किसान मोर्चा का केंद्र सरकार के विरोध का ऐलान, यूपी में भाजपा को वोट नहीं देने की होगी अपील

कृषि क़ानूनों का विरोध करने वाले किसान संगठनों का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि संगठन भाजपा के ख़िलाफ़ अपने ‘मिशन यूपी’ अभियान को फिर शुरू करेगा, क्योंकि मोदी सरकार ने उनमें से एक भी मांग पूरी नहीं की है, जिनको पूरा करने का आश्वासन देकर उन्होंने किसान आंदोलन ख़त्म कराया था.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

कृषि क़ानूनों का विरोध करने वाले किसान संगठनों का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि संगठन भाजपा के ख़िलाफ़ अपने ‘मिशन यूपी’ अभियान को फिर शुरू करेगा, क्योंकि मोदी सरकार ने उनमें से एक भी मांग पूरी नहीं की है, जिनको पूरा करने का आश्वासन देकर उन्होंने किसान आंदोलन ख़त्म कराया था.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

चंडीगढ़: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई मंत्री और विधायकों द्वारा पार्टी छोड़ने के बाद अब किसान संगठनों ने भी भाजपा की नाक में दम करने के लिए कमर कस ली है.

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बीते शनिवार को अपनी समीक्षा बैठक में यह घोषणा की कि संगठन भाजपा के खिलाफ अपने ‘मिशन यूपी’ अभियान को फिर से शुरू करेगा, क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार ने वो एक भी मांग पूरी नहीं की है, जिनको पूरा करने का आश्वासन देकर उन्होंने किसान आंदोलन खत्म कराया था.

दिल्ली के सिंघू बॉर्डर के पास हुई समीक्षा बैठक खत्म होने के बाद किसान मोर्चा के प्रमुख सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने द वायर  को बताया कि पश्चिम बंगाल चुनावों की तरह ही मिशन यूपी का आयोजन होगा. मतदाताओं को भाजपा की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ वोट करने के लिए कहा जाएगा.

डॉ. पाल ने कहा कि 9 दिसंबर 2021 को सरकार द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखकर सभी लंबित मांगों को पूरा करने का वादा किया गया था, जिसके बाद हमारी भाजपा के खिलाफ राजनीतिक अभियान फिर से शुरू करने की कोई मंशा नहीं थी, लेकिन एक महीने बाद भाजपा ने उन मांगों पर कोई कदम नहीं उठाया, इसलिए मोर्चा मिशन यूपी फिर से शुरू करने के लिए मजबूर है.

उन्होंने कहा कि ‘मिशन यूपी’ अभियान लखीमपुर खीरी से 21 जनवरी को शुरू होगा, क्योंकि वहां चार निर्दोष किसानों की वाहन से कुचलकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में जांच एजेंसियों ने ‘सुनियोजित साजिश’ की पुष्टि की थी.

उन्होंने कहा कि गुनाहगारों को सजा देने के बजाय भाजपा लगातार मुख्य साजिशकर्ता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ को बचा रही है.

उन्होंने आगे कहा, ‘दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश पुलिस इस घटना में नामजद किसानों को फंसाने और गिरफ्तार करने में अति सक्रिय है. इसका विरोध करने के लिए राकेश टिकैत और संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य सदस्यों के नेतृत्व में स्थायी विरोध होगा.’

साथ ही उन्होंने बताया कि मोर्चा ने 31 जनवरी को पूरे देश में ‘विश्वासघात दिवस’ मनाने का फैसला किया है, जिसके तहत जिला और ब्लॉक स्तर पर विरोध प्रदर्शन होंगे.

लंबित मुद्दे 

मोर्चा की लंबित मांगों की बात करें तो उनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागू करने के लिए समिति का गठन, किसानों के खिलाफ दर्ज फर्जी मुकदमे वापस लेना और किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवार को मुआवजा देने जैसी मांगें शामिल हैं.

इनके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा ने बिजली संशोधन विधेयक में किसान विरोधी प्रावधान वापस लेने, पराली जलाने पर दंडात्मक प्रावधानों को हटाने और लखीमपुर खीरी कांड में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को हटाने और गिरफ्तार करने की मांग की है.

समीक्षा बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोर्चा के नेताओं ने कहा कि इनमें से किसी भी मांग पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

जहां केंद्रीय गृह राज्य अजय कुमार मिश्रा मोदी सरकार में मंत्री बने हुए हैं, वहीं किसानों के खिलाफ दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में दर्ज मामले बरकरार हैं. हरियाणा में भी कुछ कागजी कार्रवाई को छोड़कर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने यह भी कहा कि मुआवजे के सवाल पर राज्यों के साथ-साथ केंद्र भी खामोश है. उत्तर प्रदेश सरकार ने शहीद किसानों के परिवारों को मुआवजा देने पर कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है. उन्होंने कहा कि मुआवजे की राशि और प्रकृति के संबंध में हरियाणा सरकार द्वारा भी कोई घोषणा नहीं की गई है.

शनिवार को हुई समीक्षा बैठक के बाद किसानों नेताओं द्वारा जारी बयान में कहा गया है, एमएसपी के मुद्दे पर सरकार ने न तो किसी समिति के गठन की घोषणा की है और न ही समिति के स्वरूप के बारे में कोई जानकारी दी है.

यह भी घोषणा की गई कि 23 और 24 फरवरी को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने चार श्रम विरोधी कानूनों को वापस लेने के साथ-साथ किसानों के लिए एमएसपी के मुद्दों और निजीकरण के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. मोर्चा इसका समर्थन करेगा.

किसान संगठन ने यह भी घोषणा की कि संयुक्त किसान मोर्चा के कई घटक संगठन, जिन्होंने पंजाब में चुनाव लड़ने का फैसला किया है, वे अब इसका हिस्सा नहीं हैं. साथ ही उसने अप्रैल में फिर से हालातों की समीक्षा करने की बात कही है.

डॉ. पाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने हमेशा से किसी भी राजनीतिक दल द्वारा अपने नाम, बैनर या मंच के किसी भी तरह के उपयोग को प्रतिबंधित किया है और यह शुरू से ही गैर-राजनीतिक रहा है और रहेगा.

इस बीच नई राजनीतिक पार्टी ‘संयुक्त समाज मंच’ का गठन करने वाल बलबीर सिंह राजेवाल और ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ नामक दल बनाने वाले किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी बैठक में मौजूद नहीं थे.

राजेवाल की पार्टी ने पहले ही 10 से अधिक सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और यह आने वाले दिनों में और उम्मीदवारों की घोषणा करेगा. इस पार्टी को 22 किसान संगठन समर्थन दे रहे हैं.

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