नोटबंदी सबसे बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग स्कीम, सरकार ने सारा कालाधन सफेद कर दिया: अरुण शौरी

यशवंत सिन्हा के बाद मोदी सरकार पर अरुण शौरी का हमला, बोले ढाई लोग मिलकर चला रहे सरकार, विशेषज्ञों की बात नहीं सुनते.

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यशवंत सिन्हा के बाद मोदी सरकार पर अरुण शौरी का हमला, बोले ढाई लोग मिलकर चला रहे सरकार, विशेषज्ञों की बात नहीं सुनते.

Arun Shourie Reuters
अरुण शौरी. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एक तरफ विकास और पारदर्शी अर्थव्यवस्था देने का दावा कर रही है, दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के ही वरिष्ठ नेताओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. हाल ही में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के बाद अब ताजा हमला अरुण शौरी की तरफ से हुआ, जिन्होंने नोटबंदी को मनी लॉन्ड्रिंग स्कीम बताया है. अरुण शौरी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विनिवेश मंत्री रह चुके हैं.

एनडीटीवी से एक बातचीत में अरुण शौरी ने नोटबंदी और जीएसटी को लेकर सरकार खुले स्वरों में आलोचना की और आरोप लगाया कि ढाई लोग मिलकर सरकार चला रहे हैं, जो किसी की बात नहीं सुनते.

शौरी ने कहा, ‘मौजूदा संकट की वजह आर्थिक नहीं है, इसकी वजह है सरकार का ढांचा. ढाई लोगों की सरकार है, न उनमें विशेषज्ञ हैं, न वे किसी विशेषज्ञ की बात सुनते हैं. इसका नतीजा होता है आधा अधूरा जीएसटी. जीएसटी नेटवर्क का ट्रायल रन तक नहीं हुआ.’

अटल सरकार में अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके शौरी ने कहा, ‘इंफोसिस को आखिरी समय डिटेल दी गई और उन्होंने कहा कि हमें ट्रायल करने दो लेकिन समय नहीं दिया गया. उस पर सारी चीजें अपलोड ही नहीं कर सकते. जीएसटी को इतना कॉम्प्लेक्स बना दिया है कि सालाना आपको 36 फार्म भरने हैं. जीएसटी की डिजायन में पूरी तरह से समस्या है. इनको तीन महीने में सात बार नियम बदलने पड़े. एक बार नियम बदलता है तो पूरा सॉफ्टवेयर बदलना पड़ता है.’

नोटबंदी के बारे में सवाल पूछने पर अरुण शौरी ने कहा, ‘कहीं भी दुनिया में कभी इतनी बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग स्कीम नहीं आई, जितनी ये हमारी नोटबंदी थी. सारा ब्लैक मनी सरकार ने व्हाइट कर दिया. जिस जिस के पास कालाधन था, सब सफेद हो गया. ऐसा चमत्कार तो कोई भी ट्रेडर या दलाल भी नहीं कर पाए क्योंकि सरकार ने कर दिया.

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भाजपा और केंद्र सरकार में किसी के लिए कोई जगह न होने के यशवंत सिन्हा के आरोप को सही ठहराते हुए शौरी ने कहा कि ‘यह बिल्कुल सही बात है.’ उन्होंने एक बहुत सीनियर सांसद का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने कुछ पूछना चाहा तो उनको बहुत जोर से चुप करा दिया गया. इससे सबको संदेश मिल गया कि आओ, सुनो और चुप होकर बाहर जाओ.