टोरंटो विश्वविद्यालय के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल के सर्वेक्षण में पाया गया कि कोविड-19 से पिछले साल सितंबर तक क़रीब 32 लाख लोगों की मौत हुई होगी. सर्वेक्षण में तक़रीबन 1.4 लाख वयस्कों को शामिल किया गया था. अध्ययन में दो सरकारी डेटा स्रोतों के ज़रिये भारत सरकार के प्रशासनिक आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है. इसमें आईआईएम अहमदाबाद और चुनाव सर्वेक्षण एजेंसी सी-वोटर भी शामिल थे.
नई दिल्ली: भारत में कोविड-19 से पिछले साल सितंबर तक करीब 32 लाख लोगों की मौत हुई होगी, जो आधिकारिक रूप से दर्ज आंकड़ों से छह-सात गुना अधिक है. एक स्वतंत्र एवं दो सरकारी डेटा स्रोतों पर आधारित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है.
यह भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम)-अहमदाबाद और टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन पर आधारित है.
साइंस (Science) नामक पत्रिका में बीते छह जनवरी प्रकाशित हुए अध्ययन में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मार्च 2020 से जुलाई 2021 तक राष्ट्रीय स्तर पर किए गए एक सर्वेक्षण का उपयोग किया गया. सर्वेक्षण में 1,37,289 वयस्कों को शामिल किया गया था.
कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रभात झा के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने पाया कि कोविड-19, जून 2020 से जुलाई 2021 के बीच 29 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार था, जो 32 लाख मौतें हैं और इनमें से 27 लाख मौतें अप्रैल-जुलाई 2021 में हुई.
उन्होंने कहा कि 57,000 वयस्कों के एक उप-सर्वेक्षण में कोविड-19 और गैर-कोविड-19 मौतों के साथ मृत्यु दर में इसी तरह की वृद्धि देखा गया.
शोधकर्ताओं ने कहा कि दो सरकारी डेटा स्रोतों ने पाया कि जब महामारी से पहले की अवधि की तुलना की गई तो किसी भी कारण से होने वाली मृत्यु- दो लाख स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों में 27 प्रतिशत अधिक थी और 10 राज्यों में नागरिक पंजीकरण मौतों में 26 प्रतिशत अधिक थीं.
अध्ययन से निकले निष्कर्ष के अनुसार, भारत के कोविड-19 से मौत का आंकड़ा 31 लाख से 34 लाख तक हो सकता है- जिनमें से 26 लाख से 29 लाख मौतें अप्रैल और जुलाई 2021 के बीच हुई हैं.
अध्ययन के लेखकों ने कहा, ‘विश्लेषण में पाया गया कि भारत में कोविड से सितंबर 2021 तक हुई कुल मौतों की संख्या आधिकारिक रूप से दर्ज आंकड़ों से छह-सात गुना अधिक है.’
शोधकर्ताओं ने इस बात का जिक्र किया कि भारत में कोविड-19 से जान गंवाने वालों की कुल संख्या के बारे में व्यापक रूप से यह माना जाता है कि वे कोविड से मौतों के अधूरे प्रमाणन आदि जैसे कारणों के चलते वास्तविक आंकड़ों से कम दर्ज किए गए हैं.
प्रथम अध्ययन निजी एवं स्वतंत्र सर्वेक्षण एजेंसी सी-वोटर (CVoter) ने टेलीफोन के जरिये किया. इसके अलावा शोधकर्ताओं ने 10 राज्यों में राष्ट्रीय सुविधा-आधारित मौतों और नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) आधारित मौतों पर भारत सरकार के प्रशासनिक आंकड़ों का अध्ययन किया.
समाचार वेबसाइट द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, ‘अध्ययनकर्ताओं के दल ने कहा, सीवोटर के अलावा हमने 10 राज्यों में राष्ट्रीय सुविधा-आधारित मौतों और नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) मौतों पर भारत सरकार के प्रशासनिक आंकड़ों का अध्ययन किया है.’
सीवोटर ने सर्वेक्षण के दौरान जिन वयस्कों से संपर्क किया, उनमें से लगभग 57,000 लोग Immediate Households (माता-पिता और अविवाहित वयस्क) में रह रहे थे, जिसमें 1 जनवरी 2019 तक माता-पिता और एक छत के नीचे रहने वाले अविवाहित वयस्क भी शामिल थे.
सर्वेक्षणकर्ताओं ने उनसे सवाल पूछा कि उनके घर में किसकी और कब मृत्यु हुई और अगर उत्तरदाताओं को लगा कि मौतें कोविड संक्रमण या गैर-कोविड कारणों से हुई हैं तो उनके उत्तरों का मिलान किया गया था.
सर्वेक्षण के अनुसार, 2019 की तुलना में इस उप-अध्ययन (यानी Immediate Households) में मृत्यु दर 2021 में दोगुनी से अधिक हो गई है.
भारत में एक जनवरी 2022 तक कोविड के कुल 3.5 करोड़ मामले सामने आए हैं, जो इस सिलसिले में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है, जबकि भारत में कोविड से हुई मौत का आधिकारिक आंकड़ा 4.8 लाख है.
अध्ययन के लेखकों ने कहा, ‘यदि हमारे निष्कर्ष सही हैं तो इससे कोविड से विश्व में हुई मौतों की कुल संख्या के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन को अपने आकलन की समीक्षा करने की जरूरत होगी.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे अध्ययन के नतीजों से यह पता चला है कि भारत में कोविड से हुई मौतों की संख्या आधिकारिक रूप से दर्ज आंकड़ों से काफी अधिक है.’
अध्ययन दल में सेंटर फॉर वोटिंग ओपीनियंस एंड ट्रेंड्स, नोएडा, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, डेवलपमेंट डेटा लैब, वाशिंगटन और अर्थशास्त्र विभाग, डार्टमाउथ कॉलेज के शोधकर्ता शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)