जेल प्राधिकारियों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, सोमवार तक संक्रमित पाए गए 66 क़ैदियों में से 42 तिहाड़ और 24 मंडोली जेल में हैं. संक्रमित पाए गए 48 कर्मचारियों में से तिहाड़ के 34, मंडोली जेल के आठ और रोहिणी जेल के छह कर्मचारी हैं.
नई दिल्ली: दिल्ली के तीन कारागारों में 66 कैदी और 48 कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.
दिल्ली कारागार के महानिदेशक संदीप गोयल ने कहा, ‘किसी भी संक्रमित की हालत गंभीर नहीं है. हम कोविड-19 संबंधी सभी एहतियाती कदम उठा रहे हैं.’
जेल प्राधिकारियों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, सोमवार तक संक्रमित पाए गए 66 कैदियों में से 42 तिहाड़ और 24 मंडोली जेल में हैं. संक्रमित पाए गए 48 कर्मचारियों में से तिहाड़ के 34, मंडोली जेल के आठ और रोहिणी जेल के छह कर्मचारी हैं.
प्राधिकारियों ने बताया कि तिहाड़, मंडोली और रोहिणी जेल परिसर में संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कारागार डिस्पेंसरी को ‘कोविड देखभाल केंद्र’ में तब्दील कर दिया गया है. तिहाड़ में स्थापित एक ऑक्सीजन संयंत्र भी जल्द काम करना शुरू कर देगा.
उन्होंने बताया कि उन कैदियों के लिए कई ‘मेडिकल आइसोलेशन सेल’ स्थापित किए गए हैं, जिनमें संक्रमण के मामूली लक्षण हैं. वहीं, जिन मरीजों में संक्रमण का कोई भी लक्षण नहीं है, उनके लिए कारागार परिसर में ही अलग से ‘पृथकवास कक्ष’ बनाए गए हैं.
प्राधिकारियों ने बताया कि तिहाड़ में 120 बिस्तरों का और मंडोली में 48 बिस्तरों का ‘कोविड देखभाल केंद्र’ बनाया गया है.
जेल प्रशासन ने बताया कि कैदियों और कर्मचारियों की देखभाल के लिए उन्होंने चार समितियों का गठन किया है.
प्राधिकारियों ने बताया कि जहां तक संभव हो, कर्मचारी और कैदी सामाजिक दूरी बनाए रख रहे हैं. कैदियों को अधिकतर समय उनके वार्ड से बाहर नहीं आने दिया जा रहा और कोविड-19 संबंधी नियमों की जानकारी देने के लिए नियमित रूप से जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं.
आंकड़ों के अनुसार, सात जनवरी तक दिल्ली के तीन कारागार में कुल 18,528 कैदी थे. इनमें से तिहाड़ में 12,669, मंडोली में 4,018 और रोहिणी में 1,841 कैदी थे.
मालूम हो कि संक्रमण की पिछली लहरों के दौरान अदालत के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली में कई कैदियों को पैरोल और फर्लो दिए गए थे.
मई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के मामले में अप्रत्याशित बढ़ोतरी पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकारों से उन क़ैदियों को तुरंत रिहा करने के लिए कहा था, जिन्हें 2020 में साल ज़मानत या पैरोल दी गई थी.
इसके बाद जुलाई 2021 में कोर्ट ने कहा था कि देश में कोरोना वायरस के मद्देनजर राज्यों को जेलों से भीड़ को कम करने लिए रिहा किए गए कैदियों को आत्मसमर्पण के लिए नहीं कहा जाना चाहिए.
उससे पहले कोरोना की पहली लहर के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कम जघन्य अपराध में दोषियों और अंडर ट्रायल कैदियों की अंतरिम जमानत पर रिहाई पर विचार करने के लिए सभी राज्यों में एचपीसी के गठन के निर्देश दिए थे ताकि कोरोना की वजह से जेलों से भीड़ को कम किया जा सके.
हालांकि नवंबर-दिसंबर 2020 के आसपास कोरोना के मामले कम होने के दौरान कई एचपीसी ने कैदियों की अतंरिम जमानत रद्द कर दी थी और उन्हें आत्मसमर्पण करने को कहा था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)