जाने-माने उद्योगपति राहुल बजाज का निधन

देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक राहुल बजाज जून 2006 में राज्यसभा में मनोनीत हुए और 2010 तक सदस्य रहे. उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था तथा कई विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई. वह इंडियन एयरलाइंस के चेयरमैन, आईआईटी-बॉम्बे के निदेशक मंडल के चेयरमैन समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे.

राहुल बजाज. (फोटो: पीटीआई)

देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक राहुल बजाज जून 2006 में राज्यसभा में मनोनीत हुए और 2010 तक सदस्य रहे. उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था तथा कई विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई. वह इंडियन एयरलाइंस के चेयरमैन, आईआईटी-बॉम्बे के निदेशक मंडल के चेयरमैन समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे.

राहुल बजाज. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई/नई दिल्ली: बजाज समूह के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज का शनिवार को पुणे में उनके आवास पर निधन हो गया. वह 83 वर्ष के थे. समूह के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

राहुल बजाज ने बजाज ऑटो में गैर-कार्यकारी निदेशक और चेयरमैन पद से पिछले वर्ष 30 अप्रैल को इस्तीफा दिया था, हालांकि वह चेयरमैन एमेरिटस बने रहे. कुछ समय से उनकी तबियत ठीक नहीं थी.

निमोनिया और हृदय रोग से पीड़ित 83 वर्षीय बजाज को एक महीने पहले रूबी हॉल क्लीनिक में भर्ती कराया गया था और शनिवार दोपहर 2:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.

उनके निधन पर बजाज समूह ने एक बयान जारी कर कहा, ‘अत्यंत दुख के साथ सूचित किया जा रहा है कि स्वर्गीय रूपा बजाज के पति एवं राजीव एवं दीपा के पिता, संजीव एवं शेफाली तथा सुनैना एवं मनीष के पिता राहुल बजाज का निधन हो गया है. 12 फरवरी, 2022 की दोपहर को करीबी परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में उनका निधन हो गया.’

बजाज के परिवार में उनके दो बेटे राजीव बजाज और संजीव बजाज तथा बेटी सुनैना केजरीवाल हैं.

राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 को हुआ था. उन्होंने ऑटोमोबाइल, जनरल बीमा तथा जीवन बीमा, निवेश एवं उपभोक्ता फाइनेंस, घरेलू उपकरण, इलेक्ट्रिक लैंप, पवन ऊर्जा, स्टेनलेस स्टील जैसे क्षेत्रों में कारोबार करने वाले बजाज समूह का नेतृत्व किया.

राहुल बजाज ने बजाज समूह के कारोबार की कमान 1965 में संभाली और 1968 में बजाज ऑटो के सीईओ बने और इसे वृद्धि के रास्ते पर बढ़ाया. उनके नेतृत्व में बजाज ऑटो का कारोबार 7.2 करोड़ रुपये से बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये हो गया.

कंपनी का बजाज चेतक स्कूटर मध्यमवर्गीय भारतीय परिवारों की आकांक्षा का प्रतीक बना और उस दौर में ‘हमारा बजाज’ धुन उनके बेहतर भविष्य की आकांक्षाओं को प्रतिध्वनित करने लगी.

2005 में उन्होंने कंपनी की जिम्मेदारी धीरे-धीरे अपने बेटे राजीव बजाज को सौंपनी शुरू की. राजीव बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक बन गए और कंपनी को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया.

देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक बजाज जून 2006 में राज्यसभा में मनोनीत हुए और 2010 तक सदस्य रहे. राहुल बजाज को पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था तथा कई विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई. वह इंडियन एयरलाइंस के चेयरमैन, आईआईटी-बॉम्बे के निदेशक मंडल के चेयरमैन समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे.

अप्रैल 2021 में राहुल बजाज ने बजाज ऑटो के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पद छोड़ दिया. भारत के सबसे पुराने व्यापारिक समूहों में से एक बजाज समूह की बजाज ऑटो, बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व, बजाज इलेक्ट्रिकल्स, मुकंद और बजाज आलियांज सहित 25 कंपनियां हैं और इनमें लगभग 36,000 कर्मचारी कार्यरत हैं.

राहुल बजाज ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया था. उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की थी और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया था.

राहुल बजाज का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ: महाराष्ट्र सरकार

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि उद्योगपति राहुल बजाज का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.

ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने बजाज के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि देश के औद्योगिक विकास में उनके योगदान का कोई सानी नहीं.

ठाकरे ने कहा कि उन्होंने बजाज का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ करने का निर्देश दिया है.

राज्यपाल ने कहा, ‘राष्ट्र के स्वतंत्रता आंदोलन और इसके औद्योगिक एवं सामाजिक विकास में बजाज परिवार का योगदान बहुत ऊंचा है. बजाज समूह के अध्यक्ष के तौर पर अपने कार्यकाल में राहुल बजाज ने भारत में ही नहीं वरन विदेशों में भी समूह का कारोबारी साम्राज्य बढ़ाया.’

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश ने न केवल एक महान उद्योगपति को खो दिया है बल्कि एक ऐसे व्यक्ति को खो दिया है, जो अपने सामाजिक दायित्व के प्रति सजग थे और देश के समक्ष उत्पन्न स्थितियों को लेकर काफी मुखर रहते थे.

राहुल बजाज: स्पष्टवक्ता, निडर उद्योगपति, जिन्होंने मध्यमवर्ग की आकांक्षाओं को ‘पंख’ दिए

उदारीकरण से पहले के दौर में भारत में ‘हमारा बजाज’ धुन एक वक्त मध्यमवर्गीय भारतीय परिवारों की महत्वाकांक्षा का प्रतीक थी और उनके बेहतर भविष्य की आकांक्षाओं को प्रतिध्वनित करती थी. यह धुन थी बजाज ऑटो की और इसके पीछे बेहद बड़े कद वाले बेखौफ उद्योगपति थे राहुल बजाज.

स्पष्ट और खुलकर बोलने वाले राहुल बजाज ने परमिट राज के दौरान दो पहिया और तीन पहिया वाहनों का ब्रांड स्थापित करके अपना दम दिखाया था.

बिना लाग लपेट के अपनी बात रखने वाले बजाज कूटनीति में पारंगत अन्य उद्योगपतियों से अलग थे, साफगोई उनकी खासियत थी, भले ही इसकी वजह से सरकार के साथ ठन जाए, चाहे अपने खुद के बेटे के साथ आमना-सामना हो जाए.

नवंबर 2019 की बात है, उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह, समेत मंत्रियों के एक समूह पर चुभने वाले सवाल दाग दिए थे.

राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 को कलकत्ता में हुआ था. उनके दादा जमनालाल बजाज ने 1926 में बजाज समूह की स्थापना की थी.

बजाज ने दिल्ली के स्टीफन कॉलेज से स्नातक और अमेरिका के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया. अपने पिता कमलनयन बजाज की टीम में उप-महाप्रबंधक के रूप में उन्होंने काम शुरू किया और 1968 में 30 साल की उम्र में वह मुख्य कार्यपालक अधिकारी बने.

ऑटोमोबाइल, जनरल बीमा तथा जीवन बीमा, निवेश एवं उपभोक्ता फाइनेंस, घरेलू उपकरण, इलेक्ट्रिक लैंप, पवन ऊर्जा, स्टेनलेस स्टील जैसे क्षेत्रों में कारोबार करने वाले बजाज समूह का नेतृत्व संभालकर उन्होंने इसे वृद्धि के रास्ते पर बढ़ाया. उनके नेतृत्व में बजाज ऑटो का कारोबार 7.2 करोड़ रुपये से बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये हो गया.

2008 में उन्होंने बजाज ऑटो को तीन इकाइयों- बजाज ऑटो, बजाज फिनसर्व और एक होल्डिंग कंपनी में बांटा. उनके बेटे राजीव बजाज और संजीव बजाज ऑटो और फाइनेंस कंपनियों को संभाल रहे हैं.

कंपनी का बजाज चेतक स्कूटर मध्यमवर्गीय भारतीय परिवारों की आकांक्षा का प्रतीक बना.

2005 में उन्होंने कंपनी की जिम्मेदारी धीरे-धीरे अपने बेटे राजीव बजाज को सौंपनी शुरू की. राजीव बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक बन गए और कंपनी को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया.

हालांकि जब राजीव ने 2009 में स्कूटर को छोड़कर बजाज ऑटो में पूरा ध्यान मोटरसाइकिल विनिर्माण पर देना शुरू किया तो राहुल बजाज ने अपनी निराशा नहीं छिपाई. उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा, ‘मुझे बुरा लगा, दुख हुआ.’

मुंबई में नवंबर 2019 में उन्होंने एक कार्यक्रम में सरकार द्वारा आलोचना को दबाने के बारे में खुलकर बोला जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे.

उन्होंने कहा था, ‘भय का माहौल है, यह निश्चित ही हमारे मन मस्तिष्क पर है. आप (सरकार) अच्छा काम कर रहे हैं उसके बावजूद हमें भरोसा नहीं कि आप आलोचना को स्वीकार करेंगे.’

वह ऐसे इकलौते व्यक्ति रहे जो उद्योग चैंबर सीआईआई के दो बार अध्यक्ष रहे, पहली बार 1979-80 और फिर 1999 से 2000 तक.

राष्ट्रपति कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल बजाज को श्रद्धांजलि अर्पित की

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को प्रसिद्ध उद्योगपति राहुल बजाज के निधन पर दुख व्यक्त किया और उद्योग जगत में उनके योगदान को याद किया.

राष्ट्रपति ने कहा कि बजाज के करिअर ने देश के कॉरपोरेट क्षेत्र के उदय और उसमें निहित ताकत को दर्शाया तथा उनके निधन से उद्योग जगत में एक रिक्तता आ गई है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बजाज सामुदायिक सेवा के प्रति भी जागरूक थे और संवादपटु थे.

राष्ट्रपति कोविंद ने एक ट्वीट में कहा, ‘राहुल बजाज के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ. भारतीय उद्योग के एक अग्रणी, वह इसकी प्राथमिकताओं के बारे में सजग थे. उनके करिअर ने देश के कॉरपोरेट क्षेत्र के उदय और जन्मजात ताकत को दर्शाया. उनके निधन से उद्योग जगत में एक खालीपन आ गया है. उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं.’

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘राहुल बजाज जी को वाणिज्य और उद्योग जगत में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए याद किया जाएगा. व्यवसाय से परे वह सामुदायिक सेवा के प्रति उत्साही थे और एक महान संवादपटु थे. उनके निधन से आहत हूं. उसके परिवार तथा मित्रों के लिए संवेदनाएं. ओम शांति.’

बजाज का निधन भारत के लिए बड़ी क्षति: राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने उद्योगपति राहुल बजाज के निधन पर दुख जताते हुए शनिवार को कहा कि उनका जाना देश के लिए बड़ी क्षति है.

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘राहुल बजाज का निधन भारत के लिए बड़ी क्षति है. हमने एक ऐसा दूरदर्शी व्यक्ति खो दिया है जिन्होंने हमें गौरवान्वित किया. उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरा स्नेह और संवेदना है.’

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दुख जताते हुए कहा, ‘सत्ता के सामने सच बोलने से पीछे नहीं हटने वाले एक अगुवा आज नहीं रहे. भारत राष्ट्र निर्माण के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को याद करेगा. हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि.’

पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा और कांग्रेस के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी राहुल बजाज के निधन पर दुख जताया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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