केरल में कोट्टायम की एक अदालत ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष उनके ख़िलाफ़ सबूत पेश करने में विफल रहा. एक नन ने रोमन कैथोलिक चर्च के जालंधर डायोसिस के बिशप बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर 2014 से 2016 के बीच उनके साथ 13 बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था.
कोट्टायम: केरल में कोट्टायम की एक अदालत ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल को नन से बलात्कार के आरोपों से शुक्रवार को बरी कर दिया.
अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत (द्वितीय) ने बिशप को इसलिए बरी कर दिया, क्योंकि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ सबूत पेश करने में विफल रहा था.
केरल की एक नन ने जून 2018 में पुलिस को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि 2014 से 2016 के बीच मुलक्कल ने उनका 13 बार बलात्कार किया था. वह तब रोमन कैथोलिक चर्च के जालंधर डायोसिस के बिशप थे.
कोट्टायम जिले की पुलिस ने जून 2018 में ही बिशप के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया था.
मामले की तहकीकात करने वाले विशेष जांच दल ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल को 21 सितंबर, 2018 में गिरफ्तार किया था और उसी साल 15 अक्टूबर को उन्हें अदालत से सशर्त जमानत मिल गई थी. जमानत पर रिहा होने के बाद जालंधर में उनका फूल-माला से स्वागत हुआ था.
नन ने उन पर गलत तरीके से बंधक बनाने, बलात्कार करने, अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और आपराधिक धमकी देने के आरोप लगाए थे. मामले में नवंबर 2019 में सुनवाई शुरू हुई, जो 10 जनवरी को पूरी हुई थी.
इसके अलावा अदालत ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को उसकी अनुमति के बिना मुकदमे से संबंधित किसी भी सामग्री को प्रसारित करने पर रोक लगाई थी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कोट्टायम के पूर्व एसपी और जांच अधिकारी रहे एस. हरिशंकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है, यह हमारे लिए चौंकाने वाला है. हमें पूरी तरह से सजा की उम्मीद थी. हम अपील करेंगे. हमारे पास कई पुख्ता सबूत थे. मामले के सभी गवाह सामान्य लोग थे.’
इस हाई-प्रोफाइल मामले में फैसला सुनाए जाने से पहले शुक्रवार सुबह कोट्टायम अतिरिक्त सत्र न्यायालय के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. यह मामला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पहली बार है जब एक कैथोलिक बिशप को भारत में बलात्कार और यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उस पर मामला दर्ज किया गया था.
बिशप मुलक्कल ने अपने खिलाफ आरोपों को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन अदालतों ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
बलात्कार के आरोपों से इनकार करते हुए बिशप ने दावा किया था कि आरोप ‘मनगढ़ंत’ थे और एक महिला द्वारा की गई शिकायत के संबंध में उनके खिलाफ यह कार्रवाई प्रतिशोध में की गई थी.
मालूम हो कि नन के बलात्कार का सामना कर रहे बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर फरवरी 2020 में एक और नन ने यौन शोषण का आरोप लगाया था.
35 साल की यह नन फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ चल रहे बलात्कार के मामले की गवाह थी, जिसने पुलिस के सामने अपना बयान दर्ज कराते हुए आरोप लगाए थे कि बिशप ने फोन पर उस पर यौन संबंधी और अश्लील टिप्पणियां की और उन्हें गलत तरीके से छुआ था.
नन ने अपने बयान में कहा था कि वह बिशप से डरी हुई थीं कि कहीं उन्हें समूह से बाहर न निकाल दिया जाए, इसलिए वह अब तक चुप थीं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)