एनआईए ने अपने पूर्व पुलिस अधीक्षक और आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक सदस्य को गोपनीय दस्तावेज़ लीक करने के आरोप में गिरफ़्तार किया है. इसी मामले एनआईए छह लोगों को गिरफ़्तार कर चुकी है. इसमें से एक कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ को एनआईए ने पिछले साल गिरफ़्तार किया था.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने अपने पूर्व पुलिस अधीक्षक (एसपी) और आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक सदस्य को गोपनीय दस्तावेज लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया है. नेगी इससे पहले आतंकवाद से जुड़े कई मामलों की जांच कर चुके हैं.
इसी मामले में पिछले साल एनआईए ने कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज को गिरफ्तार किया था.
शुक्रवार को दिल्ली में एजेंसी के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी. प्रवक्ता ने बताया कि भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 2011 बैच में पदोन्नत नेगी को पिछले साल छह नवंबर को एनआईए द्वारा दर्ज एक मामले में गिरफ्तार किया गया.
यह मामला भारत में आतंकवादी गतिविधियों की साजिश और अंजाम देने में मदद करने के लिए प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के नेटवर्क के प्रसार से संबंधित है. एनआईए ने इस मामले में पहले छह लोगों को गिरफ्तार किया था.
अपनी स्थापना के बाद से एनआईए के साथ काम करने के बाद नेगी पिछले साल अपने कैडर और गृह राज्य हिमाचल प्रदेश वापस चले गए.
प्रवक्ता ने कहा कि एनआईए से लौटने के बाद शिमला में तैनात नेगी की भूमिका की जांच की गई और उनके घरों की तलाशी ली गई.
उन्होंने कहा कि यह भी पाया गया कि एनआईए के आधिकारिक गोपनीय दस्तावेज नेगी द्वारा एक अन्य आरोपी व्यक्ति को लीक किए गए थे, जो लश्कर का सदस्य है.
द हिंदू के मुताबिक, एजेंसी ने उस व्यक्ति की पहचान का खुलासा नहीं किया, जिसके साथ उन्होंने कथित तौर पर गुप्त दस्तावेज साझा किए थे.
आईपीएस अधिकारी नेगी को टेरर फंडिंग मामले में उनकी जांच के लिए 2017 में वीरता पुरस्कार मिला था.
रिपोर्ट के मुताबिक, एजेंसी ने कहा कि लश्कर के ओवरग्राउंड वर्कर्स के व्यापक नेटवर्क की जांच के लिए 6 नवंबर, 2021 को मामला दर्ज किया गया था, जो देश में आतंकी गतिविधियों की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में संगठन को सहायता प्रदान कर रहे थे.
एनआईए ने मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिन पर भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप लगाया है.
पिछले साल नवंबर में एनआईए ने इसी मामले में कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज को गिरफ्तार किया था. एजेंसी ने इससे पहले श्रीनगर में सिविल सोसायटी के जम्मू-कश्मीर गठबंधन के कार्यालय में तलाशी ली थी. परवेज सोसायटी के कार्यक्रम समन्वयक थे.
कुछ दिन पहले शहर की एक अदालत ने परवेज और दो अन्य, अर्शीद अहमद और मुनीर अहमद कटारिया की न्यायिक हिरासत 40 दिनों के लिए बढ़ा दी थी.
आरोप है कि वे ओवरग्राउंड वर्कर्स के नेटवर्क का हिस्सा थे, जिन्होंने संभावित आतंकी ठिकानों और सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर खुफिया जानकारी जुटाई थी. यह भी आरोप लगाया गया है कि उनमें से कुछ ने कई राज्यों के अलग-अलग लोगों से धन प्राप्त किया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नेगी ने, विशेष रूप से न केवल जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के कई मामलों की जांच की, जिसमें कुछ मामले हुर्रियत नेताओं के खिलाफ भी थे, बल्कि हिंदुत्व आतंकी मामलों की जांच करने वाली टीम में एक प्रमुख अधिकारी भी थे.
उन्होंने 2007 के अजमेर दरगाह विस्फोट की जांच की थी जिसमें एनआईए ने हिंदुत्व आतंकी मामलों के दायरे में अपनी पहली और एकमात्र सफलता हासिल की.
अगस्त 2018 में आरएसएस के प्रचारक देवेंद्र गुप्ता और भावेश पटेल को एक विशेष अदालत ने विस्फोट की ‘योजना बनाने और उसे अंजाम देने’ के लिए दोषी ठहराया था, जिसमें तीन लोग मारे गए थे और 15 घायल हो गए थे.
नेगी शुरू में 2008 के मालेगांव विस्फोटों की जांच से भी जुड़े थे, लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया गया. इसके अलावा समझौता एक्सप्रेस विस्फोट, जिसमें स्वामी असीमानंद एक आरोपी हैं, की जांच से भी वह जुड़े थे.
उनके कुछ हालिया मामलों में पीडीपी नेता वाहिद पर्रा और जम्मू कश्मीर के बर्खास्त डीएसपी दविंदर सिंह से संबंधित मामले शामिल हैं. नेगी ने इससे पहले पूर्वोत्तर में भी कई अहम मामलों की जांच की थी.
पिछले साल 22 नवंबर को जम्मू कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की गिरफ्तारी के एक दिन बाद नेगी के आवास की तलाशी ली गई थी. इसी मामले में अब नेगी को गिरफ्तार किया गया है.
जिस प्राथमिकी में नेगी को गिरफ्तार किया गया है, उसमें आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 121 (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए उकसाना), 121ए (धारा 121 द्वारा दंडनीय अपराध करने की साजिश) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाना), 18 (साजिश), 18बी (आतंकवादी कृत्य के लिए किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की भर्ती) और 40 (आतंकवादी संगठन के लिए धन जुटाना) शामिल हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)