8 दिसंबर को हुए इस हादसे के जांचकर्ताओं ने रूस में निर्मित दो इंजन वाले एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के पीछे किसी तकनीकी गड़बड़ी या षड्यंत्र की आशंका से इनकार किया है. ख़राब मौसम के कारण कंट्रोल्ड फ्लाइट इनटू टेरेन (सीएफआईटी) की स्थिति को घटना का मुख्य वजह माना गया है.
नई दिल्ली: कुन्नूर के पास प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) बिपिन रावत को ले जाते समय वायु सेना के हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले में कोई तकनीकी गड़बड़ी या साजिश नहीं हुई थी. खराब मौसम के कारण कंट्रोल्ड फ्लाइट इनटू टेरेन (सीएफआईटी) की स्थिति को घटना का मुख्य वजह माना गया है.
घटनाक्रम से परिचित सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. ज्ञात हो कि 8 दिसंबर को हुए इस हादसे में रावत और 13 अन्य लोगों की मौत हो गई थी.
सीएफआईटी से आशय ऐसी परिस्थिति से है जब दुर्घटना के समय विमान पर नियंत्रण तो रहता है लेकिन खराब मौसम या पायलट त्रुटि के कारण कोई विमान जमीन, पानी या अन्य अवरोधक से टकरा जाता है.
उल्लेखनीय है कि दुर्घटना के ठीक बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि ‘जनरल रावत ने अपनी पत्नी और 12 अन्य लोगों के साथ सुलुर से एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर से पूर्वाह्न 11 बजकर 48 मिनट पर वेलिंग्टन के लिए उड़ान भरी थी, जिसे दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर वेलिंग्टन में उतरना था. सुलूर वायु यातायात नियंत्रक का 12 बजकर 8 मिनट पर हेलीकॉप्टर से संपर्क खो गया. बाद में कुन्नूर के पास जंगल में स्थानीय लोगों ने आग लगी देखी. मौके पर जाकर उन्होंने हेलीकॉप्टर को आग की लपटों से घिरा देखा, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन का एक बचाव दल वहां पहुंचा.’
रक्षा मंत्री ने बताया था कि हेलीकॉप्टर में से लोगों को निकालकर यथाशीघ्र वेलिंग्टन के सैन्य अस्पताल पहुंचाया गया. दुर्घटना में हेलीकॉप्टर में सवार कुल 14 लोगों में से 13 की मृत्यु हो गई, जिनमें सीडीएस जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत भी शामिल थे.
अन्य मृतकों में सीडीएस के रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर लखविंदर सिंह लिड्डर, सीडीएस के सैन्य सलाहकार एवं स्टाफ अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, विंग कमांडर प्रतीक सिंह चौहान, स्क्वाड्रन लीडर कुलदीप सिंह, जूनियर वारंट अधिकारी राणा प्रताप दास, जूनियर अधिकारी अरक्कल प्रदीप, हवलदार सतपाल, नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेंद्र कुमार, लांस नायक विवेक कुमार और लांस नायक वीर साई तेजा शामिल थे.
हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का 15 दिसंबर को निधन हो गया था.
कातेरी-नंजप्पनचथिराम इलाके में जब यह दुर्घटना तब हुई, जब जनरल रावत डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी), वेलिंग्टन में संकाय सदस्यों और छात्र अधिकारियों को संबोधित करने जा रहे थे.
सिंह ने बताया था कि एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह के नेतृत्व में तीनों सेनाओं के एक दल ने इस मामले में जांच शुरू कर दी थी.
अब इस जांच का नेतृत्व करने वाले वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह ने बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जांच के निष्कर्षों से अवगत कराया.
सूत्रों ने कहा कि जांचकर्ताओं ने रूस में निर्मित दो इंजन वाले एमआई-17 वी5 हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के पीछे किसी तकनीकी गड़बड़ी या साजिश की आशंका से भी इनकार किया है.
यह हादसा उस वक्त हुआ था जब आठ दिसंबर को सुलूर एयरबेस से वेलिंगटन के लिए हेलीकॉप्टर उड़ान भर रहा था.
विशेषज्ञों के अनुसार, सीएफआईटी का मतलब ऐसी परिस्थिति से है जब खराब मौसम या पायलट त्रुटि के कारण किसी विमान को जमीन, पानी या अन्य इलाकों में उतारने का प्रयास किया जाता है. सीएफआईटी की घटना आम तौर पर खराब मौसम की स्थिति में या विमान के उतरते समय होती है.
भारतीय वायु सेना या रक्षा मंत्रालय द्वारा जांच रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है.
आईएटीए (इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन) के अनुसार, सीएफआईटी उन दुर्घटनाओं को संदर्भित करता है, जब कोई विमान नियंत्रण गंवाने के संकेत के बिना घाटी, पानी या अन्य अवरोधकों के साथ टकराता है. इस प्रकार की दुर्घटनाओं में महत्वपूर्ण अंतर यह है कि विमान उड़ान चालक दल के नियंत्रण में होता है.
अमेरिका के संघीय उड्डयन प्रशासन ने सीएफआईटी को क्षेत्र (जमीन, पहाड़, जलाशय, या किसी अवरोध) के साथ अनजाने में टकराव के रूप में वर्णित किया है और ऐसी घटना तब होती है जब चालक का विमान पर पूरा नियंत्रण रहता है.
घटनाक्रम से वाकिफ लोगों ने कहा कि अचानक बादल छाने से सीएफआईटी की स्थिति बन सकती है. विमानन क्षेत्र के एक विशेषज्ञ ने कहा, ‘कभी-कभी, दृश्यता व्यवधान होने पर पायलट पस्थितिजन्य चेतना खो सकता है.’
दुर्घटना से पहले स्थानीय लोगों ने जो वीडियो बनाए थे उससे पता चलता है कि हेलीकॉप्टर कम ऊंचाई पर उड़ रहा था. हेलीकॉप्टर वेलिंगटन में अपनी निर्धारित लैंडिंग से लगभग आठ मिनट पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.
सूत्रों ने कहा कि जांच दल ने संभावित मानवीय त्रुटि सहित दुर्घटना के लिए सभी संभावित परिदृश्यों की जांच की. यह भी पता लगाया गया कि क्या यह चालक दल द्वारा चूक का मामला था.
जांच दल का नेतृत्व करने वाले एयर मार्शल सिंह वर्तमान में भारतीय वायुसेना के बेंगलुरु मुख्यालय वाले प्रशिक्षण कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में कार्यरत हैं.
हवाई क्षेत्र में दुर्घटना की जांच करने वालों में सिंह को देश में सर्वश्रेष्ठ जांचकर्ताओं में से एक माना जाता हैं. रक्षा सचिव अजय कुमार और मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी उस समय मौजूद थे जब भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने रक्षा मंत्री को जानकारी दी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)