पीठ में होते हुए कोई जज अपना बचाव नहीं कर सकते, यहां तक कि ‘प्रेरित हमलों’ से भी नहीं: सीजेआई

सीजेआई एनवी रमना ने सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी के विदाई कार्यक्रम में कहा कि रिटायरमेंट आज़ादी वापस पाने की तरह है, ख़ासतौर पर एक जज के लिए, क्योंकि वे तब सभी पाबंदियों से मुक्त होते हैं जो पद पर रहने के दौरान होती हैं.

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जस्टिस एनवी रमना. (फोटो: पीटीआई)

सीजेआई एनवी रमना ने सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी के विदाई कार्यक्रम में कहा कि रिटायरमेंट आज़ादी वापस पाने की तरह है, ख़ासतौर पर एक जज के लिए, क्योंकि वे तब सभी पाबंदियों से मुक्त होते हैं जो पद पर रहने के दौरान होती हैं.

जस्टिस एनवी रमना. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने मंगलवार को कहा कि पीठ में होने के दौरान कोई न्यायाधीश अपने खिलाफ ‘प्रेरित हमलों’ से खुद का बचाव नहीं कर सकते हैं, जबकि एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश जरूरत पड़ने पर ऐसा कर सकते हैं.

प्रधान न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट में तीन साल से अधिक समय तक सेवा देने के बाद मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी के विदाई कार्यक्रम में यह कहा.

हालांकि सीजेआई ने ‘प्रेरित हमलों’ का कोई उदाहरण नहीं दिया, लेकिन वे खुद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के निशाने पर रहे थे. अक्टूबर 2020 में रेड्डी ने दावा किया था कि रमना- जो उस समय सीजेआई बनने की कतार में थे- एन. चंद्रबाबू नायडू की मदद करने के लिए उनकी सरकार के खिलाफ काम कर रहे थे. बाद में एक आंतरिक जांच ने जगन के आरोपों को खारिज कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा जस्टिस रेड्डी के लिए डिजिटल माध्यम से आयोजित विदाई कार्यक्रम में जस्टिस रमना ने कहा कि सेवानिवृत्ति ठीक ‘स्वतंत्रता वापस पाने’ की तरह है, खासतौर पर एक न्यायाधीश के लिए, क्योंकि वह तब सभी पाबंदियों से मुक्त होते हैं जो पद पर रहने के दौरान होती है और वह सभी मुद्दों पर अपने विचार स्वतंत्र रूप से तथा बेबाक प्रकट कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, ‘पीठ में रहने के दौरान, कोई न्यायाधीश प्रेरित हमलों के खिलाफ अपना बचाव नहीं कर सकता. जबकि एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश जरूरत पड़ने पर खुद का बचाव करने के लिए स्वतंत्र होता है. मैं आश्वत हूं कि रेड्डी भाई नई आजादी का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करेंगे.’

जस्टिस रेड्डी दो नवंबर 2018 को शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गए थे. वह तेलंगाना से उच्चतम न्यायालय में नियुक्त होने वाले प्रथम न्यायाधीश थे. उनकी सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या घट कर 32 रह जाएगी, जबकि कुल मंजूर पदों की संख्या 34 है.

इससे पहले, दोपहर में रस्मी सुनवाई के लिए बैठे सीजेआई ने उनके योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने लोगों की स्वतंत्रता को बरकरार रखा और उसकी रक्षा की तथा सामाजिक वास्तविकताओं के प्रति करूणा एवं चेतना प्रदर्शित की.

जस्टिस रेड्डी, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली के साथ दोपहर में रस्मी सुनवाई के लिए बैठे सीजेआई ने उनकी (जस्टिस रेड्डी की) काफी सराहना की थी.

सीजेआई ने कहा, ‘30 साल साथ रहने के दौरान मुझे उनका मजबूत सहयोग और मित्र भाव मिला. मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ शुभकामनाएं देता हूं. जस्टिस रेड्डी तेलंगाना राज्य का गठन होने के बाद वहां से उच्चतम न्यायालय के प्रथम न्यायाधीश हैं.’

जस्टिस रमना ने कहा कि जस्टिस रेड्डी भी उनकी तरह ही कृषक परिवार से हैं और एक कानूनी पेशेवर के रूप में उन्होंने अपने सफर में कई उपलब्धियां हासिल कीं.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘विभिन्न उच्च न्यायालयों में 20 साल तक न्यायाधीश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सदा ही लोगों की स्वतंत्रता को बरकरार रखा और उसकी रक्षा की. उन्होंने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान कानून के कई संवेदनशील प्रश्नों का समाधान किया और 100 से अधिक फैसले लिखे. मैंने भी उनके साथ पीठ साझा की और उनके विचारों से लाभान्वित हुआ.’

उन्होंने कहा कि जस्टिस रेड्डी सामाजिक वास्तविकताओं के प्रति अपनी करूणा और चेतना को लेकर जाने जाते हैं.

उन्होंने कहा कि निवर्तमान न्यायाधीश शीर्ष न्यायालय के प्रशासनिक कार्य के प्रति अपने समर्पण को लेकर याद रखे जाएंगे. सीजेआई ने कहा, ‘उनकी विशेषज्ञता संवैधानिक कानून में है.’

इस अवसर पर अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष विकास सिंह सहित अन्य ने भी जस्टिस रेड्डी के योगदान का उल्लेख किया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)