बीते चार जनवरी को सिमडेगा ज़िले के एक गांव में भीड़ ने पेड़ काटने के संदेह में एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या कर शव को जला दिया था. पांच जनवरी को पुलिस ने 13 नाम ज़द समेत कुल 38 लोगों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की थी. इस मामले अब तक आठ आरोपियों को पुलिस गिरफ़्तार कर चुकी है.
सिमडेगा: झारखंड के सिमडेगा जिले के कोलेबिरा थानांतर्गत बेसराजरा गांव में बीते चार जनवरी को उन्मादी भीड़ के द्वारा भाजपा कार्यकर्ता संजू प्रधान को जिंदा जलाकर मारने की घटना के कथित मास्टरमाइंड ग्राम प्रधान सुबन बूढ़ को पुलिस ने रविवार (नौ जनवरी) को गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि घटना के बाद से ही पुलिस इस नृशंस घटना के कथित मास्टरमाइंड ग्राम प्रधान की तलाश कर रही थी और लगातार दबिश देने के बाद रविवार को उसे गिरफ्तार करने में सफलता मिली.
सिमडेगा जिले के कोलेबिरा थाना क्षेत्र में बीते चार जनवरी को भीड़ ने पेड़ काटने के संदेह में संजू प्रधान नाम के युवक की पीट-पीट कर हत्या कर शव को जला दिया था.
पुलिस सूत्रों ने बताया था कि मौके पर इतनी बड़ी संख्या में लोग एकत्रित थे कि उन्हें नियंत्रित करने में पुलिस प्रशासन को भारी मशक्कत करनी पड़ी थी.
थाना प्रभारी रामेश्वर भगत ने बताया था कि ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार मना करने पर भी संजू प्रधान जंगल से पेड़ काटकर बेच देता था. इसलिए ग्रामीणों ने आक्रोशित होकर यह कदम उठाया.
सिमडेगा के पुलिस अधीक्षक शम्स तबरेज ने बताया कि 32 वर्षीय युवक संजू प्रधान की भीड़ के साथ मिलकर निर्मम हत्या करने के मामले में शामिल रहे सात आरोपियों को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, तबरेज ने यह भी बताया कि मृतक के परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए गांव में तैनात पुलिस तैनात किया गया है. बाकी आरोपियों को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान शुरू कर दी गई है.
घटना के विरोध में अगले दिन पांच जनवरी को भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिले भर में मुख्यमंत्री का पुतला दहन कर विरोध जताया और भोक्ता समाज ने कोलेबिरा में सड़क जाम कर घटना पर रोष जताते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की थी.
पांच जनवरी को पुलिस ने 13 नामजद समेत कुल 38 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.
मारे गए युवक की पत्नी ने आरोप लगाया है कि जब उन्मादी भीड़ ने संजू को घेरकर पत्थरों एवं लाठियों से मारा तो वह वहां मौजूद पुलिस अधिकारियों से लगातार उन्हें बचाने के लिए गिड़गिड़ाती रहीं, लेकिन किसी पुलिसकर्मी ने उसकी कोई मदद नहीं की.
उसने यह भी आरोप लगाया कि उसके पति को जब जलाया गया तब वह जिंदा थे.
मालूम हो कि एक पखवाड़े पहले ही झारखंड विधानसभा ने शीतकालीन सत्र में भीड़ की हिंसा को रोकने से संबंधित एक विधेयक पारित किया था. मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग बिल, 2021 में हिंसा के दोषी व्यक्तियों के लिए तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा के अलावा जुर्माना और संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान है.
पश्चिम बंगाल और राजस्थान के बाद ऐसा कानून पारित करने वाला झारखंड देश का तीसरा राज्य बन गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)