वन क्षेत्र बढ़ा, लेकिन 10 सालों में 52 बाघ अभयारण्यों का हिस्सा 22.62 वर्ग किलोमीटर घटा: सरकार

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा जारी इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, शेरों को रहने के लिहाज़ से उपयुक्त वन क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों के दौरान 33.43 वर्ग किलोमीटर की कमी आई है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के कुल वन क्षेत्र में साल 2019 के मुक़ाबले 2,261 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है.

(फोटो: रॉयटर्स)

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा जारी इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, शेरों को रहने के लिहाज़ से उपयुक्त वन क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों के दौरान 33.43 वर्ग किलोमीटर की कमी आई है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के कुल वन क्षेत्र में साल 2019 के मुक़ाबले 2,261 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 52 बाघ अभयारण्यों के वन क्षेत्र में पिछले 10 सालों के दौरान 22.62 वर्ग किलोमीटर की कमी दर्ज की गई है, हालांकि इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के वन क्षेत्र में 2,261 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 जारी की. रिपोर्ट में कहा गया है कि 52 बाघ अभयारण्यों के वन क्षेत्र में पिछले दशक के दौरान 22.62 वर्ग किलोमीटर (0.04 प्रतिशत) की कमी आई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 20 बाघ अभयारण्यों के क्षेत्रफल में 1.28 वर्ग किलोमीटर से लेकर 238.80 वर्ग किलोमीटर तक की बढ़त दर्ज की गई है, लेकिन 32 बाघ अभयारण्यों के क्षेत्रफल में 0.06 वर्ग किलोमीटर से लेकर 118.97 वर्ग किलोमीटर तक की कमी दर्ज की गई है.

रिपोर्ट में बताया गया कि शेरों को रहने के लिहाज से उपयुक्त वन क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों के दौरान 33.43 वर्ग किलोमीटर की कमी आई है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बाघ गलियारा (Tiger Corridor) करीब 14 से 89.37 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 0.43 फीसदी है. वर्तमान आकलन से पता चलता है कि बाघ गलियारों में वन आवरण 11,75.12 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के कुल वन क्षेत्र का 1.62 प्रतिशत है.’

रिपोर्ट में कहा गया है कि दशकीय आकलन के लिए आईएसएफआर-2011 (डेटा अवधि 2008 से 2009) और वर्तमान चक्र (आईएसएफआर-2021, डेटा अवधि 2019-2020) के बीच की अवधि के दौरान वन क्षेत्र में बदलाव का विश्लेषण किया गया.

52 बाघ अभयारण्यों में साल 2011-2021 के बीच तेलंगाना के कवाल स्थित अभयारण्य में सबसे अधिक 118.97 वर्ग किलोमीटर की कमी दर्ज की गई. इसके बाद कर्नाटक के भद्रा में 53.09 वर्ग किलोमीटर और पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में 40 वर्ग किलोमीटर तक वन क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई.

पिछले दशक में वन क्षेत्र में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज करने वाले बाघ अभयारण्य में पश्चिम बंगाल का बक्सा सबसे आगे है, जिसके वन क्षेत्र में 238.8 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई. इसके बाद तमिलनाडु के अन्नामलाई अभयारण्य में 120.78 वर्ग किलोमीटर और छत्तीसगढ़ के इंद्रावती स्थित अभयारण्य में 64.48 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई.

शेरों के लिए उपयुक्त वन क्षेत्र के विश्लेषण के अनुसार, गुजरात स्थित गिर राष्ट्रीय उद्यान और गिर वन्यजीव अभयारण्य के वन क्षेत्र में 33.43 वर्ग किलोमीटर की कमी देखी गई. गिर राष्ट्रीय उद्यान में जहां वन क्षेत्र में 2.20 वर्ग किलोमीटर की गिरावट दर्ज की गई, वहीं गिर वन्य जीव अभयारण्य में 31.23 वर्ग किलोमीटर की कमी दर्ज की गई.

हालांकि इसी रिपोर्ट के अनुसार, देश का वन और वृक्ष आवरण 8.09 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, यह 2019 की तुलना में 2,261 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि है.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने नई दिल्ली में बीते 13 जनवरी को यह रिपोर्ट जारी की, जो हर दो साल में भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा तैयार की जाती है.

रिपोर्ट के अनुसार, 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उनके भौगोलिक क्षेत्र का 33 प्रतिशत से अधिक हिस्सा वन आच्छादित है. इसमें मध्य प्रदेश पहले नंबर पर है. उसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र हैं.

वन क्षेत्र में सबसे अधिक बढ़ोतरी पांच राज्यों में दर्ज की गई है. इनमें आंध्र प्रदेश (647 वर्ग किमी की वृद्धि), तेलंगाना (632 वर्ग किमी), ओडिशा (537 वर्ग किमी), कर्नाटक (155 वर्ग किमी) और झारखंड (110 वर्ग किमी) शामिल हैं.

2020-21 में जंगलों में आग की 3.98 लाख से अधिक घटनाओं का पता चला: अध्ययन

इसके अलावा भारत में 2020-2021 में आग के मौसम में जंगलों में आग की 3.98 लाख से अधिक घटनाओं की सूचना मिली, जो पिछले वर्ष की तुलना में दोगुने से अधिक है. बृहस्पतिवार को एक सरकारी रिपोर्ट में यह बात कही गई.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 जारी की.

इसमें कहा गया है कि नवंबर 2020 और जून 2021 के बीच आग के मौसम में भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा जंगलों में आग की 3,98,774 घटनाओं का पता लगाया गया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2019 और जून 2020 के बीच जंगलों में आग की 1,46,920 घटनाएं दर्ज की गईं.

राज्यों में ओडिशा में आग की सर्वाधिक 51,968 घटनाएं दर्ज की गईं और मध्य प्रदेश में 47,795 तथा छत्तीसगढ़ में आग की 38,106 घटनाएं हुईं.

जिलों में 10,577 के आंकड़े के साथ आग की सबसे अधिक घटनाएं महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में देखी गईं. इसके बाद ओडिशा के कंधमाल में 6,156 और छत्तीसगढ़ के बीजापुर में 5,499 घटनाएं हुईं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक नवंबर, 2019 से 30 जून, 2020 तक भारत में कुल जले हुए वन क्षेत्र का आकलन 11,094 वर्ग किलोमीटर किया गया है, जो देश के कुल वन क्षेत्र का 1.56 प्रतिशत है.

इसमें कहा गया है, ‘भारत में कई प्रकार के वनों, विशेष रूप से सूखे पर्णपाती वनों में भीषण आग लगती है, जबकि सदाबहार, अर्ध सदाबहार और पर्वतीय तापमान वाले वनों में तुलनात्मक रूप से यह कम होता है. देश के 36 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र में बार-बार आग लगने का अनुमान लगाया गया है. वर्तमान में एफएसआई राज्य के वन विभागों को 24 घंटे में कम से कम छह बार जंगलों में आग की घटनाओं के प्रति सचेत करती रही है.’

एफएसआई द्वारा किए गए दीर्घकालिक प्रवृत्ति विश्लेषण के अनुसार, भारत में वन क्षेत्र का लगभग 10.66 प्रतिशत क्षेत्र आग लगने की उच्च से अत्यंत उच्च आशंका वाले क्षेत्रों में शामिल है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)