यूपी: अपना दल व निषाद पार्टी के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी भाजपा, अपर्णा यादव पार्टी में शामिल

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: यूपी में आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर सपा-रालोद उम्मीदवार समेत 60 पर मामला दर्ज हुआ. उत्तराखंड में हरक सिंह रावत की वापसी को लेकर कांग्रेस में विरोध बढ़ा. पंजाब के मुख्यमंत्री ने ईडी के छापों को साज़िश बताया है, वहीं गोवा में शिवसेना-एनसीपी के बीच चुनाव-पूर्व गठबंधन हुआ.

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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य नेताओं के साथ अपर्णा यादव. (फोटो साभार: ट्विटर)

विधानसभा चुनाव राउंड-अप: यूपी में आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर सपा-रालोद उम्मीदवार समेत 60 पर मामला दर्ज हुआ. उत्तराखंड में हरक सिंह रावत की वापसी को लेकर कांग्रेस में विरोध बढ़ा. पंजाब के मुख्यमंत्री ने ईडी के छापों को साज़िश बताया है, वहीं गोवा में शिवसेना-एनसीपी के बीच चुनाव-पूर्व गठबंधन हुआ.

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य नेताओं के साथ अपर्णा यादव. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली/लखनऊ/कोलकाता/चंडीगढ़/देहरादून/पणजी: समाजवादी पार्टी के संरक्षक और वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव बुधवार को भाजपा में शामिल हो गईं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने परिवार की बहू को इसके लिए बधाई व शुभकामनाएं दीं.

भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और पार्टी के मीडिया विभाग के प्रभारी अनिल बलूनी की मौजूदगी में अपर्णा यादव ने भाजपा का दामन थामा. इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की.

यादव ने इस अवसर पर कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी नीतियों से हमेशा से प्रभावित रही हैं और अब वह भाजपा की सदस्यता लेकर राष्ट्र की आराधना करने निकल पड़ी हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा से प्रधानमंत्री जी से प्रभावित रही हूं. मेरे चिंतन में हमेशा राष्ट्र सबसे पहले है. राष्ट्र धर्म मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी है. मैं बस, यही बोलना चाहती हूं कि अब मैं राष्ट्र की आराधना करने निकली हूं.’

उन्होंने कहा कि वह अपनी क्षमता के अनुरूप जो भी कर सकती हैं, भाजपा के लिए करेंगी.

अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने को हाल में पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान सहित अन्य नेताओं के भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल होने के जवाब के रूप में देखा जा रहा है.

हालांकि अखिलेश यादव ने अपर्णा यादव को भाजपा में शामिल होने पर बधाई और शुभकामनाएं दीं.

लखनऊ में एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले मैं बधाई और शुभकामनाएं दूंगा. साथ ही साथ खुशी इस बात की है कि हमारी समाजवादी विचारधारा का विस्तार हो रहा है. मुझे उम्मीद है कि हमारी विचारधारा वहां पहुंच कर संविधान और लोकतंत्र को बचाने का काम करेगी.’

उनसे जब यह पूछा गया कि क्या उनको (अपर्णा को) रोकने की कोशिश नहीं की गयी, इसके जवाब में अखिलेश ने कहा, ‘नेता जी (मुलायम सिंह यादव) ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की.’

उल्लेखनीय है कि अपर्णा यादव 2017 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ कैंट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं. हालांकि उन्हें भाजपा नेता रीता बहुगुणा जोशी के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था.

अपर्णा यादव मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं. प्रतीक यादव मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी के पुत्र हैं.

अपर्णा यादव ने कुछ समाचार चैनलों से बातचीत में विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई लेकिन यह पूछे जाने पर कि वह कहां से चुनाव लड़ना पसंद करेंगी, उन्होंने कहा, ‘इस बारे में कोई भी फैसला पार्टी का शीर्ष नेतृत्व लेगा.’

अपना दल (एस), निषाद पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी भाजपा: जेपी नड्डा

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) अपने सहयोगियों, अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के साथ मिलकर राज्य की 403 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेगा.

नड्डा ने अपना दल (एस) की नेता व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद की मौजूदगी में भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि कौन-सा दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा.

नड्डा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा, अपना दल (एस) और निषाद पार्टी साथ मिलकर राज्य की 403 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों में अपना दल (एस) और निषाद पार्टी के साथ विस्तार से चर्चा हुई और उसके बाद सीटों के तालमेल पर फैसला हुआ.

इस अवसर पर अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा समाज के शोषित और वंचित वर्ग के कल्याण के लिए उठाए गए कदमों की सराहना की और विश्वास जताया कि राज्य में फिर से एक बार राजग की सरकार बनेगी.

पटेल ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में विकास और सामाजिक न्याय का संयोजन एक बेहतरीन कॉकटेल साबित हुआ है. उत्तर प्रदेश को विकास की भी आवश्यकता है और सामाजिक न्याय की भी जरूरत है. अपना दल ने अपनी स्थापना के साथ ही सदैव, समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के अधिकार और भागीदारी के लिए संघर्ष किया है.’

संजय निषाद ने इस अवसर पर उत्तर प्रदेश व केंद्र की पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि उन्होंने समाज के पिछड़े तबकों को सिर्फ छलने और विकास से दूर रखने का काम किया जबकि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र व राज्य की सरकारों ने बिना किसी भेदभाव के उनका वास्तविक विकास किया.

इस घोषणा से पहले भाजपा मुख्यालय में राजग नेताओं की एक बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, अध्यक्ष जे पी नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा तथा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और केंद्रीय मंत्री व उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी धमेंद्र प्रधान के अलावा अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद भी मौजूद थे.

सपा के लिए प्रचार करेंगी ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए प्रचार करेंगी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस उस राज्य में चुनाव नहीं लड़ेगी.

सपा के उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, ‘तृणमूल कांग्रेस उत्तर प्रदेश में चुनाव नहीं लड़ेगी और भाजपा के खिलाफ लड़ाई में समाजवादी पार्टी का समर्थन करेगी. ममता बनर्जी लखनऊ और वाराणसी में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ डिजिटल माध्यम से प्रचार करेंगी. वह आठ फरवरी को लखनऊ में होंगी और एक डिजिटल प्रचार कार्यक्रम में शामिल होंगी. वह फिर अखिलेश जी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन करेंगी.’

उन्होंने कहा कि बनर्जी फरवरी के अंत में वाराणसी का भी दौरा करेंगी, लेकिन तारीख अभी तय नहीं हुई है.

नंदा ने कहा, ‘वह (बनर्जी) एक डिजिटल बैठक के लिए वाराणसी जाएंगी.’ उन्होंने कहा कि कोविड रोधी प्रतिबंधों के कारण चुनाव प्रचार अधिकांशत: डिजिटल रूप से किया जा रहा है.

घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने पूछा कि क्या सपा ने तृणमूल कांग्रेस की विधानसभा चुनाव जीत के बाद राज्य में हिंसा का समर्थन किया था.

उन्होंने कहा, ‘भाजपा उत्तर प्रदेश में फिर से सत्ता में लौटेगी और हम जानना चाहेंगे कि क्या समाजवादी पार्टी चुनाव के बाद बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा की गई हिंसा का समर्थन करती है? यदि नहीं, तो उसे इसकी निंदा करनी चाहिए.’

उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव के ममता बनर्जी के साथ अच्छे संबंध हैं और वह जनवरी 2019 में तृणमूल कांग्रेस की मुखिया द्वारा आयोजित विपक्ष की एक बड़ी बैठक में भी शामिल हुए थे.

पूर्ववर्ती वाम मोर्चा शासन के दौरान पश्चिम बंगाल में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मत्स्य मंत्रियों में से शामिल नंदा ने 2010 में अपनी पश्चिम बंगाल सोशलिस्ट पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय कर दिया था.

आचार संहिता, कोविड नियमों के उल्लंघन को लेकर सपा-रालोद उम्मीदवार समेत 60 पर मामला दर्ज

विधानसभा चुनाव में सपा-रालोद के एक प्रत्याशी और 59 अन्य लोगों पर निर्वाचन आयोग की आदर्श आचार संहिता समेत कोविड नियमों के उल्लंघन के आरोप में बुधवार को मामला दर्ज किया गया.

पुलिस ने बताया कि सपा और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) गठबंधन की ओर से विधानसभा प्रत्याशी प्रसन्न चौधरी ने मुजफ्फरनगर जिले के कुवाना गांव में बिना अनुमति के एक सार्वजनिक सभा का आयोजन किया.

पुलिस ने कहा कि कांधला थाने में चौधरी समेत 60 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (सरकारी अधिकारी की ओर से जारी आदेश की अवहेलना), 269 और धारा 270 (किसी बीमारी का संक्रमण फैलाना) के अलावा महामारी रोग कानून-1897 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश में 22 जनवरी तक वास्तविक रैलियों के आयोजन और जनसभा बुलाने पर रोक लगा दी है.

पंजाब: खनन छापेमारी में ईडी ने मुख्यमंत्री के रिश्तेदार सहित अन्य से दस करोड़ रुपये की नकदी जब्त

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पंजाब में अवैध बालू खनन के खिलाफ जारी धनशोधन निरोधी जांच के सिलसिले में की गई छापेमारी के दौरान दस करोड़ रुपये की नकदी जब्त की है.

इसमें मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के एक रिश्तेदार के ठिकाने से जब्त किए गए आठ करोड़ रुपये भी शामिल हैं. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

अधिकारियों ने बताया कि अवैध खनन मामले में पंजाब के चंडीगढ़, मोहाली, लुधियाना और पठानकोट सहित अन्य शहरों में मंगलवार को दर्जनभर ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई शुरू की गई थी, जो बुधवार तड़के खत्म हुई.

उन्होंने बताया कि यह छापेमारी धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत की गई थी और इस दौरान जांच एजेंसी ने बड़ी संख्या में दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त किए.

सूत्रों के मुताबिक, ईडी की छापेमारी के दौरान दस करोड़ रुपये की नकदी भी जब्त हुई, जिसमें भूपिंदर सिंह उर्फ हनी के ठिकाने से मिले लगभग आठ करोड़ रुपये शामिल हैं. हनी रिश्ते में मुख्यमंत्री चन्नी का भतीजा लगता है. सूत्रों ने बताया कि दो करोड़ रुपये की नकदी संदीप कुमार नाम के एक शख्स के ठिकाने से बरामद हुई है.

सूत्रों की मानें तो ईडी छापेमारी के दायरे में आए लोगों को विस्तृत पूछताछ के लिए जल्द समन भेज सकती है. उन्होंने बताया कि इन लोगों से बीते चौबीस घंटों में कई दौर की प्रारंभिक पूछताछ की गई है.

ईडी की छापेमारी मुझे फंसाने की साज़िश: मुख्यमंत्री चन्नी

चरणजीत सिंह चन्नी. (फोटोः पीटीआई)

मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने बुधवार को आरोप लगाया कि भाजपा नीत केंद्र सरकार उन्हें उस मामले में ‘फंसाने’ के लिए ‘षड़यंत्र’ रच रही है, जिसे लेकर राज्य में कई स्थानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी की है.

चन्नी ने आरोप लगाया कि जब भी चुनाव होते हैं, केंद्र में भाजपा नीत सरकार राजनीतिक विपक्षियों को निशाना बनाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल करती है.

चन्नी ने अपने रिश्तेदार के आवास पर ईडी द्वारा मंगलवार को की गई छापेमारी का जिक्र करते हुए कहा, ‘इस मामले में मुझे फंसाने के लिए एक षड्यंत्र रचा गया है.’

उन्होंने आरोप लगाया कि संघीय जांच एजेंसी के कर्मी इस मामले में उन्हें ‘फंसाने’ की कोशिश कर रहे हैं. चन्नी ने सुखजिंदर सिंह रंधावा समेत कुछ मंत्रियों के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही.

चन्नी ने अपने भतीजे के परिसरों पर ईडी की छापेमारी पर प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि नवांशहर (शहीद भगत सिंह नगर जिला) पुलिस द्वारा 2018 में दर्ज प्राथमिकी में उनका नाम शामिल भी नहीं था.

चन्नी ने अपने भतीजे के परिसरों में ईडी की छापेमारी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फिरोजपुर की हालिया यात्रा से जोड़ने की कोशिश की. इस यात्रा के दौरान मोदी का काफिला किसानों के प्रदर्शन के कारण 15 से 20 मिनट तक रोके जाने के बाद प्रधानमंत्री को रैली को संबोधित किए बिना लौटना पड़ा था.

पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए 117 सीटों पर 20 फरवरी को मतदान होना है.

कांग्रेस के चार नेताओं ने मंत्री को पार्टी से निकालने के लिए सोनिया गांधी को पत्र भेजा

पंजाब प्रदेश कांग्रेस के चार नेताओं ने मंगलवार को पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर आग्रह किया कि राज्य सरकार के मंत्री राणा गुरजीत सिंह को कांग्रेस से बाहर किया जाए क्योंकि वह विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को ‘कमजोर कर रहे हैं.’

कांग्रेस ने गुरजीत को कपूरथला विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है.

इस बीच, गुरजीत के पुत्र राणा इंदर प्रताप सिंह ने कपूरथला जिले की सुल्तानपुर लोधी विधानसभा सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इस सीट पर कांग्रेस ने अपने विधायक नवतेज सिंह चीमा को उम्मीदवार बनाया है.

चीमा, जालंधर उत्तर से विधायक अवतार सिंह जूनियर, फगवाड़ा से विधायक बलविंदर सिंह धालीवाल और पूर्व विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा है.

इन नेताओं ने यहां मीडिया को यह पत्र जारी किया. इसमें कहा गया है, ‘राणा गुरजीत सिंह दोआबा क्षेत्र के कई विधानसभा क्षेत्रों में दखल दे रहे हैं और पार्टी को कमजोर कर रहे हैं. हमने राज्य इकाई के नेतृत्व को राणा गुरजीत की पार्टी विरोधी गतिविधियों के बारे में सूचित किया, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उन्हें फिर से कैबिनेट में शामिल कर लिया गया.’’

राणा गुरजीत सिंह ने साल 2018 में रेत खनन के मामले में आरोप लगने के बाद अमरिंदर सिंह सरकार से इस्तीफा दे दिया था. चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने पर उन्हें फिर से मंत्री बनाया गया.

उत्तराखंड: हरक सिंह रावत की वापसी को लेकर कांग्रेस में विरोध बढ़ा

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए 14 फरवरी को होने वाले मतदान से पहले भाजपा से निष्कासन के राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कांग्रेस में जल्द वापसी के प्रयास तेज​ कर दिए हैं, लेकिन प्रदेश कांग्रेस में उनकी वापसी को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है.

सूत्रों ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस में अपने वापसी के खिलाफ बढ़ते विरोध के मद्देनजर हरक सिंह ने दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेताओं से संपर्क कर अपना पक्ष रखा है. हालांकि, सूत्रों ने यह नहीं बताया कि हरक सिंह ने किन नेताओं से संपर्क किया था.

उन्होंने बताया कि हरक सिंह ने शीर्ष नेताओं से मुलाकात के दौरान अपने प्रभाव से पांच से 10 सीटें पार्टी को दिलवाने का भरोसा दिलाया है.

सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस आलाकमान से अभी तक हरक सिंह को पार्टी में शामिल करने का कोई संकेत नहीं मिला है.

दूसरी तरफ, हरीश रावत द्वारा हरक सिंह की कांग्रेस में वापसी का विरोध किए जाने के बाद रावत के समर्थक कई नेता भी खुलकर विरोध में बोलने लगे हैं.

हरीश रावत ने संवाददाताओं से बातचीत में कई बार संकेत दिए कि वह हरक सिंह तथा अन्य बागियों की कांग्रेस में वापसी को लेकर सहज नहीं हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि 2016 में उनकी सरकार के खिलाफ बगावत हरीश रावत के खिलाफ नहीं बल्कि लोकतंत्र और उत्तराखंड के खिलाफ थी.

गौरतलब है कि तत्कालीन हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले 10 कांग्रेस विधायकों में हरक सिंह भी शामिल थे. बगावत के बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया था.

रावत के करीबी राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा ने कहा कि 2016 में साजिश के तहत लोकतंत्र की हत्या करने वालों को पार्टी में वापस लेने पर जनता को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा.

उन्होंने ऐसे लोगों को पार्टी से दूर रखे जाने पर जोर देते हुए कहा कि इसकी क्या गारंटी है कि एक बार लोकतंत्र की हत्या कर चुके पापी अपने उस कृत्य को फिर नहीं दोहराएंगे?

केदारनाथ से कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने भी हरक सिंह को ‘लोकतंत्र का हत्यारा’ बताते हुए कहा कि वरिष्ठ पार्टी नेताओं को इस पर अच्छी तरह विचार करना चाहिए कि ऐेसे लोगों को पार्टी में लिया जाए या नहीं.

पूर्व सीडीएस दिवंगत जनरल रावत के भाई कर्नल विजय भाजपा में शामिल

देश के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष दिवंगत जनरल विपिन रावत के भाई कर्नल (सेवानिवृत्त) विजय रावत उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले बुधवार को भाजपा में शामिल हो गए.

राजधानी स्थित भाजपा मुख्यालय में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक, प्रदेश के प्रभारी दुष्यंत गौतम और राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी की मौजूदगी में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की.

विजय रावत ने इस अवसर पर कहा कि भाजपा का काम करने का तरीका बहुत प्यारा है और यही एक पार्टी है जो वास्तव में देश का भला करना चाहती है.

रावत ने कहा कि वह बहुत दिनों से भाजपा से जुड़ने की सोच रहे थे लेकिन अब उन्हें यह अवसर मिला है. उन्होंने कहा कि सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उनके पिता भी भाजपा के ही साथ थे.

कर्नल रावत का भाजपा में स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जनरल विपिन रावत उत्तराखंड के गौरव थे. अब विजय रावत के आने से पार्टी राज्य में और मजबूत होगी.

ज्ञात हो कि पिछले साल एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जनरल विपिन रावत और उनकी पत्नी सहित कई अन्य सैन्यकर्मियों का निधन हो गया था.

बदली राजनीतिक परिस्थितियों में चुनाव लड़ने का इच्छुक नहीं: त्रिवेंद्र सिंह रावत

त्रिवेंद्र सिंह रावत. (फोटो साभार: फेसबुक)

विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बदली राजनीतिक परिस्थतियों में चुनाव लड़ने की अनिच्छा जाहिर की है.

उनका बयान ऐसे समय पर आया है जब 14 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए भाजपा उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने में जुटी है और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह के पार्टी से निष्कासन से भी जटिलताएं पैदा हो गयी हैं.

भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को लिखे एक पत्र में देहरादून की डोइवाला विधानसभा सीट से विधायक रावत ने कहा कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है और पुष्कर सिंह धामी के रूप में युवा नेतृत्व मिला है.

उन्होंने कहा, ‘बदली राजनीतिक परिस्थितियों में मुझे विधानसभा चुनाव 2022 नहीं लड़ना चाहिए, मैं अपनी भावनाओं से पूर्व में ही अवगत करा चुका हूं.’

हस्तलिखित पत्र में रावत ने स्वयं को ‘भाजपा कार्यकर्ता’ बताते हुए यह भी कहा है कि उत्तराखंड चुनाव के मद्देनजर वह अपना पूरा समय धामी के नेतृत्व में दोबारा सरकार बनाने के लिए काम करने में लगाना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, ‘आपसे अनुरोध है कि मेरे चुनाव नहीं लड़ने के अनुरोध को स्वीकार करें ताकि मैं अपना पूरा प्रयास सरकार बनाने में लगा सकूं.’’

भाजपा सरकार के पांच साल के कार्यकाल में से चार साल मुख्यमंत्री पद पर रहे रावत बार-बार नेतृत्व परिवर्तन से नाराजगी के संकेत देते रहे हैं और अब विधानसभा में केवल विधायक के रूप में बैठने में खुद को सहज नहीं पा रहे हैं. कहा जा रहा है कि चारधाम सहित प्रदेश के 53 मंदिरों के प्रबंधन और रखरखाव के लिए गठित चारधाम देवस्थानम बोर्ड सहित उनके कार्यकाल के कुछ अन्य निर्णयों को वापस लिए जाने से भी वह आहत हैं.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल मार्च में ​राज्य में नेतृत्व परिवर्तन करते हुए भाजपा ने त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत को राज्य की कमान सौंप दी थी. हालांकि, बाद में विधानसभा सदस्य बनने की अनिवार्यता पूरी न हो पाने के कारण तीरथ सिंह को हटाकर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया.

गोवा: शिवसेना-एनसीपी के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन, कांग्रेस ने प्रस्ताव पर नहीं दिया जवाब

अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने चुनाव पूर्व गठबंधन करने की घोषणा की है. बुधवार को दोनों दलों ने यह निर्णय लिया और कहा कि कांग्रेस ने गठबंधन के प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि गोवा में, शिवसेना और एनसीपी के शामिल हुए बिना अगली सरकार नहीं बन सकती. वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि शिवसेना और एनसीपी प्रत्येक, कम से कम 10-12 सीटों पर अपने उम्मीदवार पेश करेगी.

पटेल ने राउत के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा, ‘गोवा में चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए एनसीपी ने कांग्रेस से बात करने की कोशिश की थी. हमने उनसे कहा कि सरकार बनाने के लिए साथ मिलकर काम करते हैं.’

पटेल ने कहा कि संजय राउत ने भी कांग्रेस को मुख्य दल के रूप में रखते हुए संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस को प्रस्ताव दिया था. पटेल ने कहा, ‘लेकिन हमारे इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया नहीं दी गई. हमें लगा कि कांग्रेस हमें वह सम्मान नहीं दे रही जिसके हम हकदार हैं.’

उन्होंने कहा कि शिवसेना और एनसीपी प्रत्येक, कम से कम 10-12 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी. गोवा में कुल 40 सीटें हैं. राउत ने कहा कि कांग्रेस को लगता है कि वह अकेले सरकार बना लेगी. उन्होंने कहा कि इसके लिए कांग्रेस को शुभकामनायें.

कांग्रेस ने पांच और उम्मीदवार घोषित किए

गोवा विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को पांच उम्मीदवारों की एक और सूची जारी की. पार्टी की ओर से जारी सूची में प्रमुख नाम पूर्व मंत्री माइकल लोबो की पत्नी डलैला लोबा है जिन्हें सियोलिम विधानसभा क्षेत्र टिकट दिया गया है.

माइकल लोबो और डेलैला हाल में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. माइकल लोबो को कालंग्यूट विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया गया है.

कांग्रेस की इस सूची के अनुसार, सलीगांव से केदार नाईक, अल्डोना से कार्लोस अल्वारेस फरेरा, प्रियोल से दिनेश जल्मी और कर्टोरिम से मोरेनो रिबेलो को उम्मीदवार बनाया गया है.

गोवा में कांग्रेस अलग अलग सूचियों में अब तक 31 उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. वह गोवा फॉरवर्ड पार्टी तथा कुछ अन्य पार्टियों के लिए कुछ सीटें छोड़ सकती है जिनके साथ वह गठबंधन कर रही है.

राज्य में सभी 40 विधानसभा सीटों के लिए 14 फरवरी को मतदान होगा. 10 मार्च को मतगणना होगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)