गणतंत्र दिवस परेड के लिए कुछ राज्यों की झांकियों को मंज़ूरी नहीं दी गई है. केरल सहित ग़ैर भाजपा शासित राज्यों के कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि यह केंद्र द्वारा अपमान है. इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा है कि इस साल गणतंत्र दिवस परेड के लिए झांकियों का चयन निर्दिष्ट दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया है.
नई दिल्ली/चेन्नई/कोलकाता/पुदुचेरी: गणतंत्र दिवस परेड के लिए कुछ राज्यों की झांकियों को मंजूरी नहीं मिलने पर शुरू हआ विवाद तेज हो गया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद तमिलनाडु में उनके समकक्ष एमके स्टालिन ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की.
इस बीच केरल सहित गैर भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों के कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि यह केंद्र द्वारा अपमान है.
कुछ राज्यों की झांकियों का चयन नहीं होने पर उन राज्यों द्वारा की जा रही आलोचनाओं को खारिज करते हुए केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि यह गलत परंपरा है और झांकियों का चयन केंद्र सरकार नहीं, बल्कि एक विशेषज्ञ समिति करती है.
केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के प्रस्तावों को विषय विशेषज्ञ समिति ने उचित प्रक्रिया और विचार-विमर्श के बाद खारिज किया है.
केंद्र सरकार के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एक विषय आधारित प्रक्रिया के परिणाम को केंद्र और राज्यों के बीच गतिरोध का बिंदु दर्शाने का जो तरीका अपनाया है, वह गलत है. इससे देश के संघीय ढांचे को दीर्घकालिक नुकसान होगा.’
उन्होंने कहा कि राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से कुल 56 प्रस्ताव मिले थे, जिनमें से 21 का चयन किया गया. अधिकारियों ने भी कहा कि हर साल चयन की ऐसी ही प्रक्रिया अपनाई जाती है.
इस बीच मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से कहा कि इस साल गणतंत्र दिवस परेड के लिए झांकियों का चयन निर्दिष्ट दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अपने राज्यों की झांकियों को शामिल नहीं किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और उनसे हस्तक्षेप का आग्रह किया है.
बीते सोमवार को लिखे पत्र में स्टालिन ने कहा कि झांकियों को शामिल नहीं करने से तमिलनाडु की जनता की संवेदनाएं और देशभक्ति की भावनाएं आहत होंगी.
इससे पहले पश्चिम बंगाल की झांकी को शामिल नहीं किए जाने पर हैरानी जताते हुए बनर्जी ने कहा था कि इस तरह के कदमों से उनके राज्य की जनता को दुख होगा.
स्टालिन ने इसे तमिलनाडु और उसके लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय बताते हुए प्रधानमंत्री से तमिलनाडु की झांकी को शामिल करने की व्यवस्था करने की खातिर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की.
इसके एक दिन पहले (16 जनवरी) ममता बनर्जी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 125वीं जयंती वर्ष पर उनके और आजाद हिंद फौज के योगदान से जुड़ी पश्चिम बंगाल की झांकी को बाहर करने के केंद्र के फैसले पर हैरानी जताई थी.
उन्होंने 16 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था.
मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘प्रस्तावित झांकी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती वर्ष पर उनके और आजाद हिंद फौज के योगदान तथा इस देश के महान बेटे और बेटियों ईश्वर चंद्र विद्यासागर, रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद देशबंधु चित्तरंजन दास, श्री अरबिंदो, मातंगिनी हाजरा, नजरूल, बिरसा मुंडा और कई देशभक्तों की स्मृति में बनाई गई थी.’
उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर बार-बार और व्यवस्थित तरीके से उनके इतिहास, संस्कृति और गौरव का अपमान करने का आरोप लगाया.
मालूम हो कि साल 2020 में भी पश्चिम बंगाल की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने की मंजूरी नहीं दी गई थी. बंगाल के अलावा महाराष्ट्र, केरल और बिहार की झांकियों को भी अनुमति नहीं मिली थी.
कांग्रेस ने भी इस घटनाक्रम पर निराशा व्यक्त की है और लोकसभा में उसके नेता अधीर रंजन चौधरी ने बीते 15 जनवरी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा था.
चौधरी ने कहा कि यह फैसला पश्चिम बंगाल के लोगों, इसकी सांस्कृतिक विरासत और नेताजी बोस का ‘अपमान’ है.
केरल के भी अनेक नेताओं ने केंद्र की आलोचना की है.
लेकिन केंद्र के एक सूत्र ने कहा, ‘इस विषय को क्षेत्रीय गौरव से जोड़ दिया गया है और इसे केंद्र सरकार द्वारा राज्य की जनता के अपमान के तौर पर प्रदर्शित किया जा रहा है. यह हर साल की कहानी है.’
सूत्रों ने कहा कि समयाभाव के कारण कुछ ही प्रस्तावों को स्वीकार किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि झांकी के लिए केरल के प्रस्ताव को इसी प्रक्रिया के तहत 2018 और 2021 में मोदी सरकार में ही स्वीकार किया गया था.
इसी तरह 2016, 2017, 2019, 2020 और 2021 में तमिलनाडु की झांकियों को भी शामिल किया गया था. उन्होंने कहा कि इसी तरह 2016, 2017, 2019 और 2021 में पश्चिम बंगाल की झांकियों को मंजूरी दी गई थी.
तमिलनाडु के प्रस्ताव को अंतिम सूची में जगह नहीं मिली: राजनाथ
इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मंगलवार को कहा कि इस साल गणतंत्र दिवस परेड के लिए झांकियों का चयन निर्दिष्ट दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया है. राजनाथ सिंह ने ऐसा ही एक पत्र ममता बनर्जी को भी लिखा है.
स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनके राज्य के झांकी के प्रस्ताव को स्वीकृत नहीं किये जाने पर हस्तक्षेप का अनुरोध किया था.
स्टालिन को जवाब में लिखे पत्र में रक्षा मंत्री ने कहा कि झांकी के चयन के लिए हुईं बैठकों के पहले तीन दौर में तमिलनाडु के प्रस्ताव पर विचार किया गया, लेकिन इस साल गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए चयनित 12 झांकियों की अंतिम सूची में उसे जगह नहीं मिली.
Defence Minister Rajnath Singh writes a letter each to Mamata Banerjee and MK Stalin. This is on the tableau issue. pic.twitter.com/b0IJfmi8de
— Sanket Upadhyay (@sanket) January 18, 2022
सिंह ने कहा, ‘गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए झांकियों के चयन की एक भलीभांति स्थापित प्रणाली है, जिसके अनुसार रक्षा मंत्रालय सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों से झांकियों के लिए प्रस्ताव आमंत्रित करता है.’
रक्षा मंत्री ने कहा कि अनेक राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों से प्राप्त झांकी के प्रस्तावों का विशेषज्ञ समिति की बैठकों में सिलसिलेवार मूल्यांकन किया जाता है. इस समिति में कला, संस्कृति, ललित कला, मूर्तिकला, संगीत, शिल्पकला, नृत्य आदि क्षेत्रों के जानेमाने लोग हैं.
उन्होंने कहा, ‘विशेषज्ञ समिति थीम, अवधारणा, डिजाइन और दृश्य प्रभाव के आधार पर प्रस्ताव का आकलन करती है और फिर सिफारिश देती है.’
सिंह ने कहा कि इस साल गणतंत्र दिवस परेड के लिए तमिलनाडु समेत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कुल 29 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल में 2017, 2019, 2020 और 2021 में तमिलनाडु की झांकी को परेड के लिए चुना गया था.
उन्होंने स्टालिन से कहा, ‘उक्त जानकारी के मद्देनजर आप इस बात की सराहना करेंगे कि झांकियों का चयन निर्दिष्ट दिशानिर्देशों के अनुसार हुआ है.’
निर्मला सीतारमण का स्पष्टीकरण
इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते सोमवार को कई ट्वीट करके इस संबंध में सरकार का पक्ष रखा है.
एक ट्वीट में उन्होंने कहा है, ‘राज्य, भारत सरकार के मंत्रालय और सार्वजनिक उपक्रम हर साल गणतंत्र दिवस परेड के लिए प्रस्ताव भेजते हैं. परेड की अवधि ही सीमित है. कला क्षेत्र की एक विशेषज्ञ समिति प्रस्तावों को शॉर्टलिस्ट करती हैं. इस बार भारत सरकार को 56 प्रस्ताव प्राप्त हुए, उनमें से 21 को शॉर्टलिस्ट किया गया.’
States, GoI ministries & PSUs send proposals for #RepublicDay tableaux every year.
The duration of Parade itself is limited.
An Expert Committee of eminences from the arts shortlist from those received.
For RD 2022, GoI received 56 proposals; 21 were shortlisted.
(1/3)
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) January 17, 2022
उन्होंने कहा, ‘चयन के लिए मौजूदा मानदंडों और प्रस्तावों का ईमानदारी से पालन किया गया है. जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, 2018 और 2021 में केरल की झांकी, 2016, 2017, 2019, 2020 और 2021 में तमिलनाडु और 2016, 2017, 2019 और 2021 में पश्चिम बंगाल की झांकी का चयन किया गया था.’
Incidentally, this year the tableau of @CPWDGOV includes Netaji Subhash Chandra Bose.
Stop seeing bad politics in a display that celebrates India.
(3/3)
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) January 17, 2022
संयोग से इस वर्ष केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की झांकी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस शामिल हैं. भारत का जश्न मनाने वाले प्रदर्शन में खराब राजनीति को देखना बंद करें.
प्रधानमंत्री से अनुरोध, नेताजी पर केंद्रित बंगाल की झांकी को अनुमति दें: तथागत रॉय
दूसरी ओर भाजपा के वरिष्ठ नेता तथागत रॉय ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आह्वान किया कि वह राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित होने जा रहे मुख्य गणतंत्र दिवस समारोह में पश्चिम बंगाल की नेता सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी झांकी को हिस्सा लेने की अनुमति दें.
उन्होंने यह अनुरोध राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा इसी तरह की अपील प्रधानमंत्री से किए जाने के एक दिन बाद किया है.
रॉय ने हालांकि, स्पष्ट किया कि मोदी से उनके अनुरोध को तृणमूल कांग्रेस की ‘तुष्छ राजनीति’ के समर्थन के रूप में नहीं देखा जानी चाहिए.
Quite a few seem exercised that I have appealed to the Prime Minister for inclusion of the West Bengal tableau on Republic Day. This is only to showcase the contribution of Netaji and the freedom fighters of undivided Bengal. Not to support TMC's petty politics @narendramodi
— Tathagata Roy (@tathagata2) January 17, 2022
रॉय ने ट्वीट किया, ‘मेरी अपील प्रधानमंत्री से है कि गणतंत्र दिवस समारोह में पश्चिम बंगाल की झांकी को अनुमति दें. इसमें नेताजी के कार्यों को दिखाया गया है.’
इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को टैग किया है.
त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल ने कहा, ‘केंद्र ने पहली बार नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जन्मदिन को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत की. गणतंत्र दिवस समारोह अब हर साल 24 जनवरी के बजाय 23 जनवरी से शुरू होगा, इसलिए किसी भी राज्य सरकार को नेताजी को याद करने का श्रेय नहीं लेने दें.’
नारायण गुरु की झांकी शामिल न करने पर नारायणसामी ने केंद्र पर साधा निशाना
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी. नारायणसामी ने राष्ट्रीय राजधानी में होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह में समाज सुधारक नारायण गुरु से जुड़ी झांकी दिखाने की इजाजत न देने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.
कोरोना संक्रमण के चलते घर पर क्वारंटीन में रह रहे नारायणसामी ने सोमवार को संवाददाताओं को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि नारायण गुरु एक महान समाज सुधारक थे. केरल सरकार ने गणतंत्र दिवस समारोह में जाति प्रथा के खिलाफ आवाज उठाने वाली इस हस्ती की झांकी प्रदर्शित करने की अनुमति मांगी थी.
उन्होंने कहा, ‘हालांकि, यह चिंता का सबब है कि केंद्र सरकार ने उनकी झांकी प्रदर्शित करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया. सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करते हुए गणतंत्र दिवस समारोह में नारायण गुरु की झांकी दिखाने की अनुमति देनी चाहिए.’
पुदुचेरी के पूर्व मुख्यमंत्री नारायणसामी ने तमिलनाडु सरकार को महान स्वतंत्रता सेनानी वीओ चिदंबरम (कप्पालोटिया तमीझान), राष्ट्र कवि सुब्रमणिया भारती और महारानी वेलु नचियार से जुड़ी झांकियां दिखाने की अनुमति न देने को लेकर भी केंद्र सरकार को घेरा.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस-द्रमुक गठबंधन वाली पुदुचेरी की पूर्व सरकार ने औरुबिंदो और भारथियार की झांकियां दिखाने का भी आग्रह किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे नहीं स्वीकारा.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बी. रामनाथ राय ने भी गणतंत्र दिवस परेड के दौरान केरल सरकार द्वारा प्रस्तावित संत और सुधारक नारायण गुरु की झांकी को खारिज करने के लिए केंद्र की कड़ी आलोचना की है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, राय ने कहा कि गणतंत्र दिवस परेड के लिए केंद्र सरकार द्वारा महान दूरदर्शी नारायण गुरु की झांकी को अस्वीकार करना ‘अत्यंत निंदनीय’ है.
उन्होंने कहा कि नारायण गुरु एक महान दूरदर्शी, आध्यात्मिक दार्शनिक और समाज सुधारक थे, जिन्होंने जाति व्यवस्था के और उच्च जातियों द्वारा दबे हुए पिछड़े वर्गों के साथ किया गया अन्याय और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी.
एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर के सिद्धांत का प्रचार करने वाले गुरु के हजारों अनुयायी और भक्त हैं. उन पर एक झांकी को खारिज करके केंद्र ने महान दूरदर्शी और उनके दर्शन का अपमान किया है.
पूर्व मंत्री ने कहा कि यह निर्णय ‘दर्दनाक’ और ‘अक्षम्य’ है. राय ने कहा कि जब कर्नाटक में कांग्रेस सत्ता में थी, तो राज्य ने देखा था सरकारी कार्यक्रम के रूप में गुरु जयंती मनाई जाती थी.
उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा उन पर झांकी को नकारना महान दूरदर्शी का अपमान है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)