राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की वार्षिक ‘जेल सांख्यिकी भारत 2020’ रिपोर्ट के अनुसार, 2020 के अंत तक देश में भारतीय क़ैदियों की संख्या 4.83 लाख थी. राज्यों में सबसे ज्यादा 1.06 लाख क़ैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में थे. दूसरे नंबर पर बिहार में 51,849 और तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश में 45,456 क़ैदी बंद थे.
नई दिल्ली: देश में 2015 से जेलों में बंद भारतीय विचाराधीन कैदियों की संख्या में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि दोषियों की संख्या में 15 प्रतिशत की कमी आई है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वार्षिक ‘जेल सांख्यिकी भारत 2020’ रिपोर्ट के अनुसार, 2020 के अंत तक देश में भारतीय कैदियों की संख्या 4.83 लाख थी. इनमें 76 फीसदी से अधिक विचाराधीन आरोपी, जबकि 23 प्रतिशत दोषी करार दिए गए लोग शामिल हैं.
रिपोर्ट से पता चला है कि देशभर की जेलों में 3,549 (या एक प्रतिशत से भी कम) अन्य ऐसे कैदी भी मौजूद थे, जिन्हें हिरासत में लिया गया था.
एनसीआरबी के मुताबिक, भारतीय जेलों में बंद ज्यादातर विचाराधीन कैदी जहां 18 से 30 साल के आयुवर्ग में थे, वहीं दोषी करार दिए गए अधिकतर लोगों की उम्र 30 से 50 वर्ष के बीच थी.
रिपोर्ट के अनुसार, कुल कैदियों में 1.11 लाख (23.04 फीसदी) दोषी करार दिए जा चुके अपराधी, जबकि 3.68 लाख (76.17 फीसदी) विचाराधीन आरोपी और 3,549 (0.76 फीसदी) हिरासत में रखे गए लोग शामिल थे.
गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एनसीआरबी के मुताबिक, कुल 4.83 लाख कैदियों में 96 फीसदी पुरुष, 3.98 फीसदी महिलाएं और 0.01 फीसदी ट्रांसजेंडर शामिल हैं.
आंकड़ों के अनुसार, 2015 में देशभर में 4.13 लाख कैदी थे. 2016 में यह संख्या बढ़कर 4.26 लाख, 2017 में 4.45 लाख, 2018 में 4.61 लाख, 2019 में 4.76 लाख और 2020 में 4.83 लाख हो गई.
एनसीआरबी ने कहा, ‘जेलों में भारतीय कैदियों की संख्या में 31 दिसंबर 2015 की तुलना में 31 दिसंबर 2020 में 17.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इन कैदियों में विचाराधीन और बंदियों की संख्या में क्रमशः 31.3 प्रतिशत और 40.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि 2015 की तुलना में 31 दिसंबर, 2020 तक दोषियों की संख्या में 15.5 प्रतिशत की कमी आई है.’
भारतीय कैदियों के अलावा, 2020 के अंत तक देश की जेलों में विदेशी मूल के 4,926 कैदी बंद थे.
एनसीआरबी ने बताया कि राज्यों में सबसे ज्यादा 22.1 प्रतिशत यानी लगभग 1.06 लाख कैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में थे. एजेंसी के मुताबिक, बिहार सर्वाधिक कैदियों वाले राज्यों की सूची में दूसरे और मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर था. दोनों राज्यों की जेलों में क्रमश: 10.7 फीसदी (51,849) और 9.4 प्रतिशत (45,456) कैदी बंद थे.
देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में दोषी करार दिए जा चुके कैदियों की संख्या भी सबसे ज्यादा 23.9 फीसदी (26,607) थी, जबकि मध्य प्रदेश 12.2 प्रतिशत (13,641 कैदी) और बिहार 6.9 फीसदी (7,730 कैदी) इस मामले में क्रमश: दूसरे व तीसरे पायदान पर थे.
रिपोर्ट पर गौर करें तो दोषी करार दिए जा चुके सर्वाधिक 55,563 कैदी (49.9 फीसदी) 30 से 35 साल के आयुवर्ग में थे. इससे पता चला है कि 31,935 कैदियों (28.7 प्रतिशत) की उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच थी, जबकि 23,856 कैदी (21.4 फीसदी) 50 साल से ज्यादा उम्र थे.
विचाराधीन कैदियों की बात करें तो एनसीआरबी के मुताबिक, सबसे ज्यादा 21.8 फीसदी यानी 80,267 कैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में कैद थे. एजेंसी ने बताया कि विचाराधीन कैदियों के मामले में बिहार 12 फीसदी (44,113 कैदी) और मध्य प्रदेश 8.6 प्रतिशत (31,695) क्रमश: दूसरे व तीसरे स्थान पर थे.
रिपोर्ट के अनुसार, सर्वाधिक विचाराधीन कैदी (48.8 फसदी, 1.79 लाख) 18 से 30 साल के आयुवर्ग में थे. इसमें बताया गया है कि देशभर की जेलों में बंद 40.6 फीसदी कैदियों (1.49 लाख) की उम्र 30 से 50 साल के बीच थी, जबकि 10.6 प्रतिशत यानी 39,196 कैदी 50 वर्ष से अधिक आयु के थे.
मालूम हो कि फरवरी 2021 में गृह मंत्रालय ने एनसीआरबी के आंकड़ों के हवाले से बताया था कि देश की जेलों में बंद 27.37 फीसदी कैदी अशिक्षित, 21 प्रतिशत दसवीं पास है. देश की जेलों में बंद 4,78,600 कैदियों में से 1,32,729 (27.37 फीसदी) अशिक्षित हैं, जबकि 5,677 तकनीकी डिग्री या डिप्लोमा धारक हैं.
इससे पहले 10 फरवरी, 2021 को गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा को बताया था कि देश की जेलों में बंद 4,78,600 कैदियों में से 3,15,409 (कुल 65.90 फीसदी) कैदी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों के हैं.
आंकड़ों के अनुसार, ओबीसी, एससी और ‘अन्य’ श्रेणियों के कैदियों की अधिकतम संख्या उत्तर प्रदेश की जेलों में है, जबकि मध्य प्रदेश की जेलों में एसटी समुदाय की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)