन चोटियों पर बने रहे थे, जिस वजह से चीन को पीछे हटने को लेकर बातचीत करने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इसके बाद दोनों देशों ने झील के उत्तरी किनारे से सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमति जताई थी.
सूत्रों का कहना है कि चीन द्वारा बनाया जा रहे नए पुलिस से इस क्षेत्र में तेजी से अपने सैनिकों को तैनात करने में मदद मिलेगी. उम्मीद है कि अगस्त 2020 में जो हुआ उसे दोहराने से बचा जा सके.
चीन 2020 में गतिरोध, जिसे अभी सुलझाया नहीं गया है, के शुरू होने के बाद से ही पूरे क्षेत्र में बुनियादी ढांचागत विकास पर जोर दे रहा है. इन बुनियादी ढांचागत कार्यों में सड़कों को चौड़ा करना, नई सड़कों और पुलों का निर्माण करना, नए बेस, एयरस्ट्रिप, उन्नत लैंडिंग आदि का निर्माण करना शामिल हैं.
भारत भी सीमावर्ती इलाकों में अपने बुनियादी ढांचे में सुधार कर रहा है. पिछले साल सीमा सड़क संगठन ने सीमावर्ती इलाकों में 100 से अधिक परियोजनाओं को पूरा किया, जिनमें से अधिकतर चीन की सीमा से पास है.
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा, कहा- उनकी ‘खामोशी’ की गूंज बहुत तेज
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने चीन द्वारा इस पुल निर्माणसंबधी खबरों को लेकर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि उनकी ‘खामोशी’ की गूंज बहुत तेज है.
उन्होंने एक खबर का हवाला देते हुए ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री की खामोशी की गूंज बहुत तेज है. हमारी जमीन, हमारे लोग और हमारी सीमाएं इससे कहीं बेहतर की हकदार हैं.’
कांग्रेस नेता ने जिस खबर का हवाला दिया उसमें दावा किया गया है कि चीन एलएसी के बहुत निकट एक पुल का निर्माण कर रहा है जो झील के उत्तरी किनारे को दक्षिणी किनारे से जोड़ेगा.
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने भी पुल के निर्माण से संबंधित एक खबर को लेकर सरकार और प्रधानमंत्री पर निशाना साधा.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘चीन चाहे उकसाए, पैंगोंग सो पर पुल बनाए, डेपसांग में वाई जंक्शन तक क़ब्ज़ा करे, गोगरा हॉट स्प्रिंग्स पर क़ब्ज़ा करे, अरुणाचल प्रदेश में सैन्य गांव बसाए, डोक़लाम इलाक़े में नए निर्माण करे… पर मोदी जी चुप हैं! यही है चीन को लाल आंख दिखाने की नीति?’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)