हरिद्वार में बीते दिसंबर महीने में आयोजित ‘धर्म संसद’ में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषण देने के अलावा उनके नरसंहार का भी आह्वान किया गया था. यति नरसिंहानंद इसके आयोजक थे. इससे पहले उन्हें महिलाओं के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी के आरोप में भी गिरफ़्तार किया गया था.
देहरादूनः उत्तराखंड के हरिद्वार में पिछले महीने हुए तीन दिवसीय धर्म संसद के दौरान मुसलमानों के खिलाफ नफरती भाषण देने और एक समुदाय विशेष की महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामलों में गिरफ्तार कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद की जमानत याचिका हरिद्वार की सीजेएम अदालत ने खारिज कर दी.
नरसिंहानंद को 15 जनवरी को हरिद्वार पुलिस ने सर्वानंद घाट से गिरफ्तार किया था, जहां वह वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी की गिरफ्तारी के विरोध में 13 जनवरी को भूख हड़ताल पर बैठे थे.
हरिद्वार धर्म संसद मामले में त्यागी भी आरोपी हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार, दिल्ली पुलिस और उत्तराखंड सरकारों को सोमवार को नोटिस जारी करने के बाद त्यागी और नरसिंहानंद को गिरफ्तार किया गया था.
यह नोटिस एक जनहित याचिका पर जारी किया गया था. इस याचिका में नरसिंहानंद द्वारा हरिद्वार में और हिंदू युवा वाहिनी द्वारा दिल्ली में आयोजित दो अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले लोगों द्वारा दिए गए कथित नफरती भाषणों की जांच की मांग की गई थी.
इन कार्यक्रमों में शामिल वक्ताओं ने अल्पसंख्यक खास तौर पर मुस्लिमों के कथित तौर पर नरसंहार का आह्वान किया था.
नरसिंहानंद की जमानत याचिका खारिज होने पर शांभवी धाम के पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा, ‘हमारा न्यायिक प्रणाली में विश्वास है लेकिन मीडिया ट्रायल में क्या हो रहा है? जिस तरह से उत्तराखंड पुलिस नरसिंहानंद के खिलाफ मामले बढ़ा रही है. यह निंदनीय है. सिर्फ हिंदुओं और हिंदू धर्म के नेताओं के खिलाफ ही यह अत्याचार क्यों हो रहा है?
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं पीड़ा में हूं लेकिन फिर भी न्यायपालिका पर विश्वास करता हूं. अब चूंकि सीजेम अदालत ने जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं. अब हम सत्र अदालत का रुख करेंगे.’
मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भरे भाषण संबंधी मामले की बात करें तो पिछले महीने (दिसंबर 2021) में उत्तराखंड के हरिद्वार शहर में आयोजित धर्म संसद के आयोजक यति नरसिंहानंद भी थे,जिसमें कई धार्मिक नेताओं ने मुस्लिमों के खिलाफ कथित तौर भड़काऊ भाषण देने के साथ उनके नरसंहार की बात कही थी.
नरसिंहानंद ने स्वयं उस आयोजन में यह घोषणा की थी कि वे ‘हिंदू प्रभाकरण’ बनने वाले व्यक्ति को एक करोड़ रुपये ईनाम देंगे.
हरिद्वार धर्म संसद मामले में पुलिस की नाकामी पर जनता के आक्रोश के बाद उत्तराखंड पुलिस ने वसीम रिजवी, जिसे अब जितेंद्र नारायण त्यागी के नाम से जाना जाता है, को बीते 13 जनवरी को गिरफ्तार किया था. यह इस मामले में पहली गिरफ्तारी थी.
बहरहाल, हरिद्वार ‘धर्म संसद’ मामले में 15 लोगों के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. इस आयोजन का वीडियो वायरल होने पर मचे विवाद के बाद 23 दिसंबर 2021 को इस संबंध में पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें सिर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को नामजद किया गया था. इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने से पहले त्यागी का नाम वसीम रिजवी था.
प्राथमिकी में 25 दिसंबर 2021 को बिहार निवासी स्वामी धरमदास और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडेय के नाम जोड़े गए. पूजा शकुन पांडेय निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर और हिंदू महासभा के महासचिव हैं.
इसके बाद बीते एक जनवरी को इस एफआईआर में यति नरसिंहानंद और रूड़की के सागर सिंधुराज महाराज का नाम शामिल किया गया था.
बीती दो जनवरी को राज्य के पुलिस महानिदेशक ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया था. उसके बाद बीते तीन जनवरी को धर्म संसद के संबंध में 10 लोगों के खिलाफ दूसरी एफआईआर दर्ज की गई थी.
दूसरी एफआईआर में कार्यक्रम के आयोजक यति नरसिंहानंद गिरि, जितेंद्र नारायण त्यागी (जिन्हें पहले वसीम रिज़वी के नाम से जाना जाता था), सागर सिंधुराज महाराज, धरमदास, परमानंद, साध्वी अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रबोधानंद गिरि को नामजद किया गया है.
बता दें कि नरसिंहानंद के खिलाफ महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं. उनके ऊपर सितंबर 2021 के भी तीन मामले लंबित हैं.
इस महीने की शुरुआत में रुचिका नाम की एक महिला की शिकायत के आधार पर यति नरसिंहानंद के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज की गई थी. दरअसल नरसिंहानंद ने एक समुदाय विशेष की महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.
महिला का आरोप है कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में नरसिंहानंद ने चार जनवरी को एक समुदाय की महिलाओं के खिलाफ अपमानजक टिप्पणी की थी.