स्थानीय दलों की आपत्तियां ख़ारिज करते हुए परिसीमन आयोग ने बदला जम्मू कश्मीर का चुनावी नक़्शा

परिसीमन आयोग ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में केंद्रशासित प्रदेश की कई विधानसभा सीटें ख़त्म कर दी हैं. जम्मू संभाग में छह विधानसभा सीटें बढ़ाई गई हैं जबकि कश्मीर संभाग में केवल एक सीट की बढ़ोतरी की गई है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने आयोग के दूसरे मसौदे के प्रस्तावों को भी नकार दिया है.

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Srinagar: A boatman breaks the frozen surface of the Dal Lake to make way for his 'shikara' as temperature dips, in Srinagar, Tuesday, Jan. 14, 2020. (PTI Photo/S. Irfan) (PTI1_14_2020_000158B)

परिसीमन आयोग ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में केंद्रशासित प्रदेश की कई विधानसभा सीटें ख़त्म कर दी हैं. जम्मू संभाग में छह विधानसभा सीटें बढ़ाई गई हैं जबकि कश्मीर संभाग में केवल एक सीट की बढ़ोतरी की गई है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने आयोग के दूसरे मसौदे के प्रस्तावों को भी नकार दिया है.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: परिसीमन आयोग ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में जम्मू कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में बदलाव का प्रस्ताव दिया है, जिसे केंद्रशासित प्रदेश के पांच सहयोगी सदस्यों को उनके सुझावों के लिए सौंपा गया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि विस्तृत रिपोर्ट में जम्मू संभाग से राजौरी और पुंछ को शामिल करके अनंतनाग संसदीय सीट के पुनर्निर्धारण का प्रस्ताव किया गया है, इसके अलावा कश्मीर संभाग में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए हैं.

तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य की कई विधानसभा सीटें खत्म कर दी गई हैं. इसमें हब्बा कदल सीट भी शामिल है, जिसे प्रवासी कश्मीरी पंडितों के पारंपरिक गढ़ के रूप में देखा जाता था.

अधिकारियों ने कहा कि श्रीनगर जिले की खानयार, सोनवार और हजरतबल विधानसभा सीटों को छोड़कर, अन्य सभी सीटों का पुनर्निधार्रण किया गया है और चन्नापुरा तथा श्रीनगर दक्षिण की तरह नई विधानसभा सीटों के साथ विलय कर दिया गया है.

उन्होंने कहा कि नई प्रस्तावित रिपोर्ट में हब्बा कदल के मतदाता अब कम से कम तीन विधानसभा क्षेत्रों का हिस्सा होंगे.

इसी तरह, पांच विधानसभा क्षेत्रों वाले बडगाम जिले का पुनर्निधार्रण किया गया और बारामूला संसदीय क्षेत्र के साथ विलय कर दिया गया, इसके अलावा कुछ क्षेत्रों को विभाजित किया गया और उत्तरी कश्मीर में कुंजर जैसी नई विधानसभा सीटों का निर्माण किया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, घाटी मे कुपवाड़ा एकमात्र जिला है जिसमें एक निर्वाचन क्षेत्र जोड़ा गया है, अन्य मौजूदा विधानसभा क्षेत्रों में भी बदलाव प्रस्तावित हैं.

परिसीमन के मसौदे के अनुसार, 2014 के विधानसभा चुनाव में पीडीपी द्वारा जीती गईं संग्राम और गुलमर्ग विधानसभाओं को खत्म कर दिया गया है.

दक्षिण कश्मीर में शांगस तहसील को अनंतनाग पूर्व और लारनू निर्वाचन क्षेत्रों के बीच विभाजित किया गया है. कोकेरनाग, जहां पहले पीडीपी को जीत मिली थी, उसे भी दोरू और लारनू के बीच विभाजित कर दिया गया है. दोरू को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है.

मसौदे के मुताबिक, कुलगाम में अब चार के बजाय तीन सीट होंगी. श्रीनगर जिले का अब छनपोरा क्षेत्र में एक अलग निर्वाचन क्षेत्र होगा. इस निर्वाचन क्षेत्र को बनाने के लिए जिले के कई निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से तैयार किया जा रहा है.

अन्य 24 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव है.

केंद्रशासित प्रदेश में सात अतिरिक्त विधानसभा क्षेत्रों में से जम्मू संभाग के कठुआ, सांबा, राजौरी, रियासी, डोडा, किश्तवाड़ और कश्मीर घाटी के कुपवाड़ा जिलों में एक-एक सीट बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया था.

पुलवामा, त्राल और शोपियां के कुछ इलाके, जो अनंतनाग लोकसभा सीट का हिस्सा थे, अब श्रीनगर संसदीय सीट का हिस्सा होंगे.

यह रिपोर्ट पांच सहयोगी सदस्यों फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी और अकबर लोन (नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोकसभा सदस्य) तथा जितेंद्र सिंह और जुगल किशोर (भारतीय जनता पार्टी के सांसद) को शुक्रवार को भेजी गई हैं. अधिकारियों ने कहा कि उन्हें 14 फरवरी तक अपनी राय देने को कहा गया है, जिसके बाद रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा.

रिपोर्ट ने पिछले साल 31 दिसंबर को नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा दर्ज कराई गई आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया है. पार्टी ने जम्मू संभाग में छह विधानसभा सीटों और कश्मीर संभाग में सिर्फ एक सीट बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था.

मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और राज्य निर्वाचन आयुक्त केके शर्मा के साथ उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में छह मार्च 2020 को आयोग की स्थापना की गई थी और इसे छह मार्च 2021 को एक वर्ष का विस्तार दिया गया था, जिसका कार्यकाल अगले महीने खत्म होने वाला है.

परिसीमन आयोग ने पिछले साल 18 फरवरी और 20 दिसंबर को सहयोगी सदस्यों के साथ दो बैठकें की. नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन सांसदों ने जहां पहली बैठक का बहिष्कार किया, वहीं दूसरी बैठक में वे शामिल हुए थे.

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मसौदा प्रस्तावों का जोरदार विरोध किया था, जिसके तहत जम्मू संभाग में विधानसभा सीटों की संख्या 37 से बढ़ाकर 43 और कश्मीर में 46 से 47 करने का सुझाव है. घाटी में मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने उस पहले मसौदा प्रस्ताव का जमकर विरोध किया था.

नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से कहा गया कि आयोग का गठन जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन कानून 2019 के कारण हुआ है, जो न्यायिक समीक्षा के दायरे में है और उच्चतम न्यायालय ने अभी तक अपना आदेश नहीं दिया है.

पार्टी की प्रमुख आपत्ति उस फॉर्मूले को लेकर है जिसे आयोग ने जनसंख्या की अवधारणा को खारिज कर अपनाया था और कहा कि जम्मू की तुलना में अधिक संख्या में लोगों के होने के बावजूद कश्मीर संभाग को केवल एक सीट मिली है.

परिसीमन की कवायद पूरी होने के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी. जम्मू कश्मीर राज्य की तत्कालीन विधानसभा में कश्मीर में 46, जम्मू में 37 और लद्दाख में चार सीटें थीं.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता इमरान नबी डार ने दूसरे मसौदा प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा, ‘पार्टी ने चार फरवरी 2022 को परिसीमन आयोग द्वारा सहयोगी सदस्यों को उपलब्ध कराए गए मसौदा दस्तावेज को स्पष्ट तौर पर खारिज कर दिया है.’

डार ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट में जो प्रस्ताव दिया गया है, उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के बाद पार्टी की विस्तृत प्रतिक्रिया दी जाएगी.

बता दें कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने आयोग को भेजे 31 दिसंबर के अपने जवाब में केंद्र के 5 अगस्त 2019 के फैसलों को कानूनी चुनौती के मद्देनजर कवायद पर रोक लगाने का आह्वान किया था, इसी दिन संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)