विदेश मंत्रालय के वित्तीय वर्ष 2022-23 के आवंटन में बीते साल की तुलना में पांच फीसदी की कटौती के साथ 17,250 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. यह 2018-19 के बाद से इस मंत्रालय के लिए सबसे कम बजटीय आवंटन है.
नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सरकारी व्यय के लिए समग्र आवंटन में वृद्धि के बावजूद कूटनीति के लिए भारत का बजट तेजी से नीचे गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल विदेश मंत्रालय (एमईए) ने फख्र से बताया था कि मंत्रालय को अब तक का सबसे अधिक 18,154.73 करोड़ रुपये का आवंटन मिला है. हालांकि नवीनतम बजट दस्तावेजों के अनुसार, इसे 2021-22 के लिए संशोधित करते हुए 16,000 करोड़ रुपये कर दिया गया था, जो 11.8 फीसदी की गिरावट थी.
इतना ही नहीं, इसके वित्तीय वर्ष 2022-23 के आवंटन में पांच फीसदी की कटौती हुई है और इसे अब 17,250 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. यह 2018-19 के बाद से विदेश मंत्रालय के लिए सबसे कम बजटीय आवंटन है.
विदेश मंत्रालय के व्यय के बजटीय आंकड़ों में साल 2020 में शुरू हुई कोरोना वायरस महामारी के प्रतिकूल प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखते हैं.
2022 के केंद्रीय बजट में वास्तविक व्यय के नवीनतम आंकड़े वर्ष 2020-21 के लिए हैं, जो वो पहला वित्तीय वर्ष जब कोविड-19 महामारी ने राष्ट्रीय सीमाओं और वैश्विक अर्थव्यवस्था को बंद कर दिया था.
बीते सालों से तुलना करें, तो 2020-21 में विदेश मंत्रालय द्वारा वास्तविक व्यय में 16.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. यह 2016-17, जब जब गिरावट 12.1 फीसदी थी, के बाद से पहली बार था जब विदेश मंत्रालय द्वारा साल-दर-साल हुए वास्तविक खर्च में कमी देखी गई थी.
2020-21 के लिए एमईए के वास्तविक खर्च में गिरावट चौंकाने वाली नहीं है और सरकारी व्यय के ट्रेंड का हिस्सा है. हालांकि, 2022-23 के लिए विदेश मंत्रालय के बजट आवंटन में कमी सामान्य ट्रेंड के विपरीत है, क्योंकि भारत सरकार का कुल व्यय बढ़ा है.
जैसा कि उपरोक्त चार्ट दिखाता है, बीते दो वर्षों में सरकार के कुल व्यय में एमईए की हिस्सेदारी में काफी गिरावट हुई है.
दिसंबर 2021 में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में संसद की स्थायी समिति ने बताया था कि भारत सरकार के बजट के प्रतिशत में विदेश मंत्रालय के हिस्से का अनुपात 2021-22 में मात्र 0.5 था, जबकि मंत्रालय ने यह बताया कि यह अब तक का सर्वाधिक आवंटन था.
रिपोर्ट में कहा गया था कि मोटे तौर पर विदेश मंत्रालय का बढ़ा हुआ आवंटन एक अच्छी बात है, लेकिन भारत सरकार के कुल व्यय के प्रतिशत में यह लगातार नीचे जा रहा है.
जहां मंत्रालय के अधिकारियों का बयान है कि आवंटित बजट पर्याप्त है, स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेश मंत्रालय ने ‘बजट की कमी को एक वास्तविकता के रूप में स्वीकार कर लिया है.’
फिर भी, समिति ने पाया कि उसने ‘दृढ़ता से महसूस किया’ है कि विदेश मंत्रालय का हुआ आवंटन ‘असंगत और अपर्याप्त’ था.
रिपोर्ट में कहा गया था, ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सीट पाने, जिसके लिए पर्याप्त वैश्विक उपस्थिति और राजनयिक पहुंच के विस्तार की जरूरत होती है, के लिए बजटीय संसाधन एक निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत के वैश्विक पहचान और राजनयिक पहुंच सीमित न हो, पर्याप्त वित्तीय संसाधनों का होना महत्वपूर्ण है.’