केंद्रीय सचिवालय सेवा फ़ोरम के मीडिया सलाहकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुक़दमों का हवाला देते हुए पिछले छह वर्षों से केंद्रीय सचिवालय के कैडर में नियमित पदोन्नति रोक दी गई है. उन्होंने बताया कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के उच्च अधिकारियों और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से नियमित अनुरोध के बावजूद वैध मांगों पर विचार नहीं किया गया है.
नई दिल्ली: पिछले छह साल से अधिक समय से कर्मचारियों की पदोन्नति में देरी को लेकर केंद्रीय सचिवालय सेवा (सीएसएस) के एक हजार से अधिक स्टाफ सदस्यों ने बीते शुक्रवार को नॉर्थ ब्लॉक के अंदर विरोध प्रदर्शन किया.
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने केंद्रीय राज्य मंत्री (कार्मिक) जितेंद्र सिंह से मिलने पर जोर दिया, जो उस वक्त अपने कार्यालय में मौजूद नहीं थे.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया कि मंत्री कार्यालय के कर्मचारियों ने प्रदर्शन कर रहे सदस्यों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं का समाधान 10 मार्च तक कर दिया जाएगा.
सूत्रों ने कहा कि यह मुद्दा वर्षों से लंबित है और मुकदमेबाजी के कारण इसमें और देरी हो चुकी है.
कर्मचारियों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले सीएसएस फोरम के मीडिया सलाहकार गोमेश कुमावत ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमों का हवाला देते हुए पिछले छह वर्षों से केंद्रीय सचिवालय के कैडर में नियमित पदोन्नति रोक दी गई है. हालांकि, केंद्र सरकार के अन्य सभी संवर्गों में पदोन्नति, इस संबंध में दायर मामलों के अंतिम निर्णय की शर्तों के साथ, पूरे जोरों पर चल रही है.’
Central Sect Service (CSS) officials waiting outside MoS (PP) Jitendra Singh office at North Block. They have many demands & complaints. Video just sent by an official @IndianExpress pic.twitter.com/gSHP7ra98d
— Shyamlal Yadav (@RTIExpress) February 25, 2022
कुमावत के अनुसार, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के उच्च अधिकारियों और मंत्री (जितेंद्र सिंह) से नियमित अनुरोध के बावजूद सीएसएस संवर्गों की वैध मांगों जैसे कि संगठित समूह ‘ए’ सेवा का लाभ देना, अनुभाग अधिकारी लिमिटेड विभागीय परीक्षा आयोजित करना, संवर्ग में नौ साल की सेवा से पहले प्रतिनियुक्ति (Deputation) पर कार्यवाही करना आदि पर भी विचार नहीं किया गया है.
कुमावत ने कहा, ‘लगभग 4,500 पद, जो कि सीएसएस कैडरों की कुल संख्या का 40 प्रतिशत है, पिछले छह वर्षों से लंबित नियमित पदोन्नति के कारण खाली पड़े हैं. सीएसएस फोरम ने लंबे समय से लंबित मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात भी की है. हालांकि, अधिकारियों को केंद्रीय मंत्री के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद डीओपीटी इन मुद्दों को लेकर अडिग बना हुआ है.’
रिपोर्ट के अनुसार, डीओपीटी के सूत्रों ने कहा कि मंत्री (जितेंद्र सिंह) इस मामले से अवगत हैं और पिछले कुछ समय से इसे सुलझाने के लिए काम कर रहे हैं.
मंत्री के एक करीबी सूत्र ने कहा, ‘हाल ही में मंत्री ने 4,000 पदोन्नति के आदेश जारी किए, जो अदालत की मंजूरी के अधीन हैं, लेकिन फिर कुछ लोग इसके खिलाफ कोर्ट गए और स्टे ले लिया. जब सरकार ने कोर्ट से स्टे हटा लिया तो कुछ याचिकाकर्ताओं को अवमानना नोटिस जारी किया गया. इसलिए, कैडर अधिकारियों के बीच मुकदमेबाजी के कारण यह प्रक्रिया रुक गई है.’
हालांकि, सीएसएस स्टाफ का कहना है कि यह सिर्फ एक बहाना है.
सीएसएस के एक अधिकारी ने कहा, ‘बार-बार की मांग के बावजूद तदर्थ पदोन्नति (Adhoc Promotions) की गई, जो अस्थायी थी. उस स्तर पर कोई भी प्रतिनियुक्ति पर नहीं जा सकता है. कोर्ट ने कभी प्रमोशन नहीं रोका, फिर भी पिछले एक साल से एक भी प्रमोशन नहीं हुआ है. लोग बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो रहे हैं.’
बहरहाल बाद में केंद्रीय सचिवालय के अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को केंद्रीय राज्य मंत्री (कार्मिक) जितेंद्र सिंह से मुलाकात की और उनके साथ मुद्दों पर चर्चा की.
डीओपीटी के अनुसार, सिंह ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को धैर्यपूर्वक सुना और उन्हें आश्वासन दिया कि डीओपीटी अदालतों में लंबित मामलों सहित अन्य सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए उपाय करेगा.