सुप्रीम कोर्ट ने भुखमरी पर पुराना आंकड़ा पेश करने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई

सुप्रीम कोर्ट उस जनहित योजना पर सुनवाई कर रही है, जिसमें केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भुखमरी और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोइयों के लिए योजना बनाने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है. अदालत ने केंद्र के इस प्रतिवेदन पर कड़ी प्रतिक्रिया दी कि किसी भी राज्य ने भूख से मौत की जानकारी नहीं दी है.

(फोटो: पीटीआई)

सुप्रीम कोर्ट उस जनहित योजना पर सुनवाई कर रही है, जिसमें केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भुखमरी और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोइयों के लिए योजना बनाने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है. अदालत ने केंद्र के इस प्रतिवेदन पर कड़ी प्रतिक्रिया दी कि किसी भी राज्य ने भूख से मौत की जानकारी नहीं दी है.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने देशभर में सामुदायिक रसोई योजना के क्रियान्वयन और इसे चलाने के लिए राज्यों को अतिरिक्त खाद्यान्न मुहैया कराने के लिए एक मॉडल तैयार करने का केंद्र को निर्देश देते हुए बीते 18 जनवरी को कहा कि इस समय ‘भुखमरी की समस्या से निपटने’ की आवश्यकता है.

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के इस प्रतिवेदन पर कड़ी प्रतिक्रिया दी कि किसी भी राज्य ने भूख से मौत की जानकारी नहीं दी है.

सामुदायिक रसोई के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्तर की नीति की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही न्यायालय की पीठ ने कहा, ‘क्या आप यह बयान दे रहे हैं कि देश में अब भूख से कोई मौत नहीं हो रही.’

कानूनी अधिकारी ने पीठ से कहा कि राज्यों ने इस प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी है और कुपोषण संबंधी सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता.

पीठ ने कहा कि योजना बनाने के अलावा केंद्र राज्यों को दिए जाने वाले अतिरिक्त खाद्यान्न पर हलफनामा भी दाखिल करेगा. राज्यों को ‘कुपोषण, भूख से मौत’ के मामले पर हलफनामे दायर करने की छूट दी गई है.

न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दी. उसने केंद्र के इस प्रतिवेदन पर सहमति व्यक्त की कि सामुदायिक रसोई योजना के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक साजो-सामान का प्रबंधन राज्य सरकार को करना होगा.

पीठ उस जनहित योजना पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भुखमरी और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोइयों के लिए योजना बनाने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है.

सुनवाई की शुरुआत में पीठ ने केंद्र के हलफनामे में इस प्रतिवेदन पर नाराजगी जताई कि अदालतों को नीति संबंधी क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहिए.

रिपोर्ट के मुताबिक, पुराने आंकड़ों पर भरोसा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाया, जिसमें दावा किया गया था कि हाल के दिनों में देश में भुखमरी संबंधित कोई मौत नहीं हुई है.

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा था कि क्या केंद्र सरकार का कोई रिपोर्ट है, जिसमें भुखमरी से संबंधित मौतों के विस्तृत आंकड़े हैं.

वेणुगोपाल ने बताया था कि सरकार द्वारा पहले दायर किए गए हलफनामे के अनुसार किसी भी राज्य ने भुखमरी संबंधित किसी भी मौत की सूचना नहीं दी है. हालांकि, अटॉर्नी जनरल द्वारा उद्धृत आंकड़े राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 पर आ​धारित थे.

इस पर जस्टिस कोहली ने कहा, ‘आप इसे पांच साल पहले जो हुआ उस चश्मे से नहीं देख सकते. क्या आप यह कहने को तैयार हैं कि आज इस देश में तमिलनाडु के एक व्यक्ति को छोड़कर भूख से कोई मौत नहीं हुई है, वह भी इसलिए कि किसी अखबार में इसकी खबर छपी है. क्या हम इसे एक सही कथन के रूप में स्वीकार कर सकते हैं?’

पीठ ने शुरू में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट 2019-2021 के आंकड़ों का उल्लेख किया था, जिसे केंद्र सरकार द्वारा प्रकाशित किया गया है और याचिकाकर्ता द्वारा उद्धृत किया गया है. हालांकि, सरकार की इस रिपोर्ट में 2010-2013 के आंकड़ों को शामिल किया गया था, इसलिए अदालत ने उससे हाल-फिलहाल के आंकड़े प्रस्तुत करने के लिए कहा था.

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि केंद्र सरकार भुखमरी से होने वाली मौतों के आंकड़ों की रिपोर्टिंग करने वाली विभिन्न राज्य सरकारों पर निर्भर है और राज्यों ने ऐसी किसी भी मौत की सूचना नहीं दी है.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता आशिमा मंडला ने कहा कि भूख से मौत का निर्धारण तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि किसी व्यक्ति की मौत के बाद पोस्टमॉर्टम नहीं किया जाता. इसलिए, भुखमरी से होने वाली मौतों की रिपोर्ट करने के लिए इस संबंध में राज्य सरकारों के सक्रिय कामकाज की आवश्यकता है.

उन्होंने आगे कहा कि भले ही मीडिया समय-समय पर भुखमरी से होने वाली मौतों की रिपोर्ट करता है, लेकिन हाल के दिनों में किसी भी राज्य ने ऐसी किसी मौत की सूचना नहीं दी है.

अटॉर्नी जनरल ने तब सुझाव दिया कि राज्य अपनी भौगोलिक सीमा के भीतर भूख से हुई मौतों के बारे में हलफनामा दाखिल करें.

इसके बाद पीठ ने मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया और राज्य सरकारों को भूख से होने वाली मौतों और कुपोषण के आंकड़ों पर हलफनामा दाखिल करने के साथ-साथ सामुदायिक रसोई पर एक केंद्रीय मॉडल योजना तैयार करने के संबंध में सुझाव देने की स्वतंत्रता दी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq