जम्मू कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों का नए सिरे से परिसीमन करने के लिए गठित आयोग का कार्यकाल 6 मार्च को ख़त्म होना था, लेकिन क़ानून मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार इसे दो महीने बढ़ाकर 6 मई तक कर दिया गया है. मार्च 2020 में गठित इस आयोग को पिछले साल भी एक साल का विस्तार दिया गया था.
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों का नए सिरे से परिसीमन करने के लिए गठित परिसीमन आयोग का कार्यकाल दो महीने के लिए बढ़ा दिया गया है.
आयोग का कार्यकाल 6 मार्च को समाप्त होना था, लेकिन सोमवार को जारी कानून मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार इसे दो महीने बढ़ाकर 6 मई तक कर दिया गया है.
विस्तार के कारणों से अवगत सूत्रों ने कहा कि आयोग को अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार करने के लिए और समय चाहिए.
मार्च 2020 में गठित आयोग को पिछले साल भी एक साल का विस्तार दिया गया था.
उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई आयोग की अध्यक्ष हैं. मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू कश्मीर के निर्वाचन आयुक्त इसके पदेन सदस्य हैं.
बता दें कि जम्मू कश्मीर में चुनावी कवायद शुरू करने के लिए परिसीमन महत्वपूर्ण है. 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जम्मू कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया खत्म होने के बाद चुनाव कराए जाएंगे. इसी कड़ी में 6 मार्च 2020 को परिसीमन आयोग का गठन किया गया था और उसे एक साल के भीतर परिसीमन का कार्य समाप्त करना था.
आयोग में अध्यक्ष और दोनों पदेन सदस्यों के अलावा पांच सहयोगी सदस्य भी हैं. जिनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद फारूख अब्दुल्ला, मोहम्मद अकबर लोन व हसनैन मसूदी और केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह व भाजपा सांसद जुगल किशोर शर्मा शामिल हैं.
बीते दिनों आयोग ने परिसीमन संबंधी अपनी दूसरी मसौदा रिपोर्ट पांचों सहयोगी सदस्यों को सौंपी थी, जिसमें केंद्रशासित प्रदेश के विधानसभा और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के नक्शे में बड़े बदलाव किए गए थे. कुछ विधानसभाएं खत्म कर दी थीं, तो कुछ नई बनाई गई थीं.
विपक्षी दलों की ओर से मसौदा रिपोर्ट का व्यापक विरोध भी हुआ था. उन्होंने आयोग को भाजपा के इशारे पर काम करने वाला बताया है. एक मौके पर स्थानीय भाजपा नेताओं ने भी परिसीमन के खिलाफ विरोध दर्ज कराया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)