‘सरकार ने नर्मदा घाटी के साथ बहुत बुरा किया, जनता का राज है और जनता को ही खतम ​कर दिया’

ग्राउंड रिपोर्ट: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में सरदार सरोवर बांध के डूब में समा रहे भादल गांव के एक बुजुर्ग आदिवासी पुस्लिया पटेल की व्यथा.

///

ग्राउंड रिपोर्ट: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में सरदार सरोवर बांध के डूब में समा रहे भादल गांव के एक बुजुर्ग आदिवासी पुस्लिया पटेल की व्यथा.

pusliya patel bhadal krishna kant
मध्य प्रदेश के बड़वानी ज़िले के डूबते हुए गांव भादल के बुजुर्ग आदिवासी पुस्लिया पटेल. (फोटो: कृष्णकांत/द वायर)

घर, खेत फसल सब डूब रहा है. बहुत बुरा लग रहा है. हम यहां पर जीवन भर रहे हैं. हमें अपना घर नहीं छोड़ना है. हमें घर बनाने के लिए प्लाट दिया है, लेकिन हमें नहीं जाना है. हमारा बेटा यहीं ऊपर पहाड़ी पर रहता है. हम भी यहीं रहेंगे. सब डूब रहा है, हमें बहुत फिकर हो रही है, बहुत ज्यादा चिंता हो रही है.

दिल्ली में सरकार से बात होनी थी, क्या हुआ? बात हुई क्या? सरकार को बोल दो कि अपना काम कर ले, लेकिन बांध में अब और पानी न छोड़े. सब जनता डूब रही है. ये दुष्कार्य नहीं करना चाहिए. अब पानी न छोड़ें.

यहां सबकुछ डूब रहा है. सब डूब गया है. अब यहां जिंदगी खतम. सरकार दिल्ली में, भोपाल में है. हम कहते रहे कि मत डुबाओ, मत डुबाओ, लेकिन नहीं माना. खेत डूबा, घर डूबा, सब डूब गया, किसको बोलें? यहां सब डूब रहा है. हम पहाड़ तो नहीं चढ़ सकते. कितनी फिकर हो रही है. किस किस की फिकर करें? गाय डूब गई, खेत डूब गया, भैंस हैं, जानवर हैं, सब डूब रहे हैं.

puslia patel photo the wire
पुस्लिया पटेल के घर के लकड़ी के खंभे में खोदा हुआ उनका नाम. (फोटो: कृष्णकांत/द वायर)

घर में कितनी अच्छी अच्छी लकड़ी है, सागोन की है, सब डूब जाएगा. कितना खर्चा आता है इसे बनाने में! मेरा सौ साल पुराना घर है. फिकर फिकर में जिंदगी जा रही है. मेरे पास सब कुछ है लेकिन फिकर में ही जिंदगी खतम हो जाएगी.

(खेत से तोड़कर आए मक्के के ढेर की तरफ इशारा करते हुए) ये इतना मक्का पैदा किया है. अब इसे कहां रखें? किसके घर में घुस जाएं? सबका डूब गया. इस जिंदगी के लिए दिल्ली, बंबई, भोपाल, खरगोन सब जगह गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ. अब किसको बोलना!

सरकार ने नर्मदा घाटी के साथ बहुत बुरा किया है. देश में पूरा जनता का राज है और जनता को ही खतम कर दिया तो राज कहां बचा? मेरी जिंदगी तो खतम हो रही है. सरकार हमारा बाप है, हम बोलते हैं कि बेटा को मरने मत दो. लेकिन हमें नंगा कर दिया है. बहुत फिकर हो रही है.

मुर्गी को क्या मालूम है कि दाना उसे हलाल करने के लिए डाला गया है? सरकार दाना डालकर जनता को हलाल कर रही है. सरकार जनता को धोखा दे रही है. ऐसा धोखा देकर जिंदगी खतम कर रही है. हमें बहुत फिकर हो रही है.

puslia patel 1 the wire
पुस्लिया पटेल का कहना है कि सरकार ने सब डुबा दिया, अब यहां जीवन खतम हो चुका है. (फोटो: कृष्णकांत/द वायर)

झाड़, बाड़, खाना, पानी, देव-दाना सब डुबा दिया, सारा जीवन डुबा दिया. अकल से, मेहनत से, जिंदगी भर में ये सब जोड़ा था. नर्मदा ही हमारी जिंदगी है. नर्मदा से ही जिंदगी है हम सबकी. सरकार जिंदगी खतम कर रही है. सरकार ने बहुत बड़ा धोखा किया है. सब तरफ से पानी भर दिया.

ये मेरा घर है, ये भी डूब जाएगा. जो बचा है, सब डूब जाएगा. सरकार को बहुत कोशिश करना था. सरकार जिंदगी बचाने के लिए होती है, सरकार तो जिंदगी ले रही है. महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश सब डुबा दिया. सरकार चाहती तो कुछ नहीं डूबता.

हम जेल गए. मेधा पाटकर के साथ गए थे आंदोलन में. हमको सरकार बोली कि आंदोलन का संगत छोड़ दो. हम बोले शिवराज पहले गद्दी छोड़ दे, मैं भी आंदोलन की संगत छोड़ दूंगा. तू पहले राज छोड़, मैं आंदोलन की संगत छोड़ दूंगा. हमने सरकार से बोला कि जिंदगी खतम कर दो तब भी संगत नहीं छोड़ूंगा.

हम खूब लड़े, खूब बोला कि ये दुष्कार्य मत करो. हमने जेल काटी, हम कहते रहे लेकिन सरकार ने नहीं सुना, सब डुबा दिया. इतनी फिकर हो रही है, लेकिन क्या कर सकते हैं? इस सरकार को मेधा पाटकर की क्या चिंता? इस सरकार को जनता की क्या चिंता? इसे नर्मदा घाटी की क्या चिंता? जनता से बोलते रहे कि तुम नहीं डूबोगे. थोड़ा थोड़ा डूब आएगी, लेकिन अचानक सबको डुबा दिया.

सब जनता को डुबा दिया. खलघाट में कुछ लोगों को जमीन दे दी है. घर प्लाट नहीं दिया. कहते हैं कि यहां कमाओ खाओ. कैसे कमाएं खाएं? वहां की एक इंच भी जमीन हमारे काम की नहीं है. सरकार ने हमारे साथ धोखा किया है.

(बांध के पानी में डूबते गांव को लेकर बातचीत पर आधारित.)