जम्मू कश्मीर: पहाड़ी समुदाय को एसटी दर्जा देने की मांग पर पूर्व मंत्री ने छोड़ी नेशनल कॉन्फ्रेंस

पहाड़ी बोलने वाले लोगों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फ़ारूक़ अब्दुल्ला से बहस के बाद उनके क़रीबी माने जाने वाले सयेद मुश्ताक़ अहमद शाह बुख़ारी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया. दो रोज़ पहले वे एक सम्मलेन में भाजपा विधायक के साथ मंच साझा करते देखे गए थे.

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पहाड़ी बोलने वाले लोगों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फ़ारूक़ अब्दुल्ला से बहस के बाद उनके क़रीबी माने जाने वाले सयेद मुश्ताक़ अहमद शाह बुख़ारी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया. दो रोज़ पहले वे एक सम्मलेन में भाजपा विधायक के साथ मंच साझा करते देखे गए थे.

सयेद मुश्ताक़ अहमद बुखारी. (फोटो साभार: ग्रेटर कश्मीर)

जम्मू: नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता सयेद मुश्ताक अहमद शाह बुखारी ने मंगलवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. बुखारी ने पहाड़ी बोलने वाले लोगों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने संबंधी मुद्दे पर पार्टी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला के साथ हुई ‘तीखी बहस’ के बाद पार्टी छोड़ दी.

पुंछ जिले की सुरनकोट सीट से दो बार विधायक रहे बुखारी ने रविवार को जम्मू में ‘पहाड़ी जनजाति एसटी फोरम’ द्वारा आयोजित सम्मेलन की अध्यक्षता की थी, जिसमें 350 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था. भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रविंद्र रैना समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे. इसके दो दिन बाद ही बुखारी ने इस्तीफा दे दिया.

बुखारी ने कहा, ‘मैंने कहा था कि हम किसी भी ऐसी पार्टी का समर्थन करने में नहीं हिचकिचाएंगे, जो अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की समुदाय की लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करने में मदद करेगी.’

उन्होंने कहा, ‘मैं वापस चला आया और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बुखारी के पार्टी छोड़ने से नेशनल कॉन्फ्रेंस को जम्मू कश्मीर के पीर पंजाल क्षेत्र में बड़ा झटका लगा है. इस क्षेत्र में पुंछ और राजौरी शामिल हैं.

अखबार के मुताबिक, पूर्व मंत्री बुखारी ने पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें कहा जा रहा था कि वे पहाड़ी भाषी लोगों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने की अपनी लड़ाई रोक दें.

पहाड़ी 30 सालों से एसटी दर्जे की मांग कर रहे हैं. यह मांग तब से है जब 1991 में जम्मू कश्मीर में गुज्जर और बाकलीवाल समुदाय को एसटी दर्जा मिला था. जिससे उन्हें शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में आरक्षण मिलने लगा.

हाल में ही परिसीमन आयोग द्वारा उन्हें राजनीति में भी आरक्षण की सिपारिश की गई थी. इसी कड़ी में पहाड़ी नेता ने भी नए सिरे से एकजुट होकर अपनी मांग के समर्थन में आ गए.

सूत्र बताते हैं कि रविवार को हुए सम्मेलन में रैना ने कहा था कि भाजपा पहाड़ियों को एसटी का दर्जा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके बाद बुखारी ने मंच से घोषणा की कि अगर ऐसा किया जाता है तो वह नेशनल कॉन्फ्रेंस से तीन दशक पुराना रिश्ता तोड़कर भाजपा में शामिल हो जाएंगे.

फारूक अब्दुल्ला को सौंपे अपने इस्तीफे में बुखारी ने खुद को पार्टी का वफादार बताते हुए कहा है कि आपके द्वारा लगातार यह जिद करने के चलते कि मैं पहाड़ियों का मुद्दा छोड़ दूं, ने हमारे रिश्ते को मेरे लिए अस्थिर बना दिया है.

बुखारी पूंछ जिले के सूरनकोट क्षेत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस का मुख्य चेहरा हैं, जो वहां से दो बार विधायक रहे हैं. वे मंत्री भी रहे और पहाड़ी बोर्ड के वाइस-चेयरमैन का पद भी संभाला है. उन्हें अब्दुल्ला का करीबी माना जाता था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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