पश्चिम बंगाल: राज्य भाजपा में मनमुटाव के बीच केंद्रीय मंत्री ने पार्टी के वॉट्सऐप ग्रुप छोड़े

बीते कुछ हफ़्तों में भाजपा के नौ विधायकों ने पार्टी के वॉट्सऐप ग्रुप छोड़े थे, जिनमें से पांच- मुकुटमोनी अधिकारी, सुब्रत ठाकुर, अंबिका रॉय, अशोक कीर्तनिया और असीम सरकार उन्हें राज्य समिति से बाहर निकालने जाने से असंतुष्ट हैं. इनमें से अधिकतर मतुआ समुदाय से हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री शातंनु ठाकुर. (फोटो साभारः फेसबुक)

बीते कुछ हफ़्तों में भाजपा के नौ विधायकों ने पार्टी के वॉट्सऐप ग्रुप छोड़े थे, जिनमें से पांच- मुकुटमोनी अधिकारी, सुब्रत ठाकुर, अंबिका रॉय, अशोक कीर्तनिया और असीम सरकार उन्हें राज्य समिति से बाहर निकालने जाने से असंतुष्ट हैं. इनमें से अधिकतर मतुआ समुदाय से हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री शातंनु ठाकुर. (फोटो साभारः फेसबुक)

नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई में मतभेदों को दूर करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बंगाल दौरे से पहले केंद्रीय राज्यमंत्री शांतनु ठाकुर ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने पार्टी के विभिन्न वॉट्सऐप ग्रुप छोड़ दिए हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, राज्य भाजपा का नेतृत्व इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है.

सूत्रों का कहना है कि मतुआ समुदाय के नेता और बनगांव लोकसभा सीट से सांसद ठाकुर राज्य और जिला समितियों में मतुआ नेताओं के प्रतिनिधित्व की कमी से नाखुश हैं.

इन समितयों का पार्टी ने हाल ही में पुनर्गठन किया था.

ठाकुर ने मंगलवार को मीडियाकर्मियों को बताया, ‘मैं फिलहाल वॉट्सऐप ग्रुप छोड़ने को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. सही समय आने दीजिए, मैं आपको इसकी वजह और अपनी भावी योजनाओं के बारे में बताऊंगा.’

हाल के हफ्तों में भाजपा के नौ विधायकों ने पार्टी द्वारा गठित नई राज्य समिति को लेकर असंतोष जताते हुए पार्टी के वॉट्सऐप ग्रुप छोड़ दिए.

25 दिसंबर को पांच विधायकों मुकुटमोनी अधिकारी, सुब्रत ठाकुर, अंबिका रॉय, अशोक कीर्तनिया और असीम सरकार ने उन्हें राज्य समति से बाहर निकालने जाने पर असंतोष जताते हुए पार्टी के वॉट्सऐप ग्रुप छोड़ दिए थे. इनमें से अधिकतर मतुआ समुदाय से थे.

इसके एक दिन बाद बांकुरा जिले से चार विधायक अमरनाथ साखा, दिबाकर घोरमी, नीलाद्री शेखर दाना और निर्मल धारा ने भी पार्टी के वॉट्सऐप ग्रुप छोड़ दिए थे.

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा इनसे बात करने के बाद इनमें से कुछ विधायकों ने बाद में पार्टी के वॉट्सऐप ग्रुप में दोबारा शामिल हो गए थे.

सूत्रों का कहना है कि पिछले महीने कोलकाता निकाय चुनावों में पार्टी की हार के बाद राज्य समिति में बदलाव किया गया था. समिति में मतुआ समुदाय से जुड़े नेताओं की कमी है. यहां तक कि जिला इकाइयों में संगठनात्मक नेतृत्व जहां मतुआ मतदाता बहुमत में हैं. इन जिला इकाइयों में भी इस समुदाय से जुड़े नेता शामिल नहीं हैं.

केंद्र में बंदरगाह, जहाज व जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक अखिल भारतीय मतुआ महासंघ के नेता भी हैं.

राज्य भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार ने कहा, ‘यह पार्टी का अंदरूनी मामला है. हम उनसे बात करेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे.’

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा नौ जनवरी को राज्य का दौरा कर सकते हैं जबकि अमित शाह जनवरी के अंतिम हफ्ते में राज्य का दौरा कर सकते हैं. हालांकि, अभी इनके दौरे की अंतिम तारीख तय नहीं की गई है.

पिछले साल राज्य के विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद भाजपा की बंगाल इकाई को पार्टी के कई बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद कलह का सामना करना पड़ा.

इस बीच सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर लोगों को विभाजित करने और राजनीतिक लाभ के लिए इसका इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

राज्य के वन मंत्री ज्योतिप्रियो मलिक ने कहा, ‘भाजपा ने हमेशा लोगों को विभाजित कर उनका इस्तेमाल किया है. उन्होंने मतुआ समुदाय के लोगों के साथ भी राजनीति की.’

बता दें कि मतुआ नामसूद्र समुदाय से जुड़े लोग हैं, जो 1947 में विभाजन औऱ 1971 के बांग्लादेश युद्ध के बाद भारत आ गए थे.

पश्चिम बंगाल में मौजूदा समय में मतुआ लोगों की आबादी एक करोड़ से अधिक है और राज्य के 26 विधानसभा सीटों पर इनकी अच्छी पकड़ है. मतुआ समुदाय के लोग अधिकतर उत्तर 24 परगना के बोंगाव और बारासात और नादिया जिले के कृष्णानगर और राणाघाट इलाकों में हैं.

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