एक जनहित याचिका में उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव को कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रॉन के कारण इसके बढ़ते मामलों के मद्देनज़र स्थगित करने का अनुरोध किया गया है, जिसके बाद हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग से डिजिटल रैलियों जैसे वैकल्पिक तरीकों के बारे में सोचने के लिए कहा है.
नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से पूछा है कि क्या आगामी राज्य विधानसभा चुनाव में डिजिटल चुनावी रैलियों और ऑनलाइन मतदान का आयोजन करना संभव है.
उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस एनएस धनिक की खंडपीठ ने बुधवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग से यह सवाल किया.
याचिका में उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव को कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रॉन के कारण इसके बढ़ते मामलों के मद्देनजर स्थगित करने का अनुरोध किया गया है.
उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग से जानना चाहा कि क्या डिजिटल तरीके से चुनावी रैलियां करना संभव हैं. साथ ही अदालत ने यह भी पूछा कि क्या मतदान की ऑनलाइन पद्धति को भी उपलब्ध करा पाना संभव होगा.
जनहित याचिका में दावा किया गया है कि उत्तराखंड में चुनावी रैलियां हो रही हैं, हालांकि इन रैलियों का विकल्प खोजने या जरूरत पड़ने पर उन पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित एक आवेदन अदालत के समक्ष लंबित है.
याचिका में चुनाव स्थगित करने का अनुरोध किया गया है जबकि उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग से डिजिटल रैलियों जैसे वैकल्पिक तरीकों के बारे में सोचने के लिए कहा है.
याचिकाकर्ता के वकील शिव भट्ट ने हाल में देहरादून में एक रैली के आयोजन के एक दिन बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की ओर अदालत का ध्यान आकृष्ट किया.
भट्ट ने कहा कि रैलियां लोगों के लिए न सिर्फ इसलिए खतरनाक हो सकती हैं कि इनमें बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं, बल्कि इसलिए भी कि कोरोना वायरस का नया स्वरूप ओमीक्रॉन वायरस पूर्व के स्वरूपों की तुलना में बहुत तेजी से फैल सकता है.
अदालत ने निर्वाचन आयोग को जनहित याचिका पर अगली सुनवाई की तारीख 12 जनवरी से पहले जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अदालत ने कहा, ‘भारत के चुनाव आयोग को उत्तराखंड राज्य विधानसभा के आगामी चुनाव के लिए बड़ी सार्वजनिक रैलियों पर रोक लगाने और निर्णय लेने के लिए उचित निर्देश जारी करने पर विचार करने दें. चुनाव आयोग वर्चुअल मोड में चुनाव प्रचार के लिए उचित निर्देश जारी करने पर भी विचार करेगा. हम भारत के चुनाव आयोग से भी भविष्य में वर्चुअल वोटिंग पर विचार करने का अनुरोध करते हैं.’
शिव भट्ट ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि याचिका में चुनावी रैलियों को रोकने की मांग की गई थी, क्योंकि वे सुपर-स्प्रेडर इवेंट में बदल सकती हैं.
भट्ट ने कहा, ‘हमने अदालत से चुनाव स्थगित करने/या चुनावी रैलियों को रोकने का अनुरोध किया था. इस पर अदालत ने चुनाव आयोग से चुनावी रैलियों पर रोक लगाने पर विचार करने को कहा. अदालत ने यह भी सुझाव दिया कि जब अदालत के कामकाज सहित सभी चीजें ऑनलाइन हो सकती हैं, तो हम ऑनलाइन चुनाव पर विचार क्यों नहीं कर सकते.’
याचिकाकर्ता ने अपने आवेदन में कहा कि राज्य में कोविड-19 की स्थिति और चिकित्सा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रिक्तियों को देखते हुए यह जरूरी है कि या तो विधानसभा चुनाव स्थगित कर दिए जाएं या राजनीतिक दलों को डिजिटल माध्यम से चुनावी रैलियां/बैठक करने का निर्देश दिया जाए.
याचिका में कहा गया है कि राज्य में चुनाव फरवरी-मार्च में होने की उम्मीद है, जिसके लिए सभी राजनीतिक दल बड़ी संख्या में चुनावी रैलियां कर रहे हैं.
याचिका में कहा गया है, ‘यहां यह बताना जरूरी है कि चुनावी रैलियों में न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाता है और न ही लोग मास्क पहने नजर आते हैं.’
मालूम हो कि कांग्रेस ने देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के मद्देनजर उत्तर प्रदेश समेत पांच चुनावी राज्यों में बड़ी जनसभाओं और कार्यक्रमों का आयोजन रद्द कर दिया है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)