हरिद्वार धर्म संसद मामले में पिछले महीने गिरफ़्तार कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद ने जेल से रिहा होने के बाद कहा कि जितेंद्र नारायण त्यागी के बिना उनकी रिहाई का कोई मतलब नहीं है और उनकी रिहाई के लिए वह भूख हड़ताल फिर शुरू करने जा रहे हैं. जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ़ वसीम रिज़वी इस मामले के सह-अभियुक्त हैं.
देहरादून: हरिद्वार धर्म संसद में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत भरे भाषण देने के मामले में बीते जनवरी महीने में गिरफ्तार कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता और उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के डासना मंदिर के मुख्य पुजारी यति नरसिंहानंद को जेल से रिहा कर दिया गया है.
जेल से रिहा होने के तत्काल बाद नरसिंहानंद इस मामले में सह-अभियुक्त जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की रिहाई की मांग को लेकर भूख हड़ताल फिर से शुरू करने के लिए हरिद्वार के सर्वानंद घाट की ओर रवाना हो गए.
महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने तथा एक पत्रकार को अपशब्द बोलने के मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 509 के तहत दर्ज मामले में हरिद्वार की एक स्थानीय अदालत से बीते 17 फरवरी को जमानत मिलने के बाद उन्हें रिहा किया गया है.
हालांकि, धर्म संसद मामले में नरसिंहानंद को 7 फरवरी को जमानत मिल गई थी, लेकिन अन्य लंबित मामलों के कारण उन्हें जेल से रिहा नहीं किया गया था.
नरसिंहानंद ने पिछले साल दिसंबर में हरिद्वार में एक सम्मेलन आयोजित किया था, जिसमें कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत भरे भाषण देने के अलावा उनके नरसंहार का भी आह्वान किया गया था.
जेल से बाहर आते हुए उन्होंने बताया कि जितेंद्र नारायण त्यागी के बिना उनकी रिहाई का कोई मतलब नहीं है और उनकी रिहाई के लिए वह सर्वानंद घाट पर भूख हड़ताल फिर शुरू करने जा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक कि त्यागी को रिहा नहीं किया जाता. त्यागी की जमानत अर्जी पर उत्तराखंड हाईकोर्ट 21 फरवरी को सुनवाई करेगा.
उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने हिंदू धर्म अपनाने के बाद जितेंद्र नारायण त्यागी नाम से जाना जाता है.
कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद हरिद्वार धर्म संसद के आयोजक थे. नरसिंहानंद उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित डासना मंदिर के पुजारी हैं, जो अपने बयानों को लेकर पहले भी विवादों में रहे हैं.
हरिद्वारा धर्म संसद में यति नरसिंहानंद ने मुस्लिम समाज के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी करते हुए कहा था कि वह ‘हिंदू प्रभाकरण’ बनने वाले व्यक्ति को एक करोड़ रुपये देंगे.
हरिद्वार धर्म संसद मामले में पुलिस की नाकामी पर जनता के आक्रोश के बाद उत्तराखंड पुलिस ने वसीम रिजवी, जिसे अब जितेंद्र नारायण त्यागी के नाम से जाना जाता है, को बीते 13 जनवरी को गिरफ्तार किया था. यह इस मामले में पहली गिरफ्तारी थी.
बहरहाल, हरिद्वार ‘धर्म संसद’ मामले में 15 लोगों के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. इस आयोजन का वीडियो वायरल होने पर मचे विवाद के बाद 23 दिसंबर 2021 को इस संबंध में पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें सिर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को नामजद किया गया था. इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने से पहले त्यागी का नाम वसीम रिजवी था.
प्राथमिकी में 25 दिसंबर 2021 को बिहार निवासी स्वामी धरमदास और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडेय के नाम जोड़े गए. पूजा शकुन पांडेय निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर और हिंदू महासभा के महासचिव हैं.
इसके बाद बीते एक जनवरी को इस एफआईआर में यति नरसिंहानंद और रूड़की के सागर सिंधुराज महाराज का नाम शामिल किया गया था.
बीती दो जनवरी को राज्य के पुलिस महानिदेशक ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया था. उसके बाद बीते तीन जनवरी को धर्म संसद के संबंध में 10 लोगों के खिलाफ दूसरी एफआईआर दर्ज की गई थी.
दूसरी एफआईआर में कार्यक्रम के आयोजक यति नरसिंहानंद गिरि, जितेंद्र नारायण त्यागी (जिन्हें पहले वसीम रिज़वी के नाम से जाना जाता था), सागर सिंधुराज महाराज, धरमदास, परमानंद, साध्वी अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रबोधानंद गिरि को नामजद किया गया है.
बता दें कि नरसिंहानंद के खिलाफ महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं. उनके ऊपर सितंबर 2021 के भी तीन मामले लंबित हैं.
इस महीने की शुरुआत में रुचिका नाम की एक महिला की शिकायत के आधार पर यति नरसिंहानंद के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज की गई थी. दरअसल नरसिंहानंद ने एक समुदाय विशेष की महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.
महिला का आरोप है कि कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में नरसिंहानंद ने चार जनवरी को एक समुदाय की महिलाओं के खिलाफ अपमानजक टिप्पणी की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)