किसी व्यक्ति का उसकी मर्ज़ी के बिना टीकाकरण नहीं कराया जा सकता: केंद्र ने न्यायालय से कहा

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल अपने एक हलफ़नामे में कहा है कि कोई भी सरकारी दिशानिर्देश बिना सहमति जबरन टीकाकरण करने की बात नहीं कहता है और न ही किसी भी प्रयोजन के लिए टीकाकरण प्रमाण-पत्र दिखाने को अनिवार्य बनाते हैं.

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नवी मुंबई नगर निगम द्वारा नवी मुंबई में संचालित की जा रही एक विशेष मेडिकल बस के अंदर कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण कराता एक व्यक्ति. (फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल अपने एक हलफ़नामे में कहा है कि कोई भी सरकारी दिशानिर्देश बिना सहमति जबरन टीकाकरण करने की बात नहीं कहता है और न ही किसी भी प्रयोजन के लिए टीकाकरण प्रमाण-पत्र दिखाने को अनिवार्य बनाते हैं.

नवी मुंबई नगर निगम द्वारा नवी मुंबई में संचालित की जा रही एक विशेष मेडिकल बस के अंदर कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण कराता एक व्यक्ति. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ऐसा कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया है, जो किसी व्यक्ति की बिना उसकी सहमति के टीकाकरण करने की बात करता हो या किसी भी प्रयोजन में टीकाकरण के प्रमाण-पत्र को अनिवार्य बनाते हों.

इसके अलावा विशेष रूप से सक्षम लोगों (Differently Abled) को टीकाकरण प्रमाण-पत्र दिखाने से छूट देने के मामले पर केंद्र ने न्यायालय से कहा कि उसने ऐसी कोई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी नहीं की है, जो किसी मकसद के लिए टीकाकरण प्रमाण-पत्र साथ रखने को अनिवार्य बनाती हो.

केंद्र ने गैर सरकारी संगठन एवारा फाउंडेशन की एक याचिका के जवाब में दायर अपने हलफनामे में यह बात कही. याचिका में घर-घर जाकर प्राथमिकता के आधार पर विशेष रूप से सक्षम लोगों का टीकाकरण किए जाने का अनुरोध किया गया है.

हलफनामे में कहा गया है, ‘भारत सरकार तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश संबंधित व्यक्ति की सहमति प्राप्त किए बिना जबरन टीकाकरण की बात नहीं कहते.’

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में टीकाकरण के संबंध में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 13 जनवरी को एक हलफनामा दाखिल किया था. इस हलफनामे में सरकार की ओर से कहा गया है कि ‘किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध टीका लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.’

हलफनामे में यह भी लिखा है कि भारत सरकार ने ऐसा कोई एसओपी जारी नहीं की है, जो किसी भी प्रयोजन के लिए टीकाकरण प्रमाण-पत्र ले जाने या दिखाने को अनिवार्य बनाती हो.

हलफनामे में सरकार ने टीके का महत्व समझाते हुए लिखा है कि सभी नागरिकों को सलाह दी जाती है कि उन्हें टीकाकरण कराना चाहिए, इसके लिए समुचित व्यवस्था की गई है. हालांकि, किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध टीकाकरण करवाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है.

सरकार द्वारा हलफनामे में कहा गया है कि उसने टीकाकरण के संबंध में जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उनके मुताबिक टीकाकरण कराने वाले सभी लाभार्थियों को यह भी बताया जाता है कि टीकाकरण कराने के बाद शरीर पर उसके कुछ प्रतिकूल प्रभाव भी हो सकते हैं.

बता दें कि कुछ राज्यों ने टीकाकरण न कराने वाले लोगों पर कड़ाई बरतते हुए ऐसे आदेश भी जारी किए हैं, जिनके तहत टीकाकरण न कराने वाले लोगों पर पाबंदियां लगाई गई हैं.

महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि लोकल ट्रेन में केवल वो ही लोग सफर कर पाएंगे, जिन्होंने दोनों टीके लगवा लिए हैं, जबकि केरल सरकार ने कहा है कि जिन लोगों ने टीके नहीं लगवाएं हैं, अगर उन्हें कोरोना होता है तो सरकार उनके इलाज का खर्च नहीं उठाएगी.