बजट 2022: महामारी के प्रकोप के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए कोई बड़ी योजना नहीं

केंद्रीय बजट 2022-23 में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए केवल एक नई योजना की घोषणा की गई है. वित्त मंत्री ने कहा कि महामारी ने सभी उम्र के लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाया है, इसलिए 'गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए एक राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम' शुरू किया जाएगा.

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(फोटो: पीटीआई)

केंद्रीय बजट 2022-23 में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए केवल एक नई योजना की घोषणा की गई है. वित्त मंत्री ने कहा कि महामारी ने सभी उम्र के लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाया है, इसलिए ‘गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए एक राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ शुरू किया जाएगा.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: स्वास्थ्य क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले नागरिकों को केंद्रीय बजट में बड़ी घोषणाएं होने की आशा थी, हालांकि उनकी ऐसा नहीं हुआ क्योंकि बजट घोषणा में स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर और रिसर्च का कोई जिक्र भी नहीं हुआ.

रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट की घोषणा की शुरुआत में स्वास्थ्य क्षेत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले दो साल में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में तीव्र सुधार के साथ देश कोराना वायरस महामारी और वायरस के नये स्वरूप ओमीक्रॉन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने को लेकर मजबूत स्थिति में है. हालांकि भाषण के बाकी हिस्से में स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर कुछ खास नहीं था.

केवल एक ही नई योजना की घोषणा हुई. वित्त मंत्री ने कहा कि महामारी ने सभी उम्र के लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाया है इसके लिए ‘गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए एक ‘राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में 23 उत्कृष्टता टेली-मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों का एक नेटवर्क शामिल होगा, जिसमें निमहंस नोडल केंद्र होगा और अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान-बैंगलोर (आईआईआईटीबी) प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करेगा.

हालांकि उन्होंने  कार्यक्रम के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी, न ही इसके बजट का कोई खाका दिया.

कुल मिलाकर स्वास्थ्य मंत्रालय को 86,200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले साल के बजट अनुमान से 12,000 करोड़ रुपये से अधिक है, लेकिन संशोधित अनुमान से सिर्फ 200 करोड़ रुपये ज्यादा है.

पिछले साल के बजट में वित्त मंत्री ने छह वर्षों में खर्च किए जाने वाले 64,180 करोड़ रुपये की लागत वाली पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना की घोषणा की थी. इसका उद्देश्य प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य केंद्रों में सुधार करना और नई और उभरती बीमारियों का पता लगाने और उनका इलाज करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना था.

पिछले साल घोषित योजनाओं पर किए गए कामों का आकलन देने वाला ‘बजट का कार्यान्वयन’ दस्तावेज बताता है कि योजना के लिए अमल के लिए दिशानिर्देश ही अक्टूबर 2021 में जारी किए गए थे. इस योजना के तहत 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों – आंध्र प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, तमिलनाडु और उत्तराखंड से प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनकी मंजूरी के लिए प्रक्रिया चल रही है.

योजना के तहत ‘एक स्वास्थ्य केंद्र’ की स्थापना के लिए नागपुर में जमीन देखी गई है. प्रेस सूचना ब्यूरो की विज्ञप्ति के अनुसार, यह केंद्र देश में महत्वपूर्ण जीवाणु, वायरल और परजीवी (पैरासाइट) संक्रमणों की निगरानी करेगा. इसकी परिकल्पना कोविड-19 के प्रकोप की पृष्ठभूमि में की गई थी.

पिछले साल के बजट में वित्त मंत्री ने यह भी कहा था कि पांच और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) खोले जाएंगे. वर्तमान में ऐसा केवल एक इंस्टिट्यूट पुणे में है.

इस साल के बजट कार्यान्वयन दस्तावेज में कहा गया है कि एनआईवी डिब्रूगढ़, नई दिल्ली, चंडीगढ़, बेंगलुरु और जबलपुर में खोले जाएंगे, जिनका निर्माण कार्य जल्द शुरू होना है.

पीएम आत्म निर्भर स्वस्थ भारत योजना में कई अन्य पहलुओं का भी उल्लेख था जैसे स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को सहयोग, 11 राज्यों में ब्लॉक स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं, 602 जिलों में क्रिटिकल केयर ब्लॉक की स्थापना, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) को मजबूत करना, 15 स्वास्थ्य आपातकालीन संचालन केंद्र और दो मोबाइल अस्पताल स्थापित करना, हालांकि कार्यान्वयन दस्तावेज में इनके बारे में कोई अपडेट नहीं दी गई है.