रूस-यूक्रेन की बीच तनाव: अमेरिका का दूतावास कर्मचारियों के परिवारों को यूक्रेन छोड़ने का आदेश

रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से तनाव जारी है. वर्तमान में युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं. यूक्रेन सीमा पर रूस एक लाख से अधिक सैनिकों की तैनाती कर चुका है. अपने सैन्य बलों को वापस बुलाने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका से सुरक्षा की कई मांगें की हैं. यूक्रेन के नाटो में प्रवेश पर प्रतिबंध और नाटो पूर्वी यूरोप के अधिकांश हिस्सों से सैनिकों और हथियारों को हटाए, रूस की प्रमुख मांग है.

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यूक्रेन के क्रामटोरस्क शहर में लहराता यूक्रेन का झंडा. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से तनाव जारी है. वर्तमान में युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं. यूक्रेन सीमा पर रूस एक लाख से अधिक सैनिकों की तैनाती कर चुका है. अपने सैन्य बलों को वापस बुलाने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका से सुरक्षा की कई मांगें की हैं. यूक्रेन के नाटो में प्रवेश पर प्रतिबंध और नाटो पूर्वी यूरोप के अधिकांश हिस्सों से सैनिकों और हथियारों को हटाए, रूस की प्रमुख मांग है.

यूक्रेन के क्रामटोरस्क शहर में लहराता यूक्रेन का झंडा. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

वॉशिंगटन/ब्रसेल्स/मॉस्को: यूक्रेन पर रूस के हमले के बढ़ते खतरों के बीच अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन स्थित अमेरिकी दूतावास में कार्यरत सभी अमेरिकी कर्मचारियों के परिवारों को बीते 23 नवंबर को देश छोड़ने का आदेश दिया.

मंत्रालय ने कीव स्थित अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों के परिवारों को परामर्श दिया कि उन्हें देश छोड़ देना चाहिए. इसके साथ यह भी कहा गया कि दूतावास में कार्यरत गैरजरूरी कर्मचारी सरकारी खर्चे पर देश छोड़कर आ सकते हैं.

अमेरिका सरकार ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब यूक्रेन की सीमा पर रूस की सैन्य मौजूदगी बढ़ने के कारण तनाव बढ़ गया है.

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने तनाव कम करने के लिए बीते 21 जनवरी को बातचीत की थी, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली.

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि कीव स्थित दूतावास खुला रहेगा और इस घोषणा का मतलब यूक्रेन से अमेरिकी अधिकारियों को निकाला जाना नहीं है.

उन्होंने कहा कि इस कदम पर लंबे समय से चर्चा हो रही थी और इसका मतलब यह नहीं है कि अमेरिका यूक्रेन के प्रति समर्थन को कम कर रहा है.

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में इन रिपोर्ट को रेखांकित किया कि रूस, यूक्रेन के खिलाफ बड़ी सैन्य कार्रवाई की योजना बना रहा है, जबकि रूसी विदेश मंत्रालय ने उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन के देशों पर यूक्रेन के संबंध में गलत सूचना फैलाकर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया.

अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने यात्रा एडवाइजरी में कहा, ‘रूसी सैन्य कार्रवाई और कोविड-19 के बढ़ते खतरों के कारण यूक्रेन की यात्रा न करें. अपराध और गृह अशांति के कारण यूक्रेन में अतिरिक्त सर्तकता बरतें. कुछ इलाकों में खतरा बढ़ा है.’

रूस के लिए यात्रा एडवाइजरी में भी बदलाव करते हुए कहा गया, ‘यूक्रेन के साथ लगती सीमा पर जारी तनाव, अमेरिकी नागरिकों को परेशान किए जा सकने की आशंका, रूस में अमेरिकी नागरिकों की मदद करने की दूतावास की सीमित क्षमता, कोविड-19 और उससे संबंधित प्रवेश प्रतिबंधों, आतंकवाद, रूस सरकार के सुरक्षा अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न और स्थानीय कानून के मनमाने क्रियान्वयन के कारण रूस की यात्रा न करें.’

इसके बाद यूक्रेन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओलेग निकोलेंको ने कहा कि अमेरिका का निर्णय ‘एक अपरिपक्व कदम’ था और ‘अत्यधिक सावधानी’ का संकेत है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन को अस्थिर करने के लिए यूक्रेन के लोगों और विदेशियों के बीच रूस दहशत फैला रहा है.

बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से तनाव जारी है. दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं. यूक्रेन सीमा पर रूस एक लाख से अधिक सैनिकों की तैनाती कर चुका है. अमेरिका सहित कई देशों ने रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने की आशंका जताई है.

मालूम हो कि यूक्रेन की पूर्वी सीमा रूस के साथ लगती है और दोनों देशों के बीच 2013 से ही तनाव जारी है.

रूस ने फरवरी 2022 में होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास के लिए जनवरी के मध्य में बेलारूस में सैनिकों को भेजना शुरू कर दिया है. इस देश की सीमा यूक्रेन और रूस दोनों से लगती है.

अपने सैन्य बलों को वापस बुलाने से पहले पुतिन ने अमेरिका से सुरक्षा की कई मांगें की हैं.

पुतिन ने मांग की है कि यूक्रेन के नाटो में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया जाए और यह समझौता किया जाए कि नाटो पूर्वी यूरोप के अधिकांश हिस्सों से सैनिकों और हथियारों को हटाए. इस खतरे को गंभीरता से लेने की वजह है.

बता दें कि पुतिन ने 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया हिस्से को अपने देश में मिला लिया था.

रूस के साथ बढ़ते तनाव के बीच नाटो ने ‘प्रतिरोधी’ योजना का खाका तैयार किया

रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव सोमवार को बढ़ गया और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने सेना व पोतों की संभावित तैनाती की एक रूपरेखा तैयार की है, वहीं आयरलैंड ने चेतावनी दी कि उसके तट के पास होने वाले रूसी युद्धाभ्यास का ऐसे समय में स्वागत नहीं किया जाएगा, जब इस बात को लेकर चिंता प्रबल है कि मास्को यूक्रेन पर आक्रमण करने की योजना बना रहा है.

पश्चिमी गठबंधन का बयान एक तरह से व्यक्तिगत रूप से देशों द्वारा की गईं घोषणाओं का सार है, लेकिन नाटो के तहत उन्हें फिर से दोहराने का उद्देश्य संगठन की प्रतिबद्धता दर्शाना प्रतीत होता है. यह घोषणाओं की एक शृंखला में से एक था, जिसने संकेत दिया कि पश्चिम यूक्रेन गतिरोध के साथ सूचना युद्ध में अपनी बयानबाजी तेज कर रहा है.

रूस ने यूक्रेन की सीमा के पास अनुमानत: एक लाख सैनिकों का जमावड़ा किया है और मांग कर रहा है कि नाटो वादा करे कि वह यूक्रेन को कभी संगठन में शामिल होने की अनुमति नहीं देगा और अन्य कार्रवाई, जैसे कि पूर्व सोवियत ब्लॉक देशों में गठबंधन सैनिकों को तैनात करना, कम किया जाएगा.

रूस इस बात से इनकार करता रहा है कि वह आक्रमण की योजना बना रहा है और उसने कहा है कि पश्चिमी देशों के आरोप नाटो के अपने नियोजित उकसावे के लिए केवल एक दिखावा है. हाल के दिनों में उच्च स्तर की कूटनीति देखने को मिली हालांकि इससे गतिरोध दूर होने की कोई गुंजाइश फिलहाल नजर आती नहीं दिख रही.

नाटो ने सोमवार को कहा कि वह बाल्टिक सागर क्षेत्र में अपनी ‘’रक्षात्मक’ उपस्थिति को बढ़ा रहा है. डेनमार्क एक युद्धपोत भेज रहा है और लिथुआनिया में एफ-16 युद्धक विमानों की तैनाती कर रहा है. स्पेन भी युद्धपोत भेजेगा और लड़ाकू विमानों को बुल्गारिया भेज सकता है, जबकि फ्रांस भी अपने सैनिकों को रोमानिया भेजने के लिए तैयार है. नीदरलैंड की योजना भी अप्रैल से दो एफ-35 लड़ाकू विमान बुल्गारिया भेजने की है.

नाटो महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने एक बयान में कहा, ‘नाटो गठबंधन सहयोगियों को सुरक्षा देने के लिए सभी जरूरी कदम उठाता रहेगा. हम अपनी सामूहिक रक्षा को मजबूत करने सहित हमारे सुरक्षा माहौल में किसी भी गिरावट का हमेशा जवाब देंगे.’

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने आरोप लगाया कि यह रूस नहीं, नाटो और अमेरिका हैं जो यूरोप में ‘तनाव बढ़ने’ के पीछे हैं.

पेस्कोव ने संवाददाताओं के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल में कहा, ‘यह सब कुछ जो रूस कर रहा हैं, इस वजह से नहीं हो रहा. नाटो और अमेरिका जो कर रहे हैं यह उसकी वजह से हो रहा है.’

उन्होंने अमेरिकी मीडिया में आईं खबरों का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि रूस यूक्रेन से अपने कूटनीतिज्ञों को निकाल रहा है, जिससे मास्को में अधिकारी इनकार करते रहे हैं.

यह घोषणा तब हुई जब यूरोपीय संघ (ईयू) के विदेश मंत्रियों ने यूक्रेन के समर्थन में नए सिरे से संकल्प प्रदर्शित करने की मांग की और किसी भी रूसी आक्रमण का सामना करने के सर्वोत्तम तरीके पर मतभेद के बारे में चिंताओं को सामने रखा गया.

एक बयान में मंत्रियों ने कहा कि यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध की तैयारी तेज कर दी है और उन्होंने चेतावनी दी है कि यूक्रेन के खिलाफ रूस द्वारा किसी भी सैन्य आक्रमण के बड़े पैमाने पर गंभीर परिणाम होंगे.

बैठक की अध्यक्षता कर रहे ईयू की विदेश नीति के प्रमुख जोसप बोर्रेल ने ब्रसेल्स में संवाददाताओं को बताया, ‘हम यूक्रेन में स्थिति पर अमेरिका के साथ मजूबत समन्वय में अभूतपूर्व एकजुटता दिखा रहे हैं.’

इसके अलावा यूरोपीय संघ भी संकटग्रस्त यूक्रेन के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और जो जल्द से जल्द ऋण और अनुदान के तौर पर 1.2 अरब यूरो (1.4 अरब डॉलर) के विशेष पैकेज की तैयारी कर रहा है.

यूक्रेन पर एक नए आक्रमण के आसन्न होने के किसी भी संकेत के लिए पश्चिम बेलारूस में रूसी सेना की गतिविधियों और युद्धाभ्यास को बेहद बेचैनी से देख रहा है. रूस पहले ही एक बार यूक्रेन पर आक्रमण कर चुका है, 2014 में उसने क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया था.

यह पूछे जाने पर कि क्या यूरोपीय संघ अमेरिकी कदम का अनुसरण करते हुए यूक्रेन में यूरोपीय दूतावासकर्मियों के परिवारों को देश छोड़ने का आदेश देगा, बोरेल ने कहा, ‘हम वही काम नहीं करने जा रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि वह उस निर्णय के बारे में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से बात करना चाहते हैं.

ब्रिटेन ने भी सोमवार को यह घोषणा की कि वह कीव में अपने दूतावास से कुछ राजनयिकों और उनके आश्रितों को वापस बुला रहा है. विदेश कार्यालय ने कहा कि यह कदम ‘रूस से बढ़ते खतरे के जवाब में’ था.

जर्मनी ने कोई आदेश जारी नहीं किया है, लेकिन यह घोषणा की है कि दूतावास के कर्मचारियों के परिवार चाहें तो कीव छोड़ सकते हैं.

जर्मनी घटनाक्रम पर नजर रख रहा है, लेकिन जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बारबॉक ने जोर देकर कहा, ‘हमें स्थिति को और अधिक अस्थिर करने में योगदान नहीं देना चाहिए. हमें स्पष्ट रूप से यूक्रेन की सरकार का समर्थन करना जारी रखना चाहिए और सबसे बढ़कर देश की स्थिरता को बनाए रखना चाहिए.’

यू्क्रेन संबंधी टिप्पणियों के बाद जर्मनी के नौसेना प्रमुख ने दिया इस्तीफा

जर्मनी की नौसेना के वाइस एडमिरल अचिम शोएनबैक को यूक्रेन और रूस संबंधी टिप्पणियों की वजह से 22 जनवरी को इस्तीफा देना पड़ा है.

वह हाल ही में नई दिल्ली के दौरे पर थे और यहां मनोहर पर्रिकर इंस्टिट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने यह बयान दिया.

शोएनबैक ने 21 जनवरी को भारत में आयोजित समारोह में कहा था, ‘रूस ने 2014 में जिस क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा किया था, वह यूक्रेन को वापस नहीं मिलेगा.’

उन्होंने कहा था, ‘रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सम्मान के हकदार हैं और उन्हें यूक्रेन मामले में सम्मान दिया जाना चाहिए.’

यूक्रेन पर रूस द्वारा हमले की बढ़ती आशंका के बीच उनके यह बयान पुतिन के प्रति सहानुभूतिपूर्ण लगे. रूस पहले ही यूक्रेन के साथ लगी पश्चिमी सीमा पर 100,000 से अधिक सैनिकों की तैनाती कर चुका है.

यह पूछने पर कि क्या रूस की वास्तव में यूक्रेन के एक छोटे से हिस्से को खुद में शामिल करने की दिलचस्पी है? इस पर शोएनबैक ने कहा, ‘नहीं, यह बकवास है. पुतिन शायद दबाव डाल रहे हैं, क्योंकि वह कर सकते हैं और वह यह जानते हैं. उन्होंने हमें विभाजित किया. उन्होंने यूरोपीय संघ को विभाजित किया. वह वास्तव में सम्मान चाहते हैं और शायद वह इसके हकदार हैं.’

शोएनबैक के इन बयानों पर यूक्रेन ने नाराजगी जताते हुए अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए जर्मनी के राजदूत को तलब किया था, जिसके बाद शोनएबैक को बर्लिन में भी आलोचनाएं झेलनी पड़ीं.

शोएनबैक ने बीते 22 जनवरी की देर रात इस्तीफा देते हुए कहा कि वह बिना सोचे-समझे दिए गए अपने बयानों के कारण जर्मनी और उसकी सेना को और नुकसान होने से बचाना चाहते हैं.

जर्मन नौसेना ने एक बयान में बताया कि रक्षा मंत्री क्रिस्टीन लैम्ब्रेक्ट ने शोएनबैक का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और नौसेना के उपप्रमुख को अंतरिम प्रमुख बना दिया.

जर्मन सरकार ने जोर देकर कहा कि वह यूक्रेन पर रूसी सैन्य खतरे के मामले पर अपने उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) सहयोगियों के साथ एकजुट होकर खड़ा है.

उसने चेतावनी दी कि यदि रूस यूक्रेन में कोई सैन्य कार्रवाई करता है तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी होगी, लेकिन अन्य नाटो देशों के विपरीत बर्लिन ने कहा कि वह यूक्रेन को घातक हथियारों की आपूर्ति नहीं करेगा, क्योंकि वह तनाव बढ़ाना नहीं चाहता है.

रूस ने यूक्रेन के नेता को बदलने की कोशिश के ब्रितानी दावे को किया खारिज

रूस के विदेश मंत्रालय ने रविवार को ब्रिटेन का यह दावा खारिज कर दिया कि उनका देश यूक्रेन की सरकार को रूस समर्थित प्रशासन से बदलना चाहता है और यूक्रेन के पूर्व सांसद येवेनी मुरायेव इसके लिए संभावित उम्मीदवार हैं.

मुरायेव रूस समर्थक छोटी पार्टी ‘नाशी’ के प्रमुख हैं, जिसके पास वर्तमान में यूक्रेन की संसद में कोई सीट नहीं है. ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन के कई अन्य नेताओं का नाम लिया, जिनके बारे में कहा गया कि उनके रूसी खुफिया सेवाओं के साथ संबंध रहे हैं.

मुरायेव ने समाचार एजेंसी ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ (एपी) से ‘स्काइप’ पर बात करते हुए बताया कि ब्रिटेन का दावा ‘हास्यास्पद’ है और रूसी सुरक्षा को खतरा होने के आधार पर 2018 के बाद से रूस में उनका प्रवेश वर्जित है.

उन्होंने कहा कि यह प्रतिबंध यूक्रेन के सबसे बड़े रूस समर्थक नेता एवं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के मित्र विक्टर मेदवेदचुक के साथ संघर्ष के मद्देनजर लगाया गया है.

‘नाशी’ पार्टी को रूस के प्रति सहानुभूति रखने वाली माना जाता है, लेकिन मुरायेव ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा, ‘पश्चिम समर्थन और रूस समर्थक नेताओं का दौर यूक्रेन में हमेशा के लिए समाप्त हो गया है.’

उन्होंने कहा कि वह यूक्रेन के तटस्थ दर्जे का समर्थन करते हैं.

वहीं, यूक्रेन के राजनीतिक विश्लेषक वोलोदिमिर फेसेंको ने मुरायेव को यूक्रेन में रूसी खेमे का अहम नेता बताया, लेकिन साथ ही कहा, ‘मुरायेव दूसरे स्थान के खिलाड़ी हैं. मुझे नहीं लगता कि मुरायेव का क्रेमलिन से सीधा संपर्क है.’

रूस के विदेश मंत्रालय ने भी ब्रिटेन के इस दावे को खारिज किया. रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने ‘टेलीग्राम ऐप’ पर कहा, ‘ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय द्वारा फैलाई जा रही झूठी जानकारी इस बात को पुख्ता तौर पर प्रमाणित करती है कि नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) देश यूक्रेन के आसपास तनाव को बढ़ा रहे हैं. हम ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय से उकसावे वाली गतिविधियां बंद करने का अनुरोध करते हैं.’

ब्रिटेन की सरकार ने यह दावा एक खुफिया आकलन के आधार पर किया है, लेकिन इसके समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किया है. ब्रिटेन ने यह आरोप ऐसे वक्त लगाया है जब रूस और पश्चिमी देशों के बीच यूक्रेन को लेकर तनाव चल रहा है.

ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज़ ट्रस ने कहा कि यह जानकारी ‘यूक्रेन का विनाश करने के इरादे से की जा रही रूसी गतिविधि पर प्रकाश डालती है और क्रेमलिन की सोच को दर्शाती है.’

उन्होंने ब्रिटेन का रुख दोहराते हुए कहा, ‘रूसी सेना की किसी भी बड़ी रणनीतिक भूल के लिए रूस को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.’

ब्रिटेन ने संभावित रूसी हमले से यूक्रेन की रक्षा को मजबूत करने के प्रयासों के तहत वहां टैंक भेदी अस्त्र भेजे हैं.

यूक्रेन संकट को कम करने के राजनयिक प्रयासों के बीच, मॉस्को में वार्ता के लिए ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वालेस अपने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु से मिलने की उम्मीद है. हालांकि, बैठक के लिए कोई समय नहीं दिया गया है. यह 2013 के बाद पहली ब्रिटेन-रूस द्विपक्षीय रक्षा वार्ता होगी.

यूक्रेन में रूस के हमले की आशंका के मद्देनजर अमेरिका ने हाल के दिनों में अपने यूरोपीय सहयोगियों को एकजुट करते हुए आक्रामक अभियान चलाया है. ह्वाइट हाउस ने ब्रिटेन सरकार के इस आकलन को ‘बेहद चिंताजनक’ बताया है और कहा कि वह यूक्रेन की चुनी हुई सरकार के साथ खड़ा है.

अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एमिली होम ने कहा, ‘इस तरह की साजिश वाकई में चिंताजनक है. यूक्रेन के लोगों को अपना भविष्य खुद तय करने का संप्रभु अधिकार है और हम यूक्रेन में लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए अपने भागीदारों के साथ खड़े हैं.’

इस बीच तीन बाल्टिक देशों- एस्टोनिया, लात्विया और लिथुआनिया के रक्षा मंत्रियों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि वे यूक्रेन के प्रति एकजुटता और उसकी संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं.

यूक्रेन पर रूस के संभावित हमले का अमेरिका विरोध कर रहा है. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने ट्वीट किया कि अमेरिका पूर्व सोवियत गणराज्यों और नाटो देशों के यूक्रेन के प्रति समर्थन को सलाम करता है.

क्रेमलिन (रूस के राष्ट्रपति कार्यालय) के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने इस सप्ताह की शुरुआत में पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति किए जाने को बेहद खतरनाक बताया था और कहा था कि इससे तनाव कम नहीं होगा, बल्कि और बढ़ेगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)