असम: उल्फा (आई) दो दशक में पहली बार गणतंत्र दिवस पर बंद का आह्वान नहीं करेगा

परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उग्रवादी संगठन उल्फा (आई) ने कहा कि कोविड-19 की स्थिति के मद्देनज़र वह बंद या गणतंत्र दिवस समारोह के बहिष्कार का आह्वान नहीं करेगा. हालांकि बरुआ ने ऐसे समय में पांच-दिवसीय कार्यक्रम के साथ गणतंत्र दिवस समारोह मनाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उग्रवादी संगठन उल्फा (आई) ने कहा कि कोविड-19 की स्थिति के मद्देनज़र वह बंद या गणतंत्र दिवस समारोह के बहिष्कार का आह्वान नहीं करेगा. हालांकि बरुआ ने ऐसे समय में पांच-दिवसीय कार्यक्रम के साथ गणतंत्र दिवस समारोह मनाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: कोविड-19 की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उग्रवादी संगठन उल्फा (आई) दो दशक में पहली बार गणतंत्र दिवस पर बंद के आह्वान से दूर रहा है.

उग्रवादी संगठन के इस कदम का स्वागत करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने उम्मीद जताई कि विश्वास बहाली के ऐसे उपायों से उल्फा (आई) और केंद्र के बीच भविष्य में औपचारिक वार्ता हो सकती है.

मीडिया को ईमेल किए गए एक बयान में बरुआ ने कहा कि कोविड-19 की स्थिति के मद्देनजर उल्फा (आई) बंद या गणतंत्र दिवस समारोह के बहिष्कार का आह्वान नहीं करेगा.

हालांकि बरुआ ने ऐसे समय में पांच-दिवसीय कार्यक्रम के साथ गणतंत्र दिवस समारोह मनाने के लिए केंद्र की आलोचना की.

बरुआ ने लोगों से महामारी के कारण कार्यक्रमों में भाग लेने से परहेज करने और 26 जनवरी को उत्सव के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए काला बिल्ला पहनने का आग्रह किया.

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया जताते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, ‘उल्फा (आई) के प्रमुख परेश बरुआ ने कोविड-19 महामारी के कारण गणतंत्र दिवस पर बंद का आह्वान नहीं किया है. यह एक स्वागत योग्य कदम है. मुझे लगता है कि इस तरह के विश्वास-बहाली के उपायों से भविष्य में केंद्र और इस संगठन के बीच औपचारिक वार्ता हो सकती है.’

मुख्यमंत्री ने इस महीने की शुरुआत में उल्फा (आई) से गणतंत्र दिवस पर बंद का आह्वान नहीं करने का आग्रह किया था और पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर ऐसा करने से परहेज करने के लिए प्रतिबंधित संगठन की सराहना की थी.

शर्मा ने पिछले साल 10 मई को शपथ लेने के बाद उल्फा (आई) से शांति वार्ता के लिए आगे आने और राज्य में 42 साल पुराने उग्रवाद को खत्म करने की अपील की थी.

उल्फा के कट्टरपंथी धड़े ने उसी महीने तीन महीने के लिए एकतरफा संघर्षविराम की घोषणा के साथ उसका जवाब दिया था, जिसे वह तब से बढ़ा रहा है.

शर्मा ने एकतरफा संघर्षविराम को ‘सकारात्मक कदम’ बताते हुए कहा था कि सरकार ने भी इसके जवाब में पिछले आठ महीनों में संगठन के साथ किसी प्रकार का ‘सीधा संघर्ष’ नहीं किया है.

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